धर्म

भैरूनाथ आरती – Bhairunath Aarti

भैरूनाथ आरती (Bhairunath Aarti) का प्रभाव तीनों लोकों को प्रकाशित करने में सक्षम है। जो श्रद्धावान व्यक्ति निष्कल हृदय से भैरूनाथ आरती गाता है उसका दीन-दारिद्र्य नष्ट हो जाता है और नानाविध धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। लाल शृंगार से युक्त भैरूनाथ सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करने वाले हैं। वे पुत्रहीन को पुत्र देते हैं और सबके सारे काम आसानी से बनाने वाले हैं। जो सच्चे मन से भैरूनाथ आरती गाता है और बाबा का ध्यान करता है, उसे जीवन में अमित सुख और परम शान्ति की प्राप्ति होती है। पढ़ें भैरूनाथ आरती–

जय भैरूनाथ हरे, जय जय भैरूनाथ हरे।
जो कोई शरणे आवे, दुखड़ा दूर करे।

ऊंचा आप विराज्या, सिर छतर धारी।
लाल शृंगार सजायो, मंगल मन हारी॥
जय भैरूनाथ ….

निर्धन ने धन देवे, दारिद दूर करे।
पुत्रहीन सुख पावे, सबरा काज सरे॥
जय भैरूनाथ ….

सिसोदा देवल में, जगमग जोत जले।
साँचा मन जो ध्यावे, सब सुख शान्ति मिले॥
जय भैरूनाथ ….

निज पनघट में आसन, दुनियाँ दर्श करे।
भैरव महिमा मोटी,सब गुणगान करे॥
जय भैरूनाथ ….

शंख नगाड़ा झालर, री झणकार पड़े।
होय आरती भैरव, भक्तन भीड़ पड़े॥
जय भैरूनाथ ….

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर भैरूनाथ आरती (Bhairunath Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भैरूनाथ आरती रोमन में–

jaya bhairūnātha hare, jaya jaya bhairūnātha hare।
jo koī śaraṇe āve, dukhaḍa़ā dūra kare।
ūṃcā āpa virājyā, sira chatara dhārī।
lāla śṛṃgāra sajāyo, maṃgala mana hārī॥
jaya bhairūnātha ….

nirdhana ne dhana deve, dārida dūra kare।
putrahīna sukha pāve, sabarā kāja sare॥
jaya bhairūnātha ….

sisodā devala meṃ, jagamaga jota jale।
sā~cā mana jo dhyāve, saba sukha śānti mile॥
jaya bhairūnātha ….

nija panaghaṭa meṃ āsana, duniyā~ darśa kare।
bhairava mahimā moṭī,saba guṇagāna kare॥
jaya bhairūnātha ….

śaṃkha nagāḍa़ā jhālara, rī jhaṇakāra paḍa़e।
hoya āratī bhairava, bhaktana bhīḍa़ paḍa़e॥
jaya bhairūnātha ….

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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