धर्म

आत्मा जाग गई – Aatma Jaag Gai Lyrics – Shiv Bhajan

पढ़े “आत्मा जाग गई” लिरिक्स

ऐसा भोले ने डमरू बजाया,
आत्मा जाग गई,
नाद ओंकार का यूं सुनाया,
नाद बम बम का मुझको सुनाया,
आत्मा जाग गयी,
शिव की जटा में थी गंग धारा,
धो गई मैल जो मन का सारा,
मैने गंगा में गोता लगाया,
आत्मा जाग गयी,
ऐसा भोले ने डमरू बजाया,
आत्मा जाग गयी॥

भोले की बारात का न्योता,
बाबा भोले नाथ का न्योता,
ले के चंदा मेरी छत पे आया,
आत्मा जाग गयी,
ऐसा भोले ने डमरू बजाया,
आत्मा जाग गयी॥

नींद कई जन्मों की टूटी,
शिव ने पिला के प्रेम की बूटी,
अपने हाथों से अमृत पिलाया,
आत्मा जाग गयी,
ऐसा भोले ने डमरू बजाया,
आत्मा जाग गयी॥

गौरी साथ मेरे भोले के,
कोमल हाथ मेरे भोले के,
हाथ सर पे मेरे जब घुमाया,
आत्मा जाग गयी,
ऐसा भोले ने डमरू बजाया,
आत्मा जाग गयी॥

ऐसा भोले ने डमरू बजाया,
आत्मा जाग गई,
नाद ओंकार का यूं सुनाया,
नाद बम बम का मुझको सुनाया,
आत्मा जाग गयी,
शिव की जटा में थी गंग धारा,
धो गई मैल जो मन का सारा,
मैने गंगा में गोता लगाया,
आत्मा जाग गयी,
ऐसा भोले ने डमरू बजाया,
आत्मा जाग गयी॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर आत्मा जाग गई ( भजन को रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह शिव भजन (shiv bhajan) रोमन में–

Read Aatma Jaag Gai Lyrics

aisā bhole ne ḍamarū bajāyā,
ātmā jāga gaī,
nāda oṃkāra kā yūṃ sunāyā,
nāda bama bama kā mujhako sunāyā,
ātmā jāga gayī,
śiva kī jaṭā meṃ thī gaṃga dhārā,
dho gaī maila jo mana kā sārā,
maine gaṃgā meṃ gotā lagāyā,
ātmā jāga gayī,
aisā bhole ne ḍamarū bajāyā,
ātmā jāga gayī॥

bhole kī bārāta kā nyotā,
bābā bhole nātha kā nyotā,
le ke caṃdā merī chata pe āyā,
ātmā jāga gayī,
aisā bhole ne ḍamarū bajāyā,
ātmā jāga gayī॥

nīṃda kaī janmoṃ kī ṭūṭī,
śiva ne pilā ke prema kī būṭī,
apane hāthoṃ se amṛta pilāyā,
ātmā jāga gayī,
aisā bhole ne ḍamarū bajāyā,
ātmā jāga gayī॥

gaurī sātha mere bhole ke,
komala hātha mere bhole ke,
hātha sara pe mere jaba ghumāyā,
ātmā jāga gayī,
aisā bhole ne ḍamarū bajāyā,
ātmā jāga gayī॥

aisā bhole ne ḍamarū bajāyā,
ātmā jāga gaī,
nāda oṃkāra kā yūṃ sunāyā,
nāda bama bama kā mujhako sunāyā,
ātmā jāga gayī,
śiva kī jaṭā meṃ thī gaṃga dhārā,
dho gaī maila jo mana kā sārā,
maine gaṃgā meṃ gotā lagāyā,
ātmā jāga gayī,
aisā bhole ne ḍamarū bajāyā,
ātmā jāga gayī॥

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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