धर्म

भूत पिशाच – Bhoot Pishach Nikat Nahi Aaye Lyrics

पढ़ें “भूत पिशाच” लिरिक्स

भूत पिशाच निकट नहीं आये
सब संकट टल जाये
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा)
अरे भूत पिशाच निकट नहीं आये
सब संकट टल जाये
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा
पढ़ो हनुमान चालीसा)

जो कोई पढता इसको
जीता है जग में बड़ी शान से
जो कोई पढता इसको
जीता है जग में ऊँची शान से
मिलती है रहती उसको
शक्ति भी प्यारे हनुमान से
बात नहीं है झूटी ये तो
है ये सच्चा किस्सा
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा)

भूत पिशाच निकट नहीं आये
सब संकट टल जाये
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा
पढ़ो हनुमान चालीसा)

इसको विभीषण ने पढ़ा
पढ़ते थे इसको सियाराम भी हाँ
इसको विभीषण ने पढ़ा
पढ़ते थे इसको सियाराम भी
तुम भी पढ़ो ना रे ‘लख्खा’
बाते है इसमें बड़े काम की
देश विदेश में चर्चा इसकी
चर्चा है चारो दिशा
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा)

भूत पिशाच निकट नहीं आये
सब संकट टल जाये
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा
पढ़ो हनुमान चालीसा)

आओ सुनाऊं तुम्हें
भक्ति भगत हनुमान की
आओ सुनाऊं तुम्हें
भक्ति भगत हनुमान की
मोतियन की माला दिए
खुश होके जब सियाराम जी
आया ना जब राम नाम तो
कह दिया हे जय शीशा
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा)

भूत पिशाच निकट नहीं आये
सब संकट टल जाये
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा
पढ़ो हनुमान चालीसा)

जब आये संकट भारी ओ
सुमिरन कर लो हनुमान का हाँ
जब आये संकट भारी
सुमिरन कर लो हनुमान का
कष्ट मिटेगा पल में
ध्यान जो करेगा हनुमान का
बालाजी का सुमिरन करलो
होगा स्वर्ग में हिस्सा
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा)

भूत पिशाच निकट नहीं आये
सब संकट टल जाये
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा
पढ़ो हनुमान चालीसा)

अरे भूत पिशाच निकट नहीं आये
सब संकट टल जाये
पढ़ो हनुमान चालीसा
(पढ़ो हनुमान चालीसा
पढ़ो हनुमान चालीसा
पढ़ो हनुमान चालीसा
पढ़ो हनुमान चालीसा)

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम इस भजन को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस भजन को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ेंभूत पिशाच निकट नहीं आये भजन रोमन में-

Read Bhoot Pishach Nikat Nahi Aaye Lyrics

bhūta piśāca nikaṭa nahīṃ āye
saba saṃkaṭa ṭala jāye
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā)
are bhūta piśāca nikaṭa nahīṃ āye
saba saṃkaṭa ṭala jāye
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā
paढ़o hanumāna cālīsā)

jo koī paḍhatā isako
jītā hai jaga meṃ baड़ī śāna se
jo koī paḍhatā isako
jītā hai jaga meṃ ū~cī śāna se
milatī hai rahatī usako
śakti bhī pyāre hanumāna se
bāta nahīṃ hai jhūṭī ye to
hai ye saccā kissā
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā)

bhūta piśāca nikaṭa nahīṃ āye
saba saṃkaṭa ṭala jāye
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā
paढ़o hanumāna cālīsā)

isako vibhīṣaṇa ne paढ़ā
paढ़te the isako siyārāma bhī hā~
isako vibhīṣaṇa ne paढ़ā
paढ़te the isako siyārāma bhī
tuma bhī paढ़o nā re ‘lakhkhā’
bāte hai isameṃ baड़e kāma kī
deśa videśa meṃ carcā isakī
carcā hai cāro diśā
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā)

bhūta piśāca nikaṭa nahīṃ āye
saba saṃkaṭa ṭala jāye
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā
paढ़o hanumāna cālīsā)

āo sunāūṃ tumheṃ
bhakti bhagata hanumāna kī
āo sunāūṃ tumheṃ
bhakti bhagata hanumāna kī
motiyana kī mālā die
khuśa hoke jaba siyārāma jī
āyā nā jaba rāma nāma to
kaha diyā he jaya śīśā
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā)

bhūta piśāca nikaṭa nahīṃ āye
saba saṃkaṭa ṭala jāye
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā
paढ़o hanumāna cālīsā)

jaba āye saṃkaṭa bhārī o
sumirana kara lo hanumāna kā hā~
jaba āye saṃkaṭa bhārī
sumirana kara lo hanumāna kā
kaṣṭa miṭegā pala meṃ
dhyāna jo karegā hanumāna kā
bālājī kā sumirana karalo
hogā svarga meṃ hissā
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā)

bhūta piśāca nikaṭa nahīṃ āye
saba saṃkaṭa ṭala jāye
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā
paढ़o hanumāna cālīsā)

are bhūta piśāca nikaṭa nahīṃ āye
saba saṃkaṭa ṭala jāye
paढ़o hanumāna cālīsā
(paढ़o hanumāna cālīsā
paढ़o hanumāna cālīsā
paढ़o hanumāna cālīsā
paढ़o hanumāna cālīsā)

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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