अंजनी माता चालीसा – Anjani Mata Chalisa
अंजनी माता चालीसा का पाठ करें। इसे पढ़ने से सारे काम पूरे होते हैं, जीवन में विपत्तियों का ह्रास होने लगता है व शक्ति-संचय होता है। स्वयं अंजनी माता चालीसा में कहा गया है कि जो माता की शरण में जाता है माँ उसकी रक्षा करती हैं और उसके सारे पाप-ताप का हरण कर लेती हैं। जो सुबह-शाम अंजनी चालीसा का पाठ करता है और माता का नित्य ध्यान करता है, उसके हृदय में जो भी इच्छा हो वह पूर्ण हो जाती है। पढ़ें अंजनी माता चालीसा–
॥ दोहा ॥
चैत्र सुदी वैसाख सुदी, जेष्ठ सुदी को जान।
आसाढ़ श्रावण सुदी, चौदस को पहचान॥
भादुड़ा आसौज की, और कार्तिक की सुदी।
सुदी मार्गशीर्ष और पौष की देती सबको बुद्धि ॥
फाल्गुन सुदी चतुर्दशी पूजे सब नरनार।
अंजनी माता आपका कारज देसी सार॥
॥ चौपाई ॥
रिमझिम रिमझिम मेहा बर्षे।
मानो चन्दन फुहार दर्से ॥
इन्दर गाजे पवन पुरवायी।
सांची माता अंजनी आयी॥
देख मात को हनुमत हर्षे ।
चरण कमल में मस्तक स्पर्से ॥
चौकी चाँदी की सरकाई।
जिस पर बैठी अंजनी माई।
हाथ पसार गोंद बैठाया।
पुत्र प्रेम पय पान कराया॥
मस्तक पर मेला निज हाथ ।
भला करे राम रघुनाथ ॥
सिंहासन पर सालग्राम हैं।
कृष्ण चन्द्र लक्ष्मी जी बाम हैं॥
दर्शन करने इसका. आई।
आसन चौकी चाँदी पाई॥
माता कहे सुनो हनुमाना।
जो मन भावे माँगो वरदाना ॥
बोले हनुमान सुनो मेरी माई।
देवो वरदान सदा सुखदाई॥
सालासर नगरी के अन्दर।
बने मात का सुन्दर मन्दिर ॥
वचन दिया माता ने अपना।
बारह वर्ष का साँचा सपना॥
सुहाग भाग आनन्द की दाता।
सुमरो श्रीहनुमंत की माता॥
साँझ सवेरे ध्यान लगाओ।
मन इच्छा माँगो सो पाओ॥
हरो मात सब संकट दूषण।
आन चढ़ाऊँ सुवरण भूषण ॥
चीर बढ़ा अंजनी माता का।
है प्रताप अन धन दाता का॥
लगे दुहाई माता के चीर की।
रक्षा करे बालक के शरीर की॥
अंजनी माता रक्षा करेगी।
आप ताप संकट को हरेगी॥
जय जय अंजनी मात भवानी ।
जय कपि केशरी की पटरानी॥
जय जय गौतम ऋषि कुमारी |
जय जय मात जाऊँ बलिहारी॥
देखो माता पुत्र खिलावे।
अंगुली से घी चीनी चटावे ॥
केशरी राजा गिरा उचारे।
आओ मेरे प्राण पियारे॥
मीठी मीठी धरी मिठाई।
खड़ी पुकारे अंजना माई॥
करो कलेवा मेरे लाला।
पीवो अमृत बजरंग बाला ॥
पाटी लेकर पढ़बा जावो।
सूर्य देव से विद्या पाओ॥
अवधपति ने यज्ञ किया था।
अग्नि देव ने खीर दिया था॥
कौशल्या के जन्मे राम।
भरत कैकेयी के सुख धाम॥
लक्ष्मण और शत्रुध्न वीरा।
नित खेलें सरयू के तीरा॥
हनुमान की अंजनी माई।
कौशल्या माता मन भाई॥
कौशल्या के हनुमत प्यारा।
होय राम से कभी न न्यारा ॥
शंकर-सुत और पवन कुमारा।
बजरंगी है नाम तुम्हारा ॥
करि मात की कोख उजागर।
बल बुद्धि विद्या गुणसागर॥
ब्रह्म वंश जो सेवा करते।
ज्ञान भक्ति से हृदय भरते॥
मात अंजनी नाम अमर है।
क्षत्रिय ध्यावे जीत समर है॥
जपे सेठ अरु साहूकारा।
अन्न धन से सब भरे भंडारा॥
चारों वर्ण माता को ध्यावें।
मात कृपा से वे सुख पावें॥
अंजनी माता का चालीसा।
मनसा पूरण विश्वा बीसा ॥
॥ दोहा ॥
राजस्थान की भूमि में सालासर है ग्राम।
जहाँ प्रगटी मातेश्वरी, जग में जाहिर नाम॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर अंजनी माता चालीसा (Anjani Mata Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह चालीसा रोमन में–
Read Anjani Mata Chalisa
॥ dohā ॥
caitra sudī vaisākha sudī, jeṣṭha sudī ko jāna।
āsāḍha़ śrāvaṇa sudī, caudasa ko pahacāna॥
bhāduḍa़ā āsauja kī, aura kārtika kī sudī।
sudī mārgaśīrṣa aura pauṣa kī detī sabako buddhi ॥
phālguna sudī caturdaśī pūje saba naranāra।
aṃjanī mātā āpakā kāraja desī sāra॥
॥ caupāī ॥
rimajhima rimajhima mehā barṣe।
māno candana phuhāra darse ॥
indara gāje pavana puravāyī।
sāṃcī mātā aṃjanī āyī॥
dekha māta ko hanumata harṣe ।
caraṇa kamala meṃ mastaka sparse ॥
caukī cā~dī kī sarakāī।
jisa para baiṭhī aṃjanī māī।
hātha pasāra goṃda baiṭhāyā।
putra prema paya pāna karāyā॥
mastaka para melā nija hātha ।
bhalā kare rāma raghunātha ॥
siṃhāsana para sālagrāma haiṃ।
kṛṣṇa candra lakṣmī jī bāma haiṃ॥
darśana karane isakā. āī।
āsana caukī cā~dī pāī॥
mātā kahe suno hanumānā।
jo mana bhāve mā~go varadānā ॥
bole hanumāna suno merī māī।
devo varadāna sadā sukhadāī॥
sālāsara nagarī ke andara।
bane māta kā sundara mandira ॥
vacana diyā mātā ne apanā।
bāraha varṣa kā sā~cā sapanā॥
suhāga bhāga ānanda kī dātā।
sumaro śrīhanumaṃta kī mātā॥
sā~jha savere dhyāna lagāo।
mana icchā mā~go so pāo॥
haro māta saba saṃkaṭa dūṣaṇa।
āna caḍha़āū~ suvaraṇa bhūṣaṇa ॥
cīra baḍha़ā aṃjanī mātā kā।
hai pratāpa ana dhana dātā kā॥
lage duhāī mātā ke cīra kī।
rakṣā kare bālaka ke śarīra kī॥
aṃjanī mātā rakṣā karegī।
āpa tāpa saṃkaṭa ko haregī॥
jaya jaya aṃjanī māta bhavānī ।
jaya kapi keśarī kī paṭarānī॥
jaya jaya gautama ṛṣi kumārī |
jaya jaya māta jāū~ balihārī॥
dekho mātā putra khilāve।
aṃgulī se ghī cīnī caṭāve ॥
keśarī rājā girā ucāre।
āo mere prāṇa piyāre॥
mīṭhī mīṭhī dharī miṭhāī।
khaḍa़ī pukāre aṃjanā māī॥
karo kalevā mere lālā।
pīvo amṛta bajaraṃga bālā ॥
pāṭī lekara paḍha़bā jāvo।
sūrya deva se vidyā pāo॥
avadhapati ne yajña kiyā thā।
agni deva ne khīra diyā thā॥
kauśalyā ke janme rāma।
bharata kaikeyī ke sukha dhāma॥
lakṣmaṇa aura śatrudhna vīrā।
nita kheleṃ sarayū ke tīrā॥
hanumāna kī aṃjanī māī।
kauśalyā mātā mana bhāī॥
kauśalyā ke hanumata pyārā।
hoya rāma se kabhī na nyārā ॥
śaṃkara-suta aura pavana kumārā।
bajaraṃgī hai nāma tumhārā ॥
kari māta kī kokha ujāgara।
bala buddhi vidyā guṇasāgara॥
brahma vaṃśa jo sevā karate।
jñāna bhakti se hṛdaya bharate॥
māta aṃjanī nāma amara hai।
kṣatriya dhyāve jīta samara hai॥
jape seṭha aru sāhūkārā।
anna dhana se saba bhare bhaṃḍārā॥
cāroṃ varṇa mātā ko dhyāveṃ।
māta kṛpā se ve sukha pāveṃ॥
aṃjanī mātā kā cālīsā।
manasā pūraṇa viśvā bīsā ॥
॥ dohā ॥
rājasthāna kī bhūmi meṃ sālāsara hai grāma।
jahā~ pragaṭī māteśvarī, jaga meṃ jāhira nāma॥
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