पारसनाथ आरती – Parasnath Aarti
पारसनाथ आरती भक्तिपूर्वक करने से कभी भी धन धान्य में कमी नहीं होती है। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ की आरती शुभफल-दायिनी और मोक्ष प्रदायिनी है, जो भक्तों को सांसारिक बंधनों से मुक्त करती है। भक्तों द्वारा संतान प्राप्ति के लिए भी भगवान श्री पारसनाथ आरती (Parasnath Aarti) का पाठ किया जाता है। अनंत शक्ति की भंडार भगवान पारसनाथ आरती यहां पढ़ें।
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करते हैं प्रभू की आरति,
मन का दीप जलेगा।
पारस प्रभु की भक्ती से,
मन संक्लेश धुलेगा॥
जय पारस देवा,
जय पारस देवा-२॥ टेक.॥
हे अश्वसेन के नन्दन,
वामा माता के प्यारे।
तेईसवें तीर्थंकर पारस,
प्रभु तुम जग से न्यारे॥
तेरी भक्ती गंगा में,
जो स्नान करेगा।
पारस प्रभु की भक्ती से,
मन संक्लेश धुलेगा॥
जय पारस देवा-४॥१॥
वाराणसि में जन्में,
निर्वाण शिखरजी से पाया।
इक लोहा भी प्रभु चरणों में,
सोना बनने आया॥
सोना ही क्या वह लोहा,
पारसनाथ बनेगा।
पारस प्रभु की भक्ती से,
मन संक्लेश धुलेगा॥
जय पारस देवा-४॥२॥
सुनते हैं जग में वैर सदा,
दो तरफा चलता है।
पर पाश्र्वनाथ का जीवन,
इसे चुनौती करता है॥
इक तरफा वैरी ही कब तक,
उपसर्ग करेगा।
पारस प्रभु की भक्ती से,
मन संक्लेश धुलेगा॥
जय पारस देवा-४॥३॥
कमठासुर ने बहुतेक भवों में,
आ उपसर्ग किया।
पारसप्रभु ने सब सहकर,
केवलपद को प्राप्त किया॥
वैâवल्य ज्योति से पापों,
का अंधेर मिटेगा।
पारस प्रभु की भक्ती से,
मन संक्लेश धुलेगा॥
जय पारस देवा-४॥४॥
प्रभु तेरी आरति से मैं भी,
यह शक्ती पा जाऊं।
‘‘चंदनामती’’ तव गुणमणि की,
माला यदि पा जाऊं।
तब जग में निंह शत्रू का,
मुझ पर वार चलेगा।
पारस प्रभु की भक्ती से,
मन संक्लेश धुलेगा॥
जय पारस देवा-४॥५॥
भगवान श्री पारसनाथ की आरती – 2
ॐ जय पारस स्वामी,
प्रभु जय पारस स्वामी।
वाराणसि में जन्में,
त्रिभुवन में नामी॥
ॐ जय.॥
अश्वसेन के नंदन,
वामा के प्यारे॥माता वामा…….
तेइसवें तीर्थंकर-२,
तुम जग से न्यारे॥
ॐ जय.॥१॥
वदि वैशाख दुतीया,
गर्भकल्याण हुआ।स्वामी…..
पौष कृष्ण एकादशि-२,
जन्मकल्याण हुआ॥
ॐ जय.॥२॥
जन्मदिवस ही दीक्षा,
धारण की तुमने।स्वामी……
बालब्रह्मचारी बन-२,
तप कीना वन में॥
ॐ जय.॥३॥
कमठासुर ने तुम पर,
घोर उपसर्ग किया।स्वामी……
अहिच्छत्र में तुमने-२,
पद कैवल्य लिया॥
ॐ जय.॥४॥
श्री सम्मेदशिखर पर,
मोक्षधाम पाया।स्वामी……
मोक्षकल्याण मनाकर-२,
हर मन हरषाया॥
ॐ जय.॥५॥
परमसहिष्णु प्रभू की,
आरति को आए।स्वामी……
यही ‘‘चंदनामती’’ अरज है-२,
तव गुण मिल जाएं॥
ॐ जय.॥६॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर भगवान श्री पारसनाथ आरती (Parasnath Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भगवान श्री पारसनाथ की आरती रोमन में–
karate haiṃ prabhū kī ārati,
mana kā dīpa jalegā।
pārasa prabhu kī bhaktī se,
mana saṃkleśa dhulegā॥
jaya pārasa devā,
jaya pārasa devā-2॥ ṭeka.॥
he aśvasena ke nandana,
vāmā mātā ke pyāre।
teīsaveṃ tīrthaṃkara pārasa,
prabhu tuma jaga se nyāre॥
terī bhaktī gaṃgā meṃ jo snāna karegā।
pārasa prabhu kī bhaktī se,
mana saṃkleśa dhulegā॥
jaya pārasa devā-4॥1॥
vārāṇasi meṃ janmeṃ,
nirvāṇa śikharajī se pāyā।
ika lohā bhī prabhu caraṇoṃ meṃ,
sonā banane āyā॥
sonā hī kyā vaha lohā,
pārasanātha banegā।
pārasa prabhu kī bhaktī se,
mana saṃkleśa dhulegā॥
jaya pārasa devā-4॥2॥
sunate haiṃ jaga meṃ vaira sadā,
do taraphā calatā hai।
para pāśrvanātha kā jīvana,
ise cunautī karatā hai॥
ika taraphā vairī hī kaba taka,
upasarga karegā।
pārasa prabhu kī bhaktī se,
mana saṃkleśa dhulegā॥
jaya pārasa devā-4॥3॥
kamaṭhāsura ne bahuteka bhavoṃ meṃ,
ā upasarga kiyā।
pārasaprabhu ne saba sahakara,
kevalapada ko prāpta kiyā॥
vaiâvalya jyoti se pāpoṃ kā,
aṃdhera miṭegā।
pārasa prabhu kī bhaktī se,
mana saṃkleśa dhulegā॥
jaya pārasa devā-4॥4॥
prabhu terī ārati se maiṃ bhī,
yaha śaktī pā jāūṃ।
‘‘caṃdanāmatī’’ tava guṇamaṇi kī,
mālā yadi pā jāūṃ।
taba jaga meṃ niṃha śatrū kā,
mujha para vāra calegā।
pārasa prabhu kī bhaktī se,
mana saṃkleśa dhulegā॥
jaya pārasa devā-4॥5॥
bhagavāna śrī pārasanātha kī āratī – 2
oṃ jaya pārasa svāmī,
prabhu jaya pārasa svāmī।
vārāṇasi meṃ janmeṃ,
tribhuvana meṃ nāmī॥
oṃ jaya.॥
aśvasena ke naṃdana,
vāmā ke pyāre॥mātā vāmā…….
teisaveṃ tīrthaṃkara-2,
tuma jaga se nyāre॥
oṃ jaya.॥1॥
vadi vaiśākha dutīyā,
garbhakalyāṇa huā।svāmī…..
pauṣa kṛṣṇa ekādaśi-2,
janmakalyāṇa huā॥
oṃ jaya.॥2॥
janmadivasa hī dīkṣā,
dhāraṇa kī tumane।svāmī……
bālabrahmacārī bana-2,
tapa kīnā vana meṃ॥
oṃ jaya.॥3॥
kamaṭhāsura ne tuma para,
ghora upasarga kiyā।svāmī……
ahicchatra meṃ tumane-2,
pada kaivalya liyā॥
oṃ jaya.॥4॥
śrī sammedaśikhara para,
mokṣadhāma pāyā।svāmī……
mokṣakalyāṇa manākara-2,
hara mana haraṣāyā॥
oṃ jaya.॥5॥
paramasahiṣṇu prabhū kī,
ārati ko āe।svāmī……
yahī ‘‘caṃdanāmatī’’ araja hai-2,
tava guṇa mila jāeṃ॥
oṃ jaya.॥6॥