स्वास्थ्य

भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज

सभी जानना चाहते हैं कि क्या भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज मुमकिन है? बहुत-से लोग ऑपरेशन नहीं कराना चाहते हैं और भगंदर का देसी इलाज जानना चाहते हैं। इस बीमारी को अंग्रेजी में एनल फिस्टुला (Bhagandar in English is Anal Fistula) और हिंदी में नासूर भगन्दर भी कहते हैं।

यह रोग बहुत परेशान करता है। साथ ही इसे जड़ से खत्म कर पाना भी काफी मुश्किल हो जाता है। इस लेख में जानते हैं कि भगन्दर के लक्षण, दवा और रामबाण इलाज।

भगन्दर के लक्षण

भगंदर एक अत्यन्त कष्टप्रद रोग है। इस रोग में रोगी की गुदा से 1-2 अंगुल छोड़कर फुन्सियाँ-सी हो जाती हैं, जिनसे मवाद और रक्त बहता रहता है। इन फुन्सियों में तीव्र पीड़ा होना और रोगी को उठने-बैठने, चलने-फिरने में अत्यन्त कष्ट होना भगंदर के लक्षण हैं।

ये फुन्सियाँ आसानी से सूख नहीं पाती हैं और रोगी के नाड़ीव्रण अथवा नासूर जैसे घातक घाव उचित उपचार के अभाव में हो जाते हैं। हांलाकि यह रोग असाध्य नहीं है, किन्तु कष्टसाध्य अवश्य है। भगंदर का इलाज (Bhagandar Ka Ilaaj) भी कठिन है। यह रोग शिशुओं को भी हो जाता है।

भगन्दर के लक्षण इस प्रकार हैं – गुदमार्ग के बगल में दरार होकर उसमें पीप, दूषित रक्तवारि का स्राव होना तथा यदा-कदा पीड़ा होना और पीड़ित स्थान पर घाव बन जाना। एलोपेथी में प्रायः इलाज के तौर पर भगन्दर का ऑपरेशन किया जाता है। लेकिन भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज भी संभव है। आइए, देखते हैं कि क्या है भगंदर का देसी इलाज।

भगंदर का देसी इलाज

भगन्दर रोग का ऐलोपैथिक चिकित्सक ऑपरेशन द्वारा उपचार करता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक निम्नलिखित विधियों से भगंदर का इलाज करते हैं–

  • विरेचन
  • अग्नि कर्म
  • शस्त्र-कर्म
  • क्षार सूत्र से भगन्दर का इलाज

बच्चों एवं शिशुओं में क्षारसूत्र का प्रयोग मृदु कर्म होने के कारण भगंदर का देसी इलाज या घरेलू उपचार ही लिखे जा रहे हैं–

  1. उत्तम क्वालिटी की राल को बारीक पीसकर भगन्दर पर लगाने से भगन्दर नष्ट हो जाता है। यह भगंदर का देसी इलाज है, जो काफी तीव्रता-से असर दिखाता है।
  2. करील व अंडी के पत्तों को हल्का गरम बाँधने से भगन्दर घुल जाता है। करील में पत्ते नहीं होते हैं। अत: ऊपर की कोपलें ही प्रयोग करें।
  3. अलसी की राख को गुदा के घाव पर बुरकने से घाव भर जाता है। साथ ही भगन्दर के लक्षण धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।

भगन्दर का आयुर्वेदिक इलाज

अब देखते हैं क्या है भगन्दर का आयुर्वेदिक इलाज और किस तरह इस रोग को मात्र आयुर्वेदिक दवा के उपयोग से सही किया जा सकता है–

  1. आधा किलो नीम रस और 250 ग्राम बूरा चीनी को मन्दाग्नि पर ऐसी गाढ़ी चाश्नी बनाले कि कलुछी चिपकने लग जाए। तदुपरान्त चित्रक, हल्दी, त्रिफला, प्रत्येक 10-10 ग्राम तथा अजवायन, निर्गुन्डी बीज, पीपल, सौंठ, काली मिर्च, दन्तीमूल, नीम और बाबची के बीज (प्रत्येक 25-25 ग्राम) अनन्तमूल और बायविंडग पीस छानकर चाशनी में मिला दें और सुरक्षित रख लें। इसे 10-10 की मात्रा में ताजा पानी के साथ निगल जायें। भगन्दर रोग (Bhagandar Rog) नष्ट हो जाएगा। यह दवा भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज करने में सक्षम है।
  2. हल्दी, आक का दूध, सेंधा नमक, गुग्गुल, कनेर, इन्द्र-जो प्रत्येक 12 ग्राम को जल में पीसकर लुगदी बनायें। तदुपरान्त तिल का तैल 150 मि.ली., जल 600 मि.ली. तथा उपर्युक्त लुगदी मिलाकर विधिवत् तैल पाक कर लें। जब तैल मात्र शेष रह जाए, तब छानकर सुरक्षित रख लें। इस तेल को भगन्दर पर दिन में 3-4 बार लगायें। व्रण रोपण करने वाला उत्तम योग है।
  3. व्रण गजांकुश रस (भैषज्य रत्नावली) बच्चों को 1 ग्राम औषधि 3 ग्राम मधु में मिलाकर सुबह-शाम सेवन कराना लाभप्रद है।
  4. सप्त विशन्ति गुग्गुल (भैषज्य रत्नावली) 6 ग्राम की मात्रा में के साथ बच्चों को सुबह-शाम खिलाना लाभकारी है।

भगंदर की दवा

कैपाइना टेबलेट (हिमालय) की आवश्यकतानुसार 2-3 टिकिया दिन में 2-3 बार अथवा करामाती टेबलेट (निर्माता राजवैद्य शीतलप्रसाद एण्ड संस) 1 2 टिकिया दिन में 3-4 बार खाकर चोबचीनी (मिश्रा बुन्देलखण्ड) अथवा स्वर्णक्षीरी (मिश्रा, बुन्देलखण्ड, सिद्धी फार्मेसी) का सूचीवेध 1-2 मि.ली. की मात्रा में या चिकित्सक के परामर्शानुसार लगवायें। अत्यन्त लाभप्रद भगंदर की दवा है।

भगन्दर की दवा पतंजलि से भी खरीदी जा सकती है। इसका नाम दिव्य अर्शकल्प वटी है। न केवल एनल फिस्टुला, बल्कि यह औषधि बवासीर और फिशर में भी बहुत उपयोगी मानी जाती है। पतंजलि की दिव्य अर्शकल्प वटी हरीतकी, एलोवेरा, नीम और कपूर आदि से बनी है।

हमें आशा है कि इस लेख के माध्यम से बहुत-से रोगी भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज प्राप्त कर पाएंगे। यदि आप इस रोग के बारे में अन्य कुछ जानना चाहते हैं, तो हमें टिप्पणी करके अवश्य अवगत कराएँ। हम शीघ्र-से-शीघ्र आपके प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने की चेष्टा करेंगे।

भगंदर क्या है 

भगंदर नाम ही कुछ भयंकर जैसा प्रतीत होता है। यह एक बीमारी है जो कभी एक मामूली फोड़ा, तो कभी भयंकर दर्द का कारण बन सकती है। भगंदर का दूसरा नाम फिस्टुला भी है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। इस बीमारी के चलते जब गुदा नली पर पस जमा हो जाता है, तो इसका दर्द जानलेवा हो सकता है। 

यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमे मनुष्य शरीर के नाज़ुक अंग जो मूलतः आपस में जुड़े नहीं होते हैं, उन्हें जोड़ देता है  (योनि से मलाशय, आंत से त्वचा इत्यादि)। 

सबसे आम तरह का फिस्टुला, एनल फिस्टुला होता है। इसमें आंत का अंतिम हिस्सा गुदा की पास की त्वचा से जुड़ जाती है। यह गुदा नली में पस जमा करके कई बार इतना भयंकर रूप ले लेता है कि ऑपरेशन की नौबत भी आ जाती है। 

भगंदर या फिस्टुला के लक्षण 

  • गुदा में फोड़े और उसके आसपास के हिस्से में सूजन, जलन, और दर्द। 
  • गुदा के पास से खून वाली पस निकलना, जो बदबूदार भी हो सकती है। 
  • कब्ज़ और मलद्वार में रक्तस्त्राव। 
  • मल बाहर निकलने में परेशानी और दर्द होना। 
  • थकान, ठंड, और बुखार लगना। 

आइये बात करते हैं भगंदर का इलाज (bhagandar ka ilaaj) की। कई तरह की विधियों से bhagandar ka ilaj (bhagandar ki dava) किया जा सकता है। जानते हैं कुछ प्रचलित इलाज के बारे में, साथ ही भगंदर का सही इलाज क्या है, इसके बारे में भी हम आपको बताएँगे। 

भगंदर का आयुर्वेदिक इलाज (भगन्दर की आयुर्वेदिक दवा)

आयुर्वेद में भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय उपलब्ध है। आयुर्वेद पद्धति से किया हुआ भगन्दर का इलाज ज़्यादातर सफल साबित होता है, और इससे भविष्य में यह रोग दोबारा नहीं होता है। और तो और इससे किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव भी नहीं होता है। भगंदर के आयुर्वेदिक इलाज में पीड़ितों के आहार और जीवनशैली में बदलाव और सुधार किया जाता है। उनके आहार में अभयारिष्ट और खदिरारिष्ट युक्त रसायनों के सेवन की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में हर्ब द्वारा और क्षार सूत्र चिकित्सा पद्धति से इसका इलाज किया जाता है। 

भगंदर का घरेलू उपचार

आइये जानते हैं भगंदर का देसी इलाज क्या है (bhagandar ka desi ilaj) या घरेलू उपचार क्या है। 

  • फाइबर युक्त आहार का सेवन करें, जैसे फल सब्ज़ियां, साबुत अनाज इत्यादि। माँसाहारी भोजन से अधिक से अधिक परेज़ करना चाहिए। 
  • गुदा भाग की गुनगुने पानी से सिकाई करें। पानी में बीटाडीन दाल कर सिकाई करना और भी अधिक फायदेमंद होगा। 
  • नीम को पानी में उबालकर उस पानी से भगन्दर वाले भाग को धोना चाहिए। उबली नीम का पेस्ट बनाकर गुदा भाग में लगाना भी असरकारक हो सकता है। नीम में देसी घी मिलाकर उसका लेप लगाना भी फायदेमंद हो सकता है। 
  • अनार के पत्तों में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद हैं। इसे पानी के उबालकर उस पानी से फिस्टुला वाले भाग को धोना भी असरकारक सिद्ध होता है। 
  • लाजवंती  मिर्च को पीसकर उसके लेप को फिस्टुला वाले भाग में लगाना भी राहत दिलाता है। 
  • लहसुन में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। लहसुन को पीसकर, उसे घी के साथ भूनकर प्रभावित भाग में लगाना भी भगंदर का देसी इलाज (bhagandar ka desi ilaaj) में शामिल है। 

भगन्दर की दवा पतंजलि द्वारा

बाबा रामदेव द्वारा संचालित पतंजलि में फिस्टुला यानी भगंदर के इलाज की दवा का नाम है, दिव्य अर्शकल्प वटी। यह दवाई कई तरह की जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार की गई है। इसके सेवन से पाचन शक्ति को दुरुस्त किया जा सकता है, और साथ ही मल भी कोमल हो जाता है। दिव्य अर्शकल्प वटी के सेवन से भगंदर के समय होने वाली कई तरह की समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। 

इसके अलावा कई प्रकार के इलाज उपलब्ध हैं, जिससे भगन्दर जैसी जानलेवा बीमारी को ठीक किया जा सकता है। एलोपैथी में भी भगंदर को जड़ से खत्म करने की दवा उपलब्ध है। जब कोई दवा काम ना करे, तब फिस्टुला के इलाज के लिए ऑपरेशन ही एक आखरी ऑप्शन बचता है। भगन्दर का कौन सा इलाज कारगर होगा, ये पूर्णतः बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है।

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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