ज्वाला माता की आरती – Jwala Mata Ki Aarti
ज्वाला माता की आरती (Jwala Mata Ki Aarti) का पाठ आध्यात्मिक प्रगति प्रदान तो करता है, साथ ही सांसारिक उन्नति भी देता है। ज्वाला मैया परम कल्याण-दायिनी हैं। वे अपने भक्तों के योग-क्षेम का वहन स्वयं करती हैं तथा अपने दरबार से किसी को भी खाली हाथ वापस लौटने नहीं देती हैं। जो विशुद्ध अन्तःकरण के साथ उनके दर्शन व स्मरण करता है उसके बिगड़े कार्य बन जाते हैं और मार्ग की सभी अड़चनें छूमंतर हो जाती हैं। ज्वाला माता की आरती करने से मां के शक्तिपुंज का प्रकाश हृदय में स्थापित होता है जिससे साहस, बल, अभय और सत्त्व में वृद्धि होती है। कहते हैं कि जो भी ज्वाला मैया की आरती गाता है उसे प्रत्येक इच्छित वस्तु अवश्य प्राप्त होती है मां की अनुकम्पा से। पढ़ें ज्वाला माता की आरती–
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जै ज्वाला रानी मैया जै ज्वाला रानी।
प्रगटी पर्वत ऊपर कलयुग कल्याणी॥
सती की जिह्वा में गिर अद्भुत तेज दिया।
नौ ज्योतें फिर प्रगटी शुभ स्थान लिया॥
काली लक्ष्मी सरस्वती ज्वाला ज्योति बड़ी।
हिंगलाज अन्नपूर्णा चंडी बीच खड़ी॥
बिन दीपक बिन बाती पर्वत ज्योत जले।
जो पूजे साधक बन संकट आप टले॥
चंद्रहास राजा ने शुभ निर्माण किया।
गोरखनाथ गुरु को आदर मान दिया॥
ज्योते सारी बुझाने अकबर आया था।
क्षमा माँगकर तुमसे छत्र चढ़ाया था॥
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शैया भवन है सुंदर मन को अति भावे।
बार-बार दर्शन को हे मां मन चाहवे॥
पान-सुपारी पेड़ा दूध चढ़े ज्वाला।
शक्ति पीठ को पूजे हाथ लिए माला॥
करें जागरण सेवक प्रेम लिए मन में।
ऎसा “ओम” आकर्षण तेरे दर्शन में॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर ज्वाला माता की आरती (Jwala Mata Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें ज्वाला माता की आरती रोमन में–
jai jvālā rānī maiyā jai jvālā rānī।
pragaṭī parvata ūpara kalayuga kalyāṇī॥
satī kī jihvā meṃ gira adbhuta teja diyā।
nau jyoteṃ phira pragaṭī śubha sthāna liyā॥
kālī lakṣmī sarasvatī jvālā jyoti baḍa़ī।
hiṃgalāja annapūrṇā caṃḍī bīca khaḍa़ī॥
bina dīpaka bina bātī parvata jyota jale।
jo pūje sādhaka bana saṃkaṭa āpa ṭale॥
caṃdrahāsa rājā ne śubha nirmāṇa kiyā।
gorakhanātha guru ko ādara māna diyā॥
jyote sārī bujhāne akabara āyā thā।
kṣamā mā~gakara tumase chatra caḍha़āyā thā॥
śaiyā bhavana hai suṃdara mana ko ati bhāve।
bāra-bāra darśana ko he māṃ mana cāhave॥
pāna-supārī peḍa़ā dūdha caḍha़e jvālā।
śakti pīṭha ko pūje hātha lie mālā॥
kareṃ jāgaraṇa sevaka prema lie mana meṃ ।
ऎsā “oma” ākarṣaṇa tere darśana meṃ ॥