कविता

बाग में कली खिली – Baag Mein Kali Khili Lyrics in Hindi

“बाग में कली खिली” 1965 की प्रसिद्ध फ़िल्म चांद और सूरज का गाना है। इसे सुरों से सजाया है आशा भोसले ने व संगीतबद्ध किया है सलिल चौधरी ने। शैलेंद्र की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। फ़िल्म में तनूजा और धर्मेंद्र ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। पढ़ें बाग में कली खिली के बोल हिंदी में (Baag Mein Kali Khili lyrics in Hindi)–

“बाग में कली खिली” लिरिक्स

बाग में कली खिली, बगिया महकी
पर हाय रे, अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिछी, बहकी-बहकी
और बेवजह, घड़ी-घड़ी ये दिल घबराया
हाय रे, क्यों ना आया
क्यों न आया, क्यों न आया

बैठे हैं हम तो अरमां जगाए
सीने में लाखों तूफां छुपाये
मत पूछो मन को कैसे मनाया
बाग़ में कली खिली…

सपने जो आये तड़पा के जाये
दिल की लगी को लहका के जाये
मुश्किल से हमने हर दिन बिताया
बाग में कली खिली…

इक मीठी अगनी में जलता है तनमन
बात और बिगड़ी, बरसा जो सावन
बचपन गँवा के मैने सब कुछ गँवाया
बाग़ में कली खिली…

चांद और सूरज के इस गीत से जुड़े तथ्य

फिल्मचांद और सूरज
वर्ष1965
गायक / गायिकाआशा भोसले
संगीतकारसलिल चौधरी
गीतकारशैलेंद्र
अभिनेता / अभिनेत्रीतनूजा, धर्मेंद्र

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम बाग में कली खिली गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें Baag Mein Kali Khili रोमन में-

Baag Mein Kali Khili Lyrics in Hindi

bāga meṃ kalī khilī, bagiyā mahakī
para hāya re, abhī idhara bha~varā nahīṃ āyā
rāha meṃ naja़ra bichī, bahakī-bahakī
aura bevajaha, ghaḍa़ī-ghaḍa़ī ye dila ghabarāyā
hāya re, kyoṃ nā āyā
kyoṃ na āyā, kyoṃ na āyā

baiṭhe haiṃ hama to aramāṃ jagāe
sīne meṃ lākhoṃ tūphāṃ chupāye
mata pūcho mana ko kaise manāyā
bāग़ meṃ kalī khilī…

sapane jo āye taḍa़pā ke jāye
dila kī lagī ko lahakā ke jāye
muśkila se hamane hara dina bitāyā
bāga meṃ kalī khilī…

ika mīṭhī aganī meṃ jalatā hai tanamana
bāta aura bigaḍa़ī, barasā jo sāvana
bacapana ga~vā ke maine saba kucha ga~vāyā
bāग़ meṃ kalī khilī…

Facts about the Song

FilmChand Aur Suraj
Year1965
SingerAsha Bhosle
MusicSaleel Chowdhury
LyricsShailendra
ActorsTanuja, Dharmendra

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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