धर्म

जय शंकर महाराज – Jai Shankar Maharaj Lyrics

पढ़े “जय शंकर महाराज” लिरिक्स

कर्पुरा गौरम करुणावतारम
संसरा सारम भुजागेंद्रा हराम
सदा वसंतम हृदयरा विंदे
भवाँ भवानी साहितम नामामी (हो ओ)

तेरे बिना चैन नहीं
ढूंडे मेरे नैन यही
दर्शन देदो भगवान
भक्ति में लीन रहूं
तुझमे विलीन रहूं
देना तू यह वरदान
शिव ही सदा से
बस्ता है मेरे मन में
तेरे लिए ही जन्मा हूँ मैं
अर्पण कार्दु जीवन तुझ पे

शिव ही था, शिव ही है, शिव हमेशा रहेगा
कर्म के चक्र से मुक्त वो ही करेगा

शिव ही सदा से
बस्ता है मेरे मन में
तेरे लिए ही जन्मा हूँ मैं
अर्पण कार्दु जीवन तुझ पे

शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा
बोलो जय शंकर महाराज
हो शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा
सबके भीतर विराज हो
शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा हो
करता श्रीष्टि पे राज हो
शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा
बोलो जय शंकर महाराज

बोलो जय शंकर महाराज

शिव ही सदा से
बस्ता है मेरे मॅन में
तेरे लिए ही जन्मा हूँ मैं
अर्पण कार्दु जीवन तुझ पे
शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा
बोलो जय शंकर महाराज
शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा
सबके भीतर विराज हो
शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा
करता श्रीष्टि पे राज
शिव शिव बोले जा
बोले जा बोले जा
बोलो जय शंकर महाराज

कर्पुरा गौरम करुणावतारम
संसरा सारम भुजागेंद्रा हराम
सदा वसंतम हृदयरा विंदे
भवाँ भवानी साहितम नामामी
मंडर माला कलितल काए
कपाल मलंकित शेखराए
दिव्यांबरे छा दिगंबराया
नमः शिवाय छा नमः शिवाय

जग की ऐसी काया
कुछ खोया ना पाया
एक तू ही सत्या है
बाकी माया माया
तेरी लीला तो तू ही जाने रे
तेरे चर्नो में मेरा स्वर्ग है
जबसे जप्ता हूँ नाम तेरा मैं
मिट गये मेरे जीवन के दुख दर्द है
शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा
बोलो जय शंकर महाराज
शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा
सबके भीतर विराज
हो शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा
करता श्रीष्टि पे राज हां
शिव शिव बोले जा
शिव शिव बोले जा
बोलो जय शंकर महाराज
शिवा शिवा
बोलो जय शंकर महाराज
शिव शिव बोले जा शिव शिव बोले जा
शिवा

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर जय शंकर महाराज भजन को रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह शिव भजन रोमन में–

Read Jai Shankar Maharaj

karpurā gaurama karuṇāvatārama
saṃsarā sārama bhujāgeṃdrā harāma
sadā vasaṃtama hṛdayarā viṃde
bhavā~ bhavānī sāhitama nāmāmī (ho o)

tere binā caina nahīṃ
ḍhūṃḍe mere naina yahī
darśana dedo bhagavāna
bhakti meṃ līna rahūṃ
tujhame vilīna rahūṃ
denā tū yaha varadāna
śiva hī sadā se
bastā hai mere mana meṃ
tere lie hī janmā hū~ maiṃ
arpaṇa kārdu jīvana tujha pe

śiva hī thā, śiva hī hai, śiva hameśā rahegā
karma ke cakra se mukta vo hī karegā

śiva hī sadā se
bastā hai mere mana meṃ
tere lie hī janmā hū~ maiṃ
arpaṇa kārdu jīvana tujha pe

śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā
bolo jaya śaṃkara mahārāja
ho śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā
sabake bhītara virāja ho
śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā ho
karatā śrīṣṭi pe rāja ho
śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā
bolo jaya śaṃkara mahārāja

bolo jaya śaṃkara mahārāja

śiva hī sadā se
bastā hai mere maॅna meṃ
tere lie hī janmā hū~ maiṃ
arpaṇa kārdu jīvana tujha pe
śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā
bolo jaya śaṃkara mahārāja
śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā
sabake bhītara virāja ho
śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā
karatā śrīṣṭi pe rāja
śiva śiva bole jā
bole jā bole jā
bolo jaya śaṃkara mahārāja

karpurā gaurama karuṇāvatārama
saṃsarā sārama bhujāgeṃdrā harāma
sadā vasaṃtama hṛdayarā viṃde
bhavā~ bhavānī sāhitama nāmāmī
maṃḍara mālā kalitala kāe
kapāla malaṃkita śekharāe
divyāṃbare chā digaṃbarāyā
namaḥ śivāya chā namaḥ śivāya

jaga kī aisī kāyā
kucha khoyā nā pāyā
eka tū hī satyā hai
bākī māyā māyā
terī līlā to tū hī jāne re
tere carno meṃ merā svarga hai
jabase japtā hū~ nāma terā maiṃ
miṭa gaye mere jīvana ke dukha darda hai
śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā
bolo jaya śaṃkara mahārāja
śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā
sabake bhītara virāja
ho śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā
karatā śrīṣṭi pe rāja hāṃ
śiva śiva bole jā
śiva śiva bole jā
bolo jaya śaṃkara mahārāja
śivā śivā
bolo jaya śaṃkara mahārāja
śiva śiva bole jā śiva śiva bole jā
śivā

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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