धर्म

भगवान अजितनाथ की आरती – Bhagwan Ajitnath Aarti

भगवान अजितनाथ की आरती का श्रद्धा व भक्ति से किया गया निरंतर पाठ रोग-दोष के प्रकोप से मुक्ति दिलाता हैI अजीतनाथ जी–जो कि जैन धर्म के द्वितीय तीर्थंकर हैं–का जन्म भी प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में हुआ थाI भगवान अजितनाथ की आरती सभी मुरादों को पूर्ण करने वाली मानी गई हैI कहते हैं कि अजितनाथ जी आरती (Bhagwan Ajitnath Aarti) करने से तप, सदाचार और संयम जैसे गुणों का जीवन में विकास होता हैI जीवन में सुख-शांति और सम्पन्नता की कामना के साथ अजितनाथ आरती का पाठ करेंI

यह भी पढ़ें – अजितनाथ चालीसा

आरति करो रे.
श्री अजितनाथ तीर्थंकर जिन की आरति करो रे।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे……
श्री अजितनाथ तीर्थंकर जिन की आरति करो रे॥टेक.॥

नगरि अयोध्या धन्य हो गयी, जहाँ प्रभू ने जन्म लिया,
माघ सुदी दशमी तिथि थी, इन्द्रों ने जन्मकल्याण किया।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
जितशत्रु पिता, विजयानन्दन की आरति करो रे॥श्री अजितनाथ.॥१॥

हाथी चिन्ह सहित तीर्थंकर, स्वर्ण वर्ण के धारी हैं,
माघ सुदी नवमी को प्रभु ने, जिनदीक्षा स्वीकारी है।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
केवलज्ञानी तीर्थंकर प्रभु की आरति करो रे॥श्री अजितनाथ.॥२॥

चैत्र सुदी पंचमी तिथी थी, गिरि सम्मेद से मुक्त हुए,
पाई शाश्वत् सिद्धगती, उन परम जिनेश्वर को प्रणमें।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
उन सिद्धशिला के स्वामी प्रभु की आरति करो रे॥श्री अजितनाथ.॥३॥

सुर नर मुनिगण भक्ति-भाव से, निशदिन ध्यान लगाते हैं,
कर्म शृंखला अपनी काटें, परम श्रेष्ठ पद पाते हैं।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
चंदनामती शिवपद आशा ले, आरति करो रे॥श्री अजितनाथ.॥४॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर भगवान अजितनाथ जी आरती (Bhagwan Ajitnath Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भगवान अजितनाथ जी आरती रोमन में–

ārati karo re.
śrī ajitanātha tīrthaṃkara jina kī ārati karo re।
ārati karo, ārati karo, ārati karo re……
śrī ajitanātha tīrthaṃkara jina kī ārati karo re॥ṭeka.॥

nagari ayodhyā dhanya ho gayī, jahā~ prabhū ne janma liyā,
māgha sudī daśamī tithi thī, indroṃ ne janmakalyāṇa kiyā।
ārati karo, ārati karo, ārati karo re,
jitaśatru pitā, vijayānandana kī ārati karo re॥śrī ajitanātha.॥1॥

hāthī cinha sahita tīrthaṃkara, svarṇa varṇa ke dhārī haiṃ,
māgha sudī navamī ko prabhu ne, jinadīkṣā svīkārī hai।
ārati karo, ārati karo, ārati karo re,
kevalajñānī tīrthaṃkara prabhu kī ārati karo re॥śrī ajitanātha.॥2॥

caitra sudī paṃcamī tithī thī, giri sammeda se mukta hue,
pāī śāśvat siddhagatī, una parama jineśvara ko praṇameṃ।
ārati karo, ārati karo, ārati karo re,
una siddhaśilā ke svāmī prabhu kī ārati karo re॥śrī ajitanātha.॥3॥

sura nara munigaṇa bhakti-bhāva se, niśadina dhyāna lagāte haiṃ,
karma śṛṃkhalā apanī kāṭeṃ, parama śreṣṭha pada pāte haiṃ।
ārati karo, ārati karo, ārati karo re,
caṃdanāmatī śivapada āśā le, ārati karo re॥śrī ajitanātha.॥4॥

अन्य आरतियाँ पढ़ें

आदिनाथ भगवान की आरतीभगवान संभवनाथ की आरतीअभिनंदननाथ भगवान की आरतीभगवान सुमतिनाथ की आरती
भगवान पद्ममप्रभु की आरतीभगवान सुपार्श्वनाथ की आरती चंद्रप्रभु आरतीभगवान पुष्पदंत की आरती
भगवान शीतलनाथ की आरतीश्रेयांसनाथ आरतीभगवान वासुपूज्य की आरतीभगवान विमलनाथ की आरती
भगवान अनंतनाथ की आरतीभगवान धर्मनाथ की आरतीभगवान शांतिनाथ की आरतीभगवान कुंथुनाथ की आरती
भगवान अरहनाथ की आरतीमल्लिनाथ की आरतीभगवान मुनि सुव्रतनाथ की आरतीभगवान नमिनाथ की आरती
भगवान नेमिनाथ की आरतीपारसनाथ की आरतीमहावीर भगवान की आरती

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!
Exit mobile version