धर्म

हनुमान अमृतवाणी – Shri Hanuman Amritwani

हनुमान अमृतवाणी – Hanuman Amritwani Part 1

भक्त राज हनुमान का
सुमिरण है सुख कार
जीवन नौका को करे
भव सिन्धु से पार

संकट मोचन नाथ को
सौंप दे अपनी डोर
छटेगी दुखों को पल में
छायी घटा घनघोर

जब कष्टों के दैत्य को
लगेगा बजरंग बाण
होगी तेरी हर मुश्किल
धडियों में आसान

महा दयालु हनुमत का
जप ले मनवा नाम
काया निर्मल हो जाएगी
बनेंगे बिगड़े काम

जय जय जय हनुमान
जय हो दया निधान

कपि की करुणा से मन की
हर दुविधा हर जाए
दया की दृष्टि होते ही
पत्थर भी तर जाय

कल्प तरो हनुमंत से
भक्ति का फल मांग
एक हो भीतर बहार से
छोड़ रचा निस्वांग

इसकी कैसे मनोदसा
जानत है बजरंग
क्यों तू गिरगिट की तरह
रोज बदलता रंग

कांटे बोकर हर जगह
ढूँढ रहा तू फूल
घट-घट की वो जानता
क्यों गया रे तू भूल

जय जय जय हनुमान
जय हो दया निधान

करुणा मयी कपिराज को
धोखा तू मत दे
हर छलियों को वो छले
जब वो खेल करे

हम हैं खिलौने माटी के
हमरी क्या औकात
तोड़े रखे ये उसकी
मर्जी की है बात

साधक बन हनुमंत ने
जिस विधि पायो राम
बहुत नहीं तो थोड़ा ही
तू कर वैसा काम

बैठ किनारे सागर के
किमुती अनेकी आस
डूबन से मन डरता रे
कच्चा तेरा विश्वास

जय जय जय हनुमान
जय हो दया निधान

सुख सागर महावीर से
सुख की आंच न कर
दुःख भी उसी का खेल है
दुखों से ना डर

बिना जले ना भट्टी में
सोना कुंदन होय
आंच जरा सी लगते ही
क्यों तू मानव रोय

भक्ति कर हनुमान की
यही है मारग ठीक
मंजिल पानी है अगर
संकट सहना सिख

बुरे करम तो लाख हैं
भला कियो ना एक
फिर कहता हनुमंत से
मुझे दया से देख

जय जय जय हनुमान
जय हो दया निधान
जय जय जय हनुमान
जय हो दया निधान


हनुमान अमृतवाणी – Shri Hanuman Amritwani Part 2

रामायण की भव्य जो माला
हनुमत उसका रत्न निराला
निश्चय पूर्वक अलख जगाओ
जय जय जय बजरंग ध्याओ

अंतर्यामी है हनुमंता
लीला अनहद अमर अनंता
रामकी निष्ठा नस नस अंदर
रोम रोम रघुनाथ का मंदिर

सिद्धि महात्मा ये सुख धाम
इसको कोटि कोटि प्रमाण
तुलसीदास के भाग्य जगाये
साक्षात के दर्श दिखाए

सूझ बूझ धैर्य का है स्वामी
इसके भय खाते खलकामी
निर्भिमान चरित्र है उसका
हर एक खेल विचित्र है इसका

सुंदरकांड है महिमा इसकी
ऐसी शोभा और है किसकी
जिसपे मारुती की हो छाया
माया जाल ना उसपर आया

मंगलमूर्ति महसुखदायक
लाचारों के सदा सहायक
कपिराज ये सेवा परायण
इससे मांगो राम रसायन

जिसको दे भक्ति की युक्ति
जन्म मरण से मलती मुक्ति
स्वार्थ रहित हर काज है इसका
राम के मन पे राज है इसका

वाल्मीकि ने लिखी है महिमा
हनुमान के गुणों की गरिमा
ये ऐसी अनमोल कस्तूरी
जिसके बिना रामायण अधूरी

कैसा मधुर स्वाभाव है इसका
जन जन पर प्रभाव है इसका
धर्म अनुकूल नीति इसकी
राम चरण से प्रीती इसकी

दुर्गम काज सुगम ये करता
जन मानस की विपदा हरता
युगो में जैसे सतयुग प्यारा
सेवको में हनुमान निरारा

श्रद्धा रवि बजरंग की रे मन माला फेर
भय भद्रा छंट जाएंगे घडी लगे ना देर

अहिरावण को जिसने मारा
तुझे भी देगा वो ही सहारा
शत्रु सेना के विध्वंसक
धर्मी कर्मी के प्रसंशक

विजयलक्ष्मी से है विपोषित
महावीर की छवि है शोभित
बाहुबल प्रचंड है इसका
निर्णय अटल अखंड है इसका

हनु ने जग को ये समझाया
बिना साधना किसने पाया
ज्ञान से तुम अज्ञान मिटाओ
सद्गुण से दुर्गुण को भगाओ

हनुमत भजन यही सिखलाता
पुण्य से पाप अदृश्य हो जाता
जो जान पढ़े हनुमान चालीसा
हनु करे कल्याण उसी का

संकटमोचन जी भर पढ़िए
मन से कुछ विश्वास भी करिये
बिना भरोसे कुछ नहीं होता
तोता रहे पिंजरे का तोता

पाठ करो बजरंग बाण का
यही तो सूरज है कल्याण का
रोम रोम में शब्द उतारो
ऊपर ऊपर से ना पुकारो

हनुमान वाहुक है एक वाहन
सच्चे मन से करो आह्वान
अपना बनाएगा वो तुमको
गले लगाएगा वो तुमको

भीतर से यदि रोये ना कोई
उसका दिल से होये ना कोई
हनुमत उसको कैसे मिलेगा
सुख का कैसे फूल खिलेगा

मन है यदि कौवे के जैसा
हनु हनु फिर रटना है कैसा
कपडे धोने से क्या होगा
नस नस भीतर है यदि धोखा

मन की आँखे भी कभी खोलो
मन मंदिर में उसे टटोलो
हनुमत तेरे पास है रहता
देख तू पिके अमृत बहता

कपिपति हनुमंत की सेवा करके देख
तेरे नसीबो की पल में बदल जाएगी रेख

बजरंग सचिदानंद का प्यारा
भक्ति सुधा की पावन धारा
अर्जुन रथ की ध्वजा पे साजे
बन के सहायक वह विराजे

जनक नंदिनी की ममता में
अवधपुरी की सब जनता में
रमी हुई है छवि निराली
भक्त राम का भाग्यशाली

देखा एक दिन उसने जाके
सीता को सिन्दूर लगाते
भोलेपन में हनु ने पूछा
क्यूँ लागे ये इतना अच्छा

ऐसा करने से क्या होता
मांग में भरने से क्या होता
मुझे भी मैया कुछ बतलाओ
क्या रहस्य है ये समझाओ

जानकी माता बोली हँसके
बाँध लो पल्ले ये तुम कसके
न्याय करता अंतर्यामी
रघुवर जो है तुम्हरे स्वामी

जितना ये मैं मांग में भरती
उतनी उसकी आयु बढ़ती
मैं जो उसको मन से चाहती
इसीलिए ये धर्म निभाती

रामभक्त हनुमान प्यारे
तीन लोक से है जो न्यारे
श्रद्धा का वो रंग दिखाया
रंग ली झट सिन्दूर से काया

बिलकुल ही वो हो सिन्दूरी
प्रभु की भक्ति करके पूरी
अद्भुत ही ये रूप सजा के
राजसभा में पहुंचे जाके

देख कपि दी दशा न्यारी
खिलखिलाये सब दरबारी
प्रभु राम भी हँसके बोले
ये क्या रूप है हनुमत भोले

हनु कहा जो लोग है हँसते
वो नहीं इसका भेद समझते
जानकी मैया है ये कहती
इस से आपकी आयु बढ़ती

चोला ये सिन्दूर का चढ़े जो मंगलवार
कपि के स्वामी की इस से आयु बढे अपार

विजय प्राप्त कर जब लंका पे
राम अयोध्या नगरी लौटे
राजसिंहासन पर जब बैठे
फूल गगन से ख़ुशी के बरसे

जानकी वल्लभ करुणा कर ने
सबको दिए उपहार निराले
मुक्ताहार जो मणियों वाला
जिसका अद्भुत दिव्या उजाला

सीता जी के कंठ सजाया
राम ही जाने राम की माया
सीता ने पल देर ना कीन्ही
वो माला हनुमान को दीन्हि

महावीर थे कुछ घबराये
रहे देखते वो चकराए
जैसे उनको भाये ना माला
हृदय को भरमाये ना माला

गले से माला झट दी उतारी
तोड़े मोती बारी बारी
हीरे कई चबाकर देखे
सारे रत्न दबाकर देखे

व्याकुल उसकी हो गयी काया
पानी नैनन में भर आया
जैसे दिल ही टूट गया हो
भाग्य का दर्पण फूट गया हो

चकित हुए थे सब दरबारी
बोझ सिया के मन पे भारी
राम ने कैसे खेल रचाया
कोई भी इसको जान ना पाया

पूछा सिया ने अंजनी लाला
माँ का प्यार था ये तो माला
माँ की ममता क्यों ठुकरा दी
कौन सी गलती की ये सजा दी

बजरंग बोले आंसू भर के
जनक सुता के चरण पकड़ के
मैया हर एक मोती देखा
तोड़ तोड़ के सब कुछ परखा

कहीं ना मूरत राम की माता
वो माला किस काम की माता
कोड़ी के वो हीरे मोती
जिनमे राम की हो ना ज्योति

सुनके वचन हनुमान के कहा सिये तत्काल
राम तेरे तुम राम के हो ऐ अंजनी के लाल

एक समय की कथा ये सुनिए
कपि महिमा के मोती चुनिए
राम सेतु के निकट कहीं पर
राम की धुन में खोये कपिवर

सूर्य पुत्र शनि अभिमानी
ने जाने क्या मन में ठानी
हनुमान को आ ललकारा
देखना है बल मैंने तुम्हारा

बड़ा कुछ जग से सुना सुनाया
युद्ध मैं तुमसे करने आया
महावीर ने हँसके टाला
काहे रूप धरा विकराला

महाप्रतापी शनि तू मन
शक्ति कहीं जा और दिखाना
राम भजन दे करने मुझको
हाथ जोड़ मैं कहता तुझको

लेकिन टला ना वो अहंकारी
कहा अगर तू है बलकारी
मुझको शक्ति ज़रा तू दिखादे
कितने पानी में है बता दे

हनुमान से पूंछ बढ़ाकर
शनि के चारो ओर घुमाकर
कस के उसे लपेटा ऐसे
नाग जकड़ता किसी को जैसे

खूब घुमा के दिया जो झटका
बार बार पत्थरो पे पटका
हो गया जब वो लहू लुहान
चूर हो गया सब अभिमान

ऐसे अब ना छोडूंगा तुझको
कहा हनु ने वचन दे मुझको
मेरे भक्तो को तेरी दृष्टि
भूल के कष्ट कभी ना देगी

शनि ने हाँ का शक्त ऊंचारा
तब हुआ जाकर छुटकारा
चोट की पीड़ा से वो रोकर
तेल मांगने लगा दुखी होकर

शास्त्र हमें ये ही बताता
जो भी शनि को तेल चढ़ाता
उसकी दशा से वो बच जाता
हनुमान की महिमा गाता

शनि कभी जो आ घेरे मत डरियो इंसान
जाप करो हनुमान का हो जाए कल्याण

हनुमान निर्णायक शक्ति
हनुमान पुरषोतम भक्ति
हनुमान है मार्गदर्शक
हनुमान है भय विनाशक

हनुमान है दया निधान
हनुमान है गुणों की खान
हनुमान योद्धा सन्यासी
हनुमान है अमर अविनाशी

हनुमान बल बुद्धि दाता
हनुमान चित शुद्धि करता
हनुमान स्वामी का सेवक
हनुमान कल्याण दारक

हनुमान है ज्ञान ज्योति
हनुमान मुक्ति की युक्ति
हनुमान है दीन का रक्षक
हनुमान आदर्श है शिक्षक

हनुमान है सुख का सागर
हनुमान है न्याय दिवाकर
हनुमान है सच का अंजन
हनुमान निर्दोष निरंजन

हनुमान है आश्रय दाता
हनुमान सुखधाम विधाता
हनुमान है जग हितकारी
हनुमान है निर्विकारी

हनुमान त्रिकाल की जाने
हनुमान सबको पहचाने
हनुमान से मनवा जोड़ो
हनुमान से मुँह ना मोड़ो

हनुमान का कीजे चिंतन
हनुमान हर सुख का सागर
हनुमान को ना बिसराओ
हनुमान शरण में जाओ

हनुमान उत्तम दानी
हनुमान का जप कल्याणी
हनुमान जग पालनहारा
हनुमान ने सबको तारा

हनुमान की फेरो माला
हनुमान है दीनदयाला
हनुमान को सिमरो प्यारे
हनुमान है साथ तुम्हारे

पवन के सुत हनुमान का जिसके सिर पर हाथ
उसको कभी डराये ना दुःख की काली रात

जय जय जय हनुमान, जय हो दया निधान
जय जय जय हनुमान, जय हो दया निधान
जय जय जय हनुमान, जय हो दया निधान

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर इन भजनों को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह दोनों भजन रोमन में–

Read Anuradha Paudwal Shree Hanuman Amritwani Part 1

bhakta rāja hanumāna kā
sumiraṇa hai sukha kāra
jīvana naukā ko kare
bhava sindhu se pāra

saṃkaṭa mocana nātha ko
sauṃpa de apanī ḍora
chaṭegī dukhoṃ ko pala meṃ
chāyī ghaṭā ghanaghora

jaba kaṣṭoṃ ke daitya ko
lagegā bajaraṃga bāṇa
hogī terī hara muśkila
dhaḍiyoṃ meṃ āsāna

mahā dayālu hanumata kā
japa le manavā nāma
kāyā nirmala ho jāegī
baneṃge bigaड़e kāma

jaya jaya jaya hanumāna
jaya ho dayā nidhāna

kapi kī karuṇā se mana kī
hara duvidhā hara jāe
dayā kī dṛṣṭi hote hī
patthara bhī tara jāya

kalpa taro hanumaṃta se
bhakti kā phala māṃga
eka ho bhītara bahāra se
choड़ racā nisvāṃga

isakī kaise manodasā
jānata hai bajaraṃga
kyoṃ tū giragiṭa kī taraha
roja badalatā raṃga

kāṃṭe bokara hara jagaha
ḍhū~ḍha rahā tū phūla
ghaṭa-ghaṭa kī vo jānatā
kyoṃ gayā re tū bhūla

jaya jaya jaya hanumāna
jaya ho dayā nidhāna

karuṇā mayī kapirāja ko
dhokhā tū mata de
hara chaliyoṃ ko vo chale
jaba vo khela kare

hama haiṃ khilaune māṭī ke
hamarī kyā aukāta
toड़e rakhe ye usakī
marjī kī hai bāta

sādhaka bana hanumaṃta ne
jisa vidhi pāyo rāma
bahuta nahīṃ to thoड़ā hī
tū kara vaisā kāma

baiṭha kināre sāgara ke
kimutī anekī āsa
ḍūbana se mana ḍaratā re
kaccā terā viśvāsa

jaya jaya jaya hanumāna
jaya ho dayā nidhāna

sukha sāgara mahāvīra se
sukha kī āṃca na kara
duḥkha bhī usī kā khela hai
dukhoṃ se nā ḍara

binā jale nā bhaṭṭī meṃ
sonā kuṃdana hoya
āṃca jarā sī lagate hī
kyoṃ tū mānava roya

bhakti kara hanumāna kī
yahī hai māraga ṭhīka
maṃjila pānī hai agara
saṃkaṭa sahanā sikha

bure karama to lākha haiṃ
bhalā kiyo nā eka
phira kahatā hanumaṃta se
mujhe dayā se dekha

jaya jaya jaya hanumāna
jaya ho dayā nidhāna
jaya jaya jaya hanumāna
jaya ho dayā nidhāna

Read Anuradha Paudwal Shree Hanuman Amritwani Part 2

rāmāyaṇa kī bhavya jo mālā
hanumata usakā ratna nirālā
niścaya pūrvaka alakha jagāo
jaya jaya jaya bajaraṃga dhyāo

aṃtaryāmī hai hanumaṃtā
līlā anahada amara anaṃtā
rāmakī niṣṭhā nasa nasa aṃdara
roma roma raghunātha kā maṃdira

siddhi mahātmā ye sukha dhāma
isako koṭi koṭi pramāṇa
tulasīdāsa ke bhāgya jagāye
sākṣāta ke darśa dikhāe

sūjha būjha dhairya kā hai svāmī
isake bhaya khāte khalakāmī
nirbhimāna caritra hai usakā
hara eka khela vicitra hai isakā

suṃdarakāṃḍa hai mahimā isakī
aisī śobhā aura hai kisakī
jisape mārutī kī ho chāyā
māyā jāla nā usapara āyā

maṃgalamūrti mahasukhadāyaka
lācāroṃ ke sadā sahāyaka
kapirāja ye sevā parāyaṇa
isase māṃgo rāma rasāyana

jisako de bhakti kī yukti
janma maraṇa se malatī mukti
svārtha rahita hara kāja hai isakā
rāma ke mana pe rāja hai isakā

vālmīki ne likhī hai mahimā
hanumāna ke guṇoṃ kī garimā
ye aisī anamola kastūrī
jisake binā rāmāyaṇa adhūrī

kaisā madhura svābhāva hai isakā
jana jana para prabhāva hai isakā
dharma anukūla nīti isakī
rāma caraṇa se prītī isakī

durgama kāja sugama ye karatā
jana mānasa kī vipadā haratā
yugo meṃ jaise satayuga pyārā
sevako meṃ hanumāna nirārā

śraddhā ravi bajaraṃga kī re mana mālā phera
bhaya bhadrā chaṃṭa jāeṃge ghaḍī lage nā dera

ahirāvaṇa ko jisane mārā
tujhe bhī degā vo hī sahārā
śatru senā ke vidhvaṃsaka
dharmī karmī ke prasaṃśaka

vijayalakṣmī se hai vipoṣita
mahāvīra kī chavi hai śobhita
bāhubala pracaṃḍa hai isakā
nirṇaya aṭala akhaṃḍa hai isakā

hanu ne jaga ko ye samajhāyā
binā sādhanā kisane pāyā
jñāna se tuma ajñāna miṭāo
sadguṇa se durguṇa ko bhagāo

hanumata bhajana yahī sikhalātā
puṇya se pāpa adṛśya ho jātā
jo jāna paढ़e hanumāna cālīsā
hanu kare kalyāṇa usī kā

saṃkaṭamocana jī bhara paढ़ie
mana se kucha viśvāsa bhī kariye
binā bharose kucha nahīṃ hotā
totā rahe piṃjare kā totā

pāṭha karo bajaraṃga bāṇa kā
yahī to sūraja hai kalyāṇa kā
roma roma meṃ śabda utāro
ūpara ūpara se nā pukāro

hanumāna vāhuka hai eka vāhana
sacce mana se karo āhvāna
apanā banāegā vo tumako
gale lagāegā vo tumako

bhītara se yadi roye nā koī
usakā dila se hoye nā koī
hanumata usako kaise milegā
sukha kā kaise phūla khilegā

mana hai yadi kauve ke jaisā
hanu hanu phira raṭanā hai kaisā
kapaḍe dhone se kyā hogā
nasa nasa bhītara hai yadi dhokhā

mana kī ā~khe bhī kabhī kholo
mana maṃdira meṃ use ṭaṭolo
hanumata tere pāsa hai rahatā
dekha tū pike amṛta bahatā

kapipati hanumaṃta kī sevā karake dekha
tere nasībo kī pala meṃ badala jāegī rekha

bajaraṃga sacidānaṃda kā pyārā
bhakti sudhā kī pāvana dhārā
arjuna ratha kī dhvajā pe sāje
bana ke sahāyaka vaha virāje

janaka naṃdinī kī mamatā meṃ
avadhapurī kī saba janatā meṃ
ramī huī hai chavi nirālī
bhakta rāma kā bhāgyaśālī

dekhā eka dina usane jāke
sītā ko sindūra lagāte
bholepana meṃ hanu ne pūchā
kyū~ lāge ye itanā acchā

aisā karane se kyā hotā
māṃga meṃ bharane se kyā hotā
mujhe bhī maiyā kucha batalāo
kyā rahasya hai ye samajhāo

jānakī mātā bolī ha~sake
bā~dha lo palle ye tuma kasake
nyāya karatā aṃtaryāmī
raghuvara jo hai tumhare svāmī

jitanā ye maiṃ māṃga meṃ bharatī
utanī usakī āyu baढ़tī
maiṃ jo usako mana se cāhatī
isīlie ye dharma nibhātī

rāmabhakta hanumāna pyāre
tīna loka se hai jo nyāre
śraddhā kā vo raṃga dikhāyā
raṃga lī jhaṭa sindūra se kāyā

bilakula hī vo ho sindūrī
prabhu kī bhakti karake pūrī
adbhuta hī ye rūpa sajā ke
rājasabhā meṃ pahuṃce jāke

dekha kapi dī daśā nyārī
khilakhilāye saba darabārī
prabhu rāma bhī ha~sake bole
ye kyā rūpa hai hanumata bhole

hanu kahā jo loga hai ha~sate
vo nahīṃ isakā bheda samajhate
jānakī maiyā hai ye kahatī
isa se āpakī āyu baढ़tī

colā ye sindūra kā caढ़e jo maṃgalavāra
kapi ke svāmī kī isa se āyu baḍhe apāra

vijaya prāpta kara jaba laṃkā pe
rāma ayodhyā nagarī lauṭe
rājasiṃhāsana para jaba baiṭhe
phūla gagana se ख़uśī ke barase

jānakī vallabha karuṇā kara ne
sabako die upahāra nirāle
muktāhāra jo maṇiyoṃ vālā
jisakā adbhuta divyā ujālā

sītā jī ke kaṃṭha sajāyā
rāma hī jāne rāma kī māyā
sītā ne pala dera nā kīnhī
vo mālā hanumāna ko dīnhi

mahāvīra the kucha ghabarāye
rahe dekhate vo cakarāe
jaise unako bhāye nā mālā
hṛdaya ko bharamāye nā mālā

gale se mālā jhaṭa dī utārī
toड़e motī bārī bārī
hīre kaī cabākara dekhe
sāre ratna dabākara dekhe

vyākula usakī ho gayī kāyā
pānī nainana meṃ bhara āyā
jaise dila hī ṭūṭa gayā ho
bhāgya kā darpaṇa phūṭa gayā ho

cakita hue the saba darabārī
bojha siyā ke mana pe bhārī
rāma ne kaise khela racāyā
koī bhī isako jāna nā pāyā

pūchā siyā ne aṃjanī lālā
mā~ kā pyāra thā ye to mālā
mā~ kī mamatā kyoṃ ṭhukarā dī
kauna sī galatī kī ye sajā dī

bajaraṃga bole āṃsū bhara ke
janaka sutā ke caraṇa pakaड़ ke
maiyā hara eka motī dekhā
toड़ toड़ ke saba kucha parakhā

kahīṃ nā mūrata rāma kī mātā
vo mālā kisa kāma kī mātā
koड़ī ke vo hīre motī
jiname rāma kī ho nā jyoti

sunake vacana hanumāna ke kahā siye tatkāla
rāma tere tuma rāma ke ho ai aṃjanī ke lāla

eka samaya kī kathā ye sunie
kapi mahimā ke motī cunie
rāma setu ke nikaṭa kahīṃ para
rāma kī dhuna meṃ khoye kapivara

sūrya putra śani abhimānī
ne jāne kyā mana meṃ ṭhānī
hanumāna ko ā lalakārā
dekhanā hai bala maiṃne tumhārā

baड़ā kucha jaga se sunā sunāyā
yuddha maiṃ tumase karane āyā
mahāvīra ne ha~sake ṭālā
kāhe rūpa dharā vikarālā

mahāpratāpī śani tū mana
śakti kahīṃ jā aura dikhānā
rāma bhajana de karane mujhako
hātha joड़ maiṃ kahatā tujhako

lekina ṭalā nā vo ahaṃkārī
kahā agara tū hai balakārī
mujhako śakti ज़rā tū dikhāde
kitane pānī meṃ hai batā de

hanumāna se pūṃcha baढ़ākara
śani ke cāro ora ghumākara
kasa ke use lapeṭā aise
nāga jakaड़tā kisī ko jaise

khūba ghumā ke diyā jo jhaṭakā
bāra bāra pattharo pe paṭakā
ho gayā jaba vo lahū luhāna
cūra ho gayā saba abhimāna

aise aba nā choḍūṃgā tujhako
kahā hanu ne vacana de mujhako
mere bhakto ko terī dṛṣṭi
bhūla ke kaṣṭa kabhī nā degī

śani ne hā~ kā śakta ūṃcārā
taba huā jākara chuṭakārā
coṭa kī pīड़ā se vo rokara
tela māṃgane lagā dukhī hokara

śāstra hameṃ ye hī batātā
jo bhī śani ko tela caढ़ātā
usakī daśā se vo baca jātā
hanumāna kī mahimā gātā

śani kabhī jo ā ghere mata ḍariyo iṃsāna
jāpa karo hanumāna kā ho jāe kalyāṇa

hanumāna nirṇāyaka śakti
hanumāna puraṣotama bhakti
hanumāna hai mārgadarśaka
hanumāna hai bhaya vināśaka

hanumāna hai dayā nidhāna
hanumāna hai guṇoṃ kī khāna
hanumāna yoddhā sanyāsī
hanumāna hai amara avināśī

hanumāna bala buddhi dātā
hanumāna cita śuddhi karatā
hanumāna svāmī kā sevaka
hanumāna kalyāṇa dāraka

hanumāna hai jñāna jyoti
hanumāna mukti kī yukti
hanumāna hai dīna kā rakṣaka
hanumāna ādarśa hai śikṣaka

hanumāna hai sukha kā sāgara
hanumāna hai nyāya divākara
hanumāna hai saca kā aṃjana
hanumāna nirdoṣa niraṃjana

hanumāna hai āśraya dātā
hanumāna sukhadhāma vidhātā
hanumāna hai jaga hitakārī
hanumāna hai nirvikārī

hanumāna trikāla kī jāne
hanumāna sabako pahacāne
hanumāna se manavā joड़o
hanumāna se mu~ha nā moड़o

hanumāna kā kīje ciṃtana
hanumāna hara sukha kā sāgara
hanumāna ko nā bisarāo
hanumāna śaraṇa meṃ jāo

hanumāna uttama dānī
hanumāna kā japa kalyāṇī
hanumāna jaga pālanahārā
hanumāna ne sabako tārā

hanumāna kī phero mālā
hanumāna hai dīnadayālā
hanumāna ko simaro pyāre
hanumāna hai sātha tumhāre

pavana ke suta hanumāna kā jisake sira para hātha
usako kabhī ḍarāye nā duḥkha kī kālī rāta

jaya jaya jaya hanumāna, jaya ho dayā nidhāna
jaya jaya jaya hanumāna, jaya ho dayā nidhāna
jaya jaya jaya hanumāna, jaya ho dayā nidhāna

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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