हस्तमैथून करने से नुक्सान – Hastmaithun Karne Se Nuksan Ya Fayda
हस्तमैथून करने से नुक्सान (Jada Hastmaithun Karne Ke Nuksan) होता है या फायदा – इसे समझना बहुत जरूरी है। साथ ही इसके नकारात्मक प्रभवों से बचने के उपाय जानना भी आवश्यक है। कई लोगों का मत है कि हस्तमैथुन एक सामान्य यौन क्रिया है जो पुरुष और महिला दोनों करते हैं। आइए इस लेख में जानते हैं कि जानते हैं कि हस्तमैथुन को लेकर आयुर्वेद का क्या कहना है और इससे लाभ होता है या हानि।
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यह कोई रोग न होकर एक गन्दी आदत होती है जो कि स्वास्थ्य व समाज के लिए अशोभनीय है। यहाँ यह भी पुरुष वर्ग ही नहीं, बल्कि स्त्रियाँ भी इस घृणित आदत से ग्रसित हो जाती है किन्तु उनकी इस आदत को ‘चपटी’ कहा जाता है। इस लत का शिकार होकर मनुष्य अपने वीर्य को हाथों, जाँघों या तकिये की रगड़ से निकाल लेता है। जबकि स्त्रियाँ अपनी अंगुली, मोमबनी, बैंगन, मोटी कलम अथवा पैसिल, मूली इत्यादि से अपना यह घृणित कार्य करती है। इस रोग का कारण एकान्त में रहना, कामवासना की अधिकता, बुरे-गन्दे विचार, नंगे चित्र अथवा चलचित्र देखना, सम्भोग प्रिय दुष्चरित्रा स्त्री-पुरुष से मेल, पेट में कीड़े होना, मूत्राशय में पथरी होना, सुपारी के मांस का लम्बा और संकीर्ण होना अथवा सुपारी पर मैल जम जाना इत्यादि है। इस घृणित आदत के फलस्वरूप स्वप्नदोष, वीर्य प्रमेह, शीघ्रपतन, नामर्दी, इन्द्री (लिंग) का छोटा, टेढ़ा-मेढ़ा और कमजोर हो जाना इत्यादि परिणाम झेलना पड़ता है।
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हस्तमैथून करने से नुक्सान (Hastmaithun Karne Ke Nuksan) अनेक हैं। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति हताश, साहसहीन, उदास, व्यवसाय से घृणा करने वाला, एकान्तप्रिय, चिड़चिड़ा, डरपोक होता है। उसकी आँखों के चारों ओर काले गड्ढे पड़ जाते हैं, कब्ज रहती है, हृदय अधिक धड़कता है, रक्ताल्पता, पाचन विकार, पुराना नजला, स्मरण शक्ति की कमी, स्नायु दुर्बलता इत्यादि रोग हो जाते हैं। दिल, दिमाग, जिगर, फेफड़े, आँतें और मूत्राशय कमजोर हो जाता है। मूत्र करते समय गुदगुदी और जलन होती है। रीढ़ की हड्डी पर चीटियाँ सी रेंगती हुई प्रतीत होती है। कमर में दर्द और हथेली-तलुवों में जलन होती है। रोगी को ठण्डा पसीना आता है। दृष्टि कमजोर हो जाती है। चेहरा पीला और गाल पिचके हुए हो जाते हैंशिश्न में भी खराबी आ जाती है। उसकी जड़ कमजोर और पतली हो जाती है तथा वह ढीली-ढीली और असाधारण रूप से छोटी और किसी- किसा की एक ओर का (अत्यधिक रूप से) टेड़ी हो जाती है तथा इसकी शिरायें फूल जाती हैं और इसकी सम्वेदनात्मक संज्ञा अधिक बढ़ जाती है फलस्वरूप अन्त में रोगी नपुंसक हो जाता है। यदि इस रोग की उचित रोकथाम और उपयुक्त उपचार न किया गया तो रोगी भयानक रोगों से ग्रसित होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
हस्तमैथुन की आदत से छुटकारा पाने के उपाय
- प्याज को कूटकर आधा किलो रस निकालें और फिर किसी कलईदार बर्तन में डालकर 250 ग्राम मधु मिलाकर धीमी आग पर इतना पका डालें कि प्याज का समस्त रस जल जाये और मात्र मधु शेष रहे। तभी आग से उतारकर सफेद मूसली का चूर्ण 125 ग्राम मिलाकर घोटकर शीशी में सुरक्षित रखलें । इसे 6 से 12 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से नपुन्सकता, हस्तमैथुन से उत्पन्न लिंग एवं वीर्य विकार के लिए यह योग अमृततुल्य है ।
- सफेद संखिया 3 ग्राम, चांदी के वर्क 9 ग्राम दोनों को मिलाकर सुरमें की भाँति खरल करें फिर इसमें 48 ग्राम खान्ड मिलाकर पुनः खरल करके सुरक्षित रखलें। यह चूर्ण 125 मि.ग्रा. की मात्रा में प्रातःकाल नाश्ते के बाद मक्खन या मलाई में लपेटकर खाने से शारीरिक और स्नायविक दुर्बलता दूर होकर शिश्न में सख्ती उत्पन्न हो जाती है । बलवान बनाने वाला अति उत्तम योग है।
- बीजबन्द, सफेद मूसली, दक्षिणी शतावर, ढाक की गोंद, सेमल की गोंद, कौंच के बीज, कंगन के बीज, काली मूसली, गोंद नागौरी, सखाली, समुद्रसोख, बालछड़, तालमखाना, गोखरू, मोचरस, हुस्न यूसूफ, बहुफली, लसोड़ा भी बराबर मात्रा में एकत्र करें। फिर समस्त औषधियों को अलग-अलग कूटपीस कर मिला लें और एक शीशी में सुरक्षित रखलें । इसे 5 ग्राम की मात्रा में प्रयोग करें। इसके सेवन से नामर्दी, नपुंसकता, मैथुनशक्ति का सर्वथा अभाव, बचपन की गल्तियों (हस्तमैथुन) से उत्पन्न विकार, मैथुन एवं वीर्यपात हो जाना, बुढ़ापे के विकार, प्रौढ़ावस्था की असमर्थता, कमजोरी, हीनता, कृषता आदि दूर हो जाती है।
- एक सेर घी, 500 ग्राम खोया, डेढ़ सेर गेहूँ का आटा, 200 ग्राम कीकर का गौंद, 125 ग्राम सालब मिश्री, 125 ग्राम सफेद मूसली, 50 ग्राम किशमिश 50 ग्राम चिलगोंजा, 50 ग्राम पिस्ता । केसर और कस्तूरी 2-2 ग्राम एवं चीनी डेढ़ सेर लें पहले आटे को घी में भूनें फिर उसमें खोया मिलाकर चलायें अन्त में सभी औषधियों का मिश्रण डालकर चलायें । सबसे अन्त में केसर और कस्तूरी एक प्याली में भली प्रकार घिसकर 50-50 ग्राम वजन के लड्डू तैयार कर सुरक्षित रखलें ये 1-2 लड्डू आवश्यकतानुसार गरम दूध में मिश्री और मलाई मिलाकर रात को सोने से पूर्व सेवन करें। इसके सेवन से क्षीणता, कृषता, दुर्बलता, नामर्दी, नपुंसकता, वीर्य विकार, बार-बार मूत्र त्याग करना, कमर दर्द तथा शरीर-दर्द, हस्तमैथुन-जन्य समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं ।
- सौंठ, सफेद सन्दल, आक की जड़, कंकोल, जायफल, लौंग, अकरकरा, अफीम, दारु, रूमीमस्तंगी, केसर-ये सभी औषधियाँ समान मात्रा में लेकर अलग- अलग बारीक (सुरमें की भाँति) पीसें अन्त में आपस में मिलाकर शहद की सहायता से चने के आकार की गोलियां बनाकर सुरक्षित रखलें ये 1-2 गोली दूध के साथ सेवन करें । यह योग अत्यन्त ही स्तम्भक, शक्ति एवं वीर्यवर्धक है। इसके सेवन से शीघ्रपतन, प्रमेह, वीर्य प्रमेह, नामर्दी और हस्तमैथुनजन्य विकार नष्ट होकर अपूर्व बल प्राप्त हो जाता है।
- गुंदना के बीज, कुचला चूर्ण तथा लौंग 5-5 ग्राम, जरजीर के बीज, चिलगोजा की गिरी, कड़वी कूट, शीतरज सभी 10-10 ग्राम। कलौंजी, गाजर के बीज, सुरंजान मीठी सभी 30-30 ग्राम लेकर सभी औषधियों को पृथक-पृथक कूट पीसकर आपस में मिलाकर अदरक के रस में 4-4 ग्राम की मात्रा की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखें। यह 1-2 गोली आवश्यकतानुसार पानी से प्रयोग करें।हस्तमैथुन के रोगी दूध में शहद मिलाकर गोली सेवन करें। कमजोर रोगी भी दूध से ही सेवन करें । इस औषधि के सेवन से स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, हस्तमैथुनजन्य विकार, मैथुनहीनता, कमजोरी, नामर्दी, नपुंसकता असमय वीर्यपात हो जाना आदि रोग अवश्य ही नष्ट हो जाते हैं ।
- सफेद प्याज का रस 10 ग्राम, शहद 6 ग्राम, शुद्ध घी 2 ग्राम को मिलाकर सुबह-शाम चाटकर ऊपर से गाय का दूध पीने से हस्तक्रिया-जनित नपुंसकता नष्ट हो जाती है
- रात को सोते समय 3 ग्राम हींग को पानी में पीसकर 15-20 दिन तक लिंग पर लेप करने से तथा प्रात:काल गरम पानी से धो देने से हस्तमैथुन-जन्य लिंग के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं। हानिरहित दवा है ।
- माल कंगनी का तैल, लौंग का तैल 60-60 ग्राम, जमालगोटे का तैल 1 ग्राम सभी को 120 ग्राम तिल के तैल में डालकर हिलाकर सुरक्षित रखलें। 4-5 बूँद यह दवा इन्द्री के ऊपर नरमी से मलें (सुपारी तथा अन्डकोषों पर न लगने पाये) ऊपर से पान का पत्ता रखकर पट्टी लपेटकर धागे से बाँध दें । जब तक यह मालिश की दवा का प्रयोग करें तब तक लिंग को गरम पानी से धोने के पश्चात् ही स्नान करें हस्तमैथुनजन्य एवं समस्त प्रकार के इन्द्री-दोष दूर करने हेतु अद्भुत प्रयोग है।
- जमाल गोटे का तैल असली 1 भाग, अजवायन का तैल 3 भाग को मिलाकर दस मिनट तक इन्द्री पर हल्के हाथों से रगड़कर मालिश करें। (जोर से मालिश कदापि न करें) अधिक लगाने से छाले पड़ सकते हैं, अत्यन्त तेज दवा है इसके प्रयोग से लिंग में जोश उत्पन्न न होना, लिंग सुकड़ जाना, सम्भोग इच्छा की कमी इत्यादि नष्ट हो जाती है। मात्र 1-2 बूंदों की ही मालिश करें।
- आम के कच्चे फल जो चने के बराबर हों, कच्चे गूलर जो छोटे हों तथा बबूल की कच्ची फलियाँ, जिनमें बीज न पड़े हों का कपड़छन सख्त और बहुत छानकर चूर्ण तैयार करके रखलें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में 12 ग्राम मधु मिलाकर 3 सप्ताह तक निरन्तर प्रातःकाल सेवन करने से हस्तमैथुनजन्य शीघ्रपतन नष्ट हो जाता है।
हमें उम्मीद है कि हस्तमैथून करने से नुक्सान को समझकर युवावर्ग इस आदत से दूर होंगे और स्वस्थ्य जीवन की ओर दिशा बढ़ाएंगे। यदि इस विषय पर आपकी भी कोई राय है, तो उसे हमसे साझा करना न भूलें।