धर्म

महालक्ष्मी चालीसा – Mahalaxmi Chalisa

महालक्ष्मी चालीसा को पढ़ना मानो धन-धान्य को आमंत्रित करना है। मां लक्ष्मी की कृपा से क्या असंभव है भला? मनुष्य जो भी चाहता है या चाह सकता है, उसे इस महालक्ष्मी चालीसा (Mahalaxmi Chalisa) के पाठ से वह सब-कुछ मिल सकता है। महालक्ष्मी चालीसा (Mahalakshmi Chalisa) का नित्य पाठ जीवन में संपन्नता लाता है। जो सच्चे मन से माँ की भक्ति करता है, उसकी प्रत्येक कामना पूरी होती है। पढ़ें महालक्ष्मी चालीसा–

यह भी पढ़ेलक्ष्मी माता के 108 नाम

॥ दोहा ॥
जय जय श्री महालक्ष्मी,
करू मात तव ध्यान।
सिद्ध काज मम कीजिए,
निज शिशु सेवक जान॥

॥ चौपाई ॥
नमो महालक्ष्मी जय माता,
तेरो नाम जगत विख्याता।

आदि शक्ति हो मात भवानी,
पूजत सब नर मुनि ज्ञानी।

जगत पालिनी सब सुख करनी,
निज जनहित भण्डारन भरनी।

श्वेत कमल दल पर तव आसन,
मात सुशोभित है पद्मासन।

श्वेताम्बर अरु श्वेता भूषण,
श्वेतहि श्वेत सुसज्जित पुष्पन।

शीश छत्र अति रूप विशाला,
गल सोहे मुक्तन की माला।

यह भी पढ़ेवैभव लक्ष्मी व्रत कथा व विधि

सुन्दर सोहे कुंचित केशा,
विमल नयन अरु अनुपम भेषा।

कमलनाल समभुज तवचारी,
सुरनर मुनिजनहित सुखकारी।

अद्भुत छटा मात तवबानी,
सकलविश्व कीन्हो सुखरानी।

शान्ति स्वभाव मृदुलतव भवानी,
सकल विश्वकी हो सुखखानी।

महालक्ष्मी धन्य हो माई,
पंच तत्व में सृष्टि रचाई।

जीव चराचर तुम उपजाए,
पशु पक्षी नर नारि बनाए।

क्षितितल अगणित वृक्ष जमाए,
अमितरंग फल फूल सुहाए।

छवि बिलोक सुरमुनि नरनारी,
करे सदा तव जय-जय कारी।

सुरपति औ नरपत सब ध्यावें,
तेरे सम्मुख शीश नवावैं।

चारहु वेदन तव यश गाया,
महिमा अगम पार नहिं पाया।

जापर करहु मातु तुम दाया,
सोई जग में धन्य कहाया।

पल में राजाहि रंक बनाओ,
रंक राव कर बिलम्ब न लाओ।

जिन घर करहु माततुम बासा,
उनका यश हो विश्व प्रकाशा।

जो ध्यावै सो बहु सुख पावै,
विमुख रहै हो दुख उठावै।

महालक्ष्मी जन सुख दाई,
ध्याऊं तुमको शीश नवाई।

निजजन जानिमोहिं अपनाओ,
सुख सम्पत्ति दे सुख नसाओ।

ॐ श्री-श्री जय सुखकी खानी,
रिद्धिसिद्धि देउ मात जनजानी।

ॐ ह्रीं-ॐ ह्रीं सब ब्याधि हटाओ,
जनउन बिमल दृष्टि दर्शाओ।

ॐ क्लीं-ॐ क्लीं शत्रुन क्षय कीजै,
जनहित मात अभय वर दीजै।

ॐ जय जयति जय जननी,
सकल काज भक्तन के सरनी।

ॐ नमो-नमो भवनिधि तारनी,
तरणि भंवर से पार उतारनी।

सुनहु मात यह विनय हमारी,
पुरवहु आशन करहु अबारी।

ऋणी दुखी जो तुमको ध्यावै,
सो प्राणी सुख सम्पत्ति पावै।

रोग ग्रसति जो ध्यावै कोई,
ताकी निर्मल काया होई।

विष्णु प्रिया जय-जय महारानी,
महिमा अमित न जाय बखानी।

पुत्रहीन जो ध्यान लगावै,
पो सुत अतिहि हुलसावै।

त्राहि त्राहि शरणागत तेरी,
करहु मात अब नेक न देरी।

आवहु मात विलम्ब न कीजै,
हृदय निवास भक्त बर दीजै।

जानूँ जप तप का नहिं भेवा,
पार करौ भवनिध बन खेवा।

बिनवों बार-बार कर जोरी,
पूरण आशा करहु अब मेरी॥

जानि दास मम संकट टारौ,
सकल व्याधि से मोहिं उबारौ।

जो तव सुरति रहै लव लाई,
सो जग पावै सुयश बड़ाई।

छायो यश तेरा संसारा,
पावत शेष शम्भु नहिं पारा।

गोविन्द निशिदिन शरण तिहारी,
करहु पूरण अभिलाष हमारी।

॥ दोहा ॥

महालक्ष्मी चालीसा पढ़े,
सुनै चित लाय।
ताहि पदारथ मिलै,
अब कहै वेद अस गाय॥

एक अमेज़न एसोसिएट के रूप में उपयुक्त ख़रीद से हमारी आय होती है। यदि आप यहाँ दिए लिंक के माध्यम से ख़रीदारी करते हैं, तो आपको बिना किसी अतिरिक्त लागत के हमें उसका एक छोटा-सा कमीशन मिल सकता है। धन्यवाद!

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह महालक्ष्मी चालीसा (Mahalaxmi Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह महालक्ष्मी चालीसा रोमन में–

Read Mahalaxmi Chalisa

॥ dohā ॥
jaya jaya śrī mahālakṣmī,
karū māta tava dhyāna।
siddha kāja mama kījie,
nija śiśu sevaka jāna॥

॥ caupāī ॥
namo mahālakṣmī jaya mātā,
tero nāma jagata vikhyātā।

ādi śakti ho māta bhavānī,
pūjata saba nara muni jñānī।

jagata pālinī saba sukha karanī,
nija janahita bhaṇḍārana bharanī।

śveta kamala dala para tava āsana,
māta suśobhita hai padmāsana।

śvetāmbara aru śvetā bhūṣaṇa,
śvetahi śveta susajjita puṣpana।

śīśa chatra ati rūpa viśālā,
gala sohe muktana kī mālā।

sundara sohe kuṃcita keśā,
vimala nayana aru anupama bheṣā।

kamalanāla samabhuja tavacārī,
suranara munijanahita sukhakārī।

adbhuta chaṭā māta tavabānī,
sakalaviśva kīnho sukharānī।

śānti svabhāva mṛdulatava bhavānī,
sakala viśvakī ho sukhakhānī।

mahālakṣmī dhanya ho māī,
paṃca tatva meṃ sṛṣṭi racāī।

jīva carācara tuma upajāe,
paśu pakṣī nara nāri banāe।

kṣititala agaṇita vṛkṣa jamāe,
amitaraṃga phala phūla suhāe।

chavi biloka suramuni naranārī,
kare sadā tava jaya-jaya kārī।

surapati au narapata saba dhyāveṃ,
tere sammukha śīśa navāvaiṃ।

cārahu vedana tava yaśa gāyā,
mahimā agama pāra nahiṃ pāyā।

jāpara karahu mātu tuma dāyā,
soī jaga meṃ dhanya kahāyā।

pala meṃ rājāhi raṃka banāo,
raṃka rāva kara bilamba na lāo।

jina ghara karahu mātatuma bāsā,
unakā yaśa ho viśva prakāśā।

jo dhyāvai so bahu sukha pāvai,
vimukha rahai ho dukha uṭhāvai।

mahālakṣmī jana sukha dāī,
dhyāūṃ tumako śīśa navāī।

nijajana jānimohiṃ apanāo,
sukha sampatti de sukha nasāo।

oṃ śrī-śrī jaya sukhakī khānī,
riddhisiddhi deu māta janajānī।

oṃ hrīṃ-oṃ hrīṃ saba byādhihaṭāo,
janauna bimala dṛṣṭidarśāo।

oṃ klīṃ-oṃ klīṃ śatruna kṣayakījai,
janahita māta abhaya varadījai।

oṃ jayajayati jayajananī,
sakala kāja bhaktana ke saranī।
oṃ namo-namo bhavanidhi tāranī,
taraṇi bhaṃvara se pāra utāranī।

sunahu māta yaha vinaya hamārī,
puravahu āśana karahu abārī।

ṛṇī dukhī jo tumako dhyāvai,
so prāṇī sukha sampatti pāvai।

roga grasati jo dhyāvai koī,
tākī nirmala kāyā hoī।

viṣṇu priyā jaya-jaya mahārānī,
mahimā amita na jāya bakhānī।

putrahīna jo dhyāna lagāvai,
po suta atihi hulasāvai।

trāhi trāhi śaraṇāgata terī,
karahu māta aba neka na derī।

āvahu māta vilamba na kījai,
hṛdaya nivāsa bhakta bara dījai।

jānū~ japa tapa kā nahiṃ bhevā,
pāra karau bhavanidha bana khevā।

binavoṃ bāra-bāra kara jorī,
pūraṇa āśā karahu aba merī॥

jāni dāsa mama saṃkaṭa ṭārau,
sakala vyādhi se mohiṃ ubārau।

jo tava surati rahai lava lāī,
so jaga pāvai suyaśa baḍa़āī।

chāyo yaśa terā saṃsārā,
pāvata śeṣa śambhu nahiṃ pārā।

govinda niśidina śaraṇa tihārī,
karahu pūraṇa abhilāṣa hamārī।

॥ dohā ॥
mahālakṣmī cālīsā paḍha़e,
sunai cita lāya।
tāhi padāratha milai,
aba kahai veda asa gāya॥

यह भी पढ़े

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!
Exit mobile version