धर्म

विश्व शांति स्तोत्र – Vishwa Shanti Stotra Lyrics

विश्व शांति स्तोत्र विश्व में शांति स्थापना के लिए प्रार्थना करने वाला एक स्तोत्र है। ऐसा माना जाता है कि इसका पाठ करने से विश्व में शांति, सद्भाव और कल्याण का प्रसार होता है। आप इस स्तोत्र का पाठ घर पर ही कर सकते हैं। पाठ करने से पहले स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएं।

नश्यन्तु प्रेत कूष्माण्डा नश्यन्तु दूषका नरा:
साधकानां शिवाः सन्तु आम्नाय परिपालिनाम ।
जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनी गणाः
जयन्ति सिद्ध डाकिन्यो जयन्ति गुरु पन्क्तयः ॥

जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये
समयाचार संपन्ना जयन्ति पूजका नराः।
नन्दन्तु चाणिमासिद्धा नन्दन्तु कुलपालकाः
इन्द्राद्या देवता सर्वे तृप्यन्तु वास्तु देवतः॥

चन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु मम भक्तितः
नक्षत्राणि ग्रहाः योगाः करणा राशयश्च ये।
सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः
पशवस्तुरगाश्चैव पर्वताः कन्दरा गुहाः॥

ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्तिम कुर्वन्तु सर्वदा
स्तुता मे विदिताःसन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः।
ये ये पापधियस्सुदूषणरतामन्निन्दकाः पूजने
वेदाचार विमर्द नेष्ट हृदया भ्रष्टाश्च ये साधकाः॥

दृष्ट्वा चक्रम्पूर्वमन्दहृदया ये कौलिका दूषकास्ते
ते यान्तु विनाशमत्र समये श्री भैरवास्याज्ञया।
द्वेष्टारः साधकानां च सदैवाम्नाय दूषकाः
डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितै स्तुताः॥

ये वा शक्तिपरायणाः शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः
सर्वस्मादखिले सुराधिपमजं सेव्यं सुरै संततम।
शक्तिं विष्णुधिया शिवंचसुधियाश्रीकृष्णबुद्धयाच ये
सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते॥

शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकराश्च ये
द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया।
तत्परं पठेत स्तोत्रमानंदस्तोत्रमुत्तमम
सर्वसिद्धि भवेत्तस्य सर्वलाभो प्रणाश्यति॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह विश्व शान्ति स्तोत्र को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें विश्व शांति स्तोत्र (Vishb Shanti Stotram) रोमन में–

Read Vishwa Shanti Stotra Lyrics

naśyantu preta kūṣmāṇḍā naśyantu dūṣakā narā:
sādhakānāṃ śivāḥ santu āmnāya paripālināma ।
jayanti mātaraḥ sarvā jayanti yoginī gaṇāḥ
jayanti siddha ḍākinyo jayanti guru panktayaḥ ॥

jayanti sādhakāḥ sarve viśuddhāḥ sādhakāśca ye
samayācāra saṃpannā jayanti pūjakā narāḥ।
nandantu cāṇimāsiddhā nandantu kulapālakāḥ
indrādyā devatā sarve tṛpyantu vāstu devataḥ॥

candrasūryādayo devāstṛpyantu mama bhaktitaḥ
nakṣatrāṇi grahāḥ yogāḥ karaṇā rāśayaśca ye।
sarve te sukhino yāntu sarpā naśyantu pakṣiṇaḥ
paśavasturagāścaiva parvatāḥ kandarā guhāḥ॥

ṛṣayo brāhmaṇāḥ sarve śāntima kurvantu sarvadā
stutā me viditāḥsantu siddhāstiṣṭhantu pūjakāḥ।
ye ye pāpadhiyassudūṣaṇaratāmannindakāḥ pūjane
vedācāra vimarda neṣṭa hṛdayā bhraṣṭāśca ye sādhakāḥ॥

dṛṣṭvā cakrampūrvamandahṛdayā ye kaulikā dūṣakāste
te yāntu vināśamatra samaye śrī bhairavāsyājñayā।
dveṣṭāraḥ sādhakānāṃ ca sadaivāmnāya dūṣakāḥ
ḍākinīnāṃ mukhe yāntu tṛptāstatpiśitai stutāḥ॥

ye vā śaktiparāyaṇāḥ śivaparā ye vaiṣṇavāḥ sādhavaḥ
sarvasmādakhile surādhipamajaṃ sevyaṃ surai saṃtatama।
śaktiṃ viṣṇudhiyā śivaṃcasudhiyāśrīkṛṣṇabuddhayāca ye
sevante tripuraṃ tvabhedamatayo gacchantu mokṣantu te॥

śatravo nāśamāyāntu mama nindākarāśca ye
dveṣṭāraḥ sādhakānāṃ ca te naśyantu śivājñayā।
tatparaṃ paṭheta stotramānaṃdastotramuttamama
sarvasiddhi bhavettasya sarvalābho praṇāśyati॥

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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