भगवान नमिनाथ की आरती – Naminath Aarti
भगवान नमिनाथ की आरती (Naminath Aarti) करने से भक्तों के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैंI साथ ही भगवान नमिनाथ की आरती भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सन्मार्ग की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती हैI कहा जाता है पूर्ण विश्वास के साथ भगवान श्री नमिनाथ की आरती तथा उनका ध्यान करने से हमारे भीतर ऊर्जा और शक्ति का ऐसा संचार होता है जो जीवन से निराशा और नकारात्मकता का अंत करती हैI इसीलिए भगवान नमिनाथ की आरती पढ़ने से पाठकों को जीवन में सफलता एवं समृद्धि मिलती है और उनके सभी कष्टों का अंत होता हैI
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श्री नमिनाथ जिनेश्वर प्रभु की, आरति है सुखकारी।
भव दु:ख हरती, सब सुख भरती, सदा सौख्य करतारी॥
प्रभू की जय ………….॥टेक.॥
मथिला नगरी धन्य हो गई, तुम सम सूर्य को पाके,
मात वप्पिला, विजय पिता, जन्मोत्सव खूब मनाते,
इन्द्र जन्मकल्याण मनाने, स्वर्ग से आते भारी।
भव दुख……….॥प्रभू………..॥१॥
शुभ आषाढ़ वदी दशमी, सब परिग्रह प्रभु ने त्यागा,
नम: सिद्ध कह दीक्षा धारी, आत्म ध्यान मन लागा,
ऐसे पूर्ण परिग्रह त्यागी, मुनि पद धोक हमारी।
भव दुख……….॥प्रभू………..॥२॥
मगशिर सुदि ग्यारस प्रभु के, केवलरवि प्रगट हुआ था,
समवसरण शुभ रचा सभी, दिव्यध्वनि पान किया था,
हृदय सरोज खिले भक्तों के, मिली ज्ञान उजियारी।
भव दुख……….॥प्रभू………..॥३॥
तिथि वैशाख वदी चौदस, निर्वाण पधारे स्वामी,
श्री सम्मेदशिखर गिरि है, निर्वाणभूमि कल्याणी,
उस पावन पवित्र तीरथ का, कण-कण है सुखकारी।
भव दुख……….॥प्रभू………..॥४॥
हे नमिनाथ जिनेश्वर तव, चरणाम्बुज में जो आते,
श्रद्धायुत हों ध्यान धरें, मनवांछित पदवी पाते,
आश एक ‘‘चंदनामती’’ शिवपद पाऊँ अविकारी।
भव दुख……….॥प्रभू………..॥५॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर भगवान नमिनाथ की आरती (Naminath Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भगवान नमिनाथ की आरती रोमन में–
śrī naminātha jineśvara prabhu kī, ārati hai sukhakārī।
bhava du:kha haratī, saba sukha bharatī, sadā saukhya karatārī॥
prabhū kī jaya ………….॥ṭeka.॥
mathilā nagarī dhanya ho gaī, tuma sama sūrya ko pāke,
māta vappilā, vijaya pitā, janmotsava khūba manāte,
indra janmakalyāṇa manāne, svarga se āte bhārī।
bhava dukha……….॥prabhū………..॥1॥
śubha āṣāḍha़ vadī daśamī, saba parigraha prabhu ne tyāgā,
nama: siddha kaha dīkṣā dhārī, ātma dhyāna mana lāgā,
aise pūrṇa parigraha tyāgī, muni pada dhoka hamārī।
bhava dukha……….॥prabhū………..॥2॥
magaśira sudi gyārasa prabhu ke, kevalaravi pragaṭa huā thā,
samavasaraṇa śubha racā sabhī, divyadhvani pāna kiyā thā,
hṛdaya saroja khile bhaktoṃ ke, milī jñāna ujiyārī।
bhava dukha……….॥prabhū………..॥3॥
tithi vaiśākha vadī caudasa, nirvāṇa padhāre svāmī,
śrī sammedaśikhara giri hai, nirvāṇabhūmi kalyāṇī,
usa pāvana pavitra tīratha kā, kaṇa-kaṇa hai sukhakārī।
bhava dukha……….॥prabhū………..॥4॥
he naminātha jineśvara tava, caraṇāmbuja meṃ jo āte,
śraddhāyuta hoṃ dhyāna dhareṃ, manavāṃchita padavī pāte,
āśa eka ‘‘caṃdanāmatī’’ śivapada pāū~ avikārī।
bhava dukha……….॥prabhū………..॥5॥