कविता

अब के ना सावन बरसे – Ab Ke Na Sawan Barse Lyrics in Hindi

“अब के ना सावन बरसे” 1976 की प्रसिद्ध फ़िल्म किनारा का गाना है। इसे सुरों से सजाया है लता मंगेशकर ने व संगीतबद्ध किया है राहुल देव बर्मन ने। गुलज़ार की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। फ़िल्म में जीतेन्द्र, हेमा मालिनी, धर्मेन्द्र और केष्टो मुखर्जी ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। पढ़ें अब के ना सावन बरसे के बोल हिंदी में (Ab Ke Na Sawan Barse lyrics in Hindi)–

“अब के ना सावन बरसे” लिरिक्स

अबके ना सावन बरसे
अबके ना सावन बरसे
हो अबके बरस तो बरसेंगी अँखियाँ
अबके ना सावन बरसे
हो अबके बरस तो बरसेंगी अँखियाँ
अबके ना सावन बरसे

जाने कैसे अबके ये मौसम बेएते
आ आ आ आ
जाने कैसे अबके ये मौसम बेएते
बेएतेगी जो तेरे बिन वो कम बेएते
तेरे बिना सावन सूने
तेरे बिना अब तो ये मन तरसे..

जाने कब आये दिन, दिन ढल जाये
दिन ढल जाये
जाने कब आये दिन, दिन ढल जाये
तेरे बिन अँखियों से रात ना जाये
तेरे बिना रात ना जाये
तेरे बिना अब तो ये दिन तरसे

किनारा से जुड़े तथ्य

फिल्मकिनारा
वर्ष1976
गायक / गायिकालता मंगेशकर
संगीतकारराहुल देव बर्मन
गीतकारगुलज़ार
अभिनेता / अभिनेत्रीजीतेन्द्र, हेमा मालिनी, धर्मेन्द्र, केष्टो मुखर्जी

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम अब के ना सावन बरसे गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें Ab Ke Na Sawan Barse रोमन में-

Ab Ke Na Sawan Barse Lyrics in Hindi

abake nā sāvana barase
abake nā sāvana barase
ho abake barasa to baraseṃgī a~khiyā~
abake nā sāvana barase
ho abake barasa to baraseṃgī a~khiyā~
abake nā sāvana barase

jāne kaise abake ye mausama beete
ā ā ā ā
jāne kaise abake ye mausama beete
beetegī jo tere bina vo kama beete
tere binā sāvana sūne
tere binā aba to ye mana tarase..

jāne kaba āye dina, dina ḍhala jāye
dina ḍhala jāye
jāne kaba āye dina, dina ḍhala jāye
tere bina a~khiyoṃ se rāta nā jāye
tere binā rāta nā jāye
tere binā aba to ye dina tarase

Facts about the Film

FilmKinara
Year1976
SingerLata Mangeshkar
MusicRahul Dev Burman
LyricsGulzar
ActorsJeetendra, Hema Malini, Dharmendra, Keshto Mukherjee

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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