धर्म

लक्ष्मी कवच – Sri Lakshmi Kavacham

सर्वऐश्वर्यप्रद-लक्ष्मी-कवच

श्रीमधुसूदन उवाच

गृहाण कवचं शक्र सर्वदुःखविनाशनम्।
परमैश्वर्यजनकं सर्वशत्रुविमर्दनम्॥

ब्रह्मणे च पुरा दत्तं संसारे च जलप्लुते।
यद् धृत्वा जगतां श्रेष्ठः सर्वैश्वर्ययुतो विधिः॥

बभूवुर्मनवः सर्वे सर्वैश्वर्ययुतो यतः।
सर्वैश्वर्यप्रदस्यास्य कवचस्य ऋषिर्विधि॥

पङ्क्तिश्छन्दश्च सा देवी स्वयं पद्मालया सुर।
सिद्धैश्वर्यजपेष्वेव विनियोगः प्रकीर्तित॥

यद् धृत्वा कवचं लोकः सर्वत्र विजयी भवेत्॥

मूल कवच पाठ

मस्तकं पातु मे पद्मा कण्ठं पातु हरिप्रिया।
नासिकां पातु मे लक्ष्मीः कमला पातु लोचनम्॥

केशान् केशवकान्ता च कपालं कमलालया।
जगत्प्रसूर्गण्डयुग्मं स्कन्धं सम्पत्प्रदा सदा॥

ॐ श्रीं कमलवासिन्यै स्वाहा पृष्ठं सदावतु।
ॐ श्रीं पद्मालयायै स्वाहा वक्षः सदावतु॥

पातु श्रीर्मम कंकालं बाहुयुग्मं च ते नमः॥

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः पादौ पातु मे संततं चिरम्।
ॐ ह्रीं श्रीं नमः पद्मायै स्वाहा पातु नितम्बकम्॥

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै स्वाहा सर्वांगं पातु मे सदा।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै स्वाहा मां पातु सर्वतः॥

फलश्रुति

इति ते कथितं वत्स सर्वसम्पत्करं परम्।
सर्वैश्वर्यप्रदं नाम कवचं परमाद्भुतम्॥

गुरुमभ्यर्च्य विधिवत् कवचं शरयेत्तु यः।
कण्ठे वा दक्षिणे बांहौ स सर्वविजयी भवेत्॥

महालक्ष्मीर्गृहं तस्य न जहाति कदाचन।
तस्य छायेव सततं सा च जन्मनि जन्मनि॥

इदं कवचमज्ञात्वा भजेल्लक्ष्मीं सुमन्दधीः।
शतलक्षप्रजप्तोऽपि न मन्त्रः सिद्धिदायकः॥

॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्ते इन्द्रं प्रति हरिणोपदिष्टं लक्ष्मीकवचं ॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर श्री लक्ष्मी कवच को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह लक्ष्मी कवच रोमन में–

Read Lakshmi Kavacham

sarvaaiśvaryaprada-lakṣmī-kavaca

śrīmadhusūdana uvāca

gṛhāṇa kavacaṃ śakra sarvaduḥkhavināśanam।
paramaiśvaryajanakaṃ sarvaśatruvimardanam॥

brahmaṇe ca purā dattaṃ saṃsāre ca jalaplute।
yad dhṛtvā jagatāṃ śreṣṭhaḥ sarvaiśvaryayuto vidhiḥ॥

babhūvurmanavaḥ sarve sarvaiśvaryayuto yataḥ।
sarvaiśvaryapradasyāsya kavacasya ṛṣirvidhi॥

paṅktiśchandaśca sā devī svayaṃ padmālayā sura।
siddhaiśvaryajapeṣveva viniyogaḥ prakīrtita॥

yad dhṛtvā kavacaṃ lokaḥ sarvatra vijayī bhavet॥

mūla kavaca pāṭha

mastakaṃ pātu me padmā kaṇṭhaṃ pātu haripriyā।
nāsikāṃ pātu me lakṣmīḥ kamalā pātu locanam॥

keśān keśavakāntā ca kapālaṃ kamalālayā।
jagatprasūrgaṇḍayugmaṃ skandhaṃ sampatpradā sadā॥

oṃ śrīṃ kamalavāsinyai svāhā pṛṣṭhaṃ sadāvatu।
oṃ śrīṃ padmālayāyai svāhā vakṣaḥ sadāvatu॥

pātu śrīrmama kaṃkālaṃ bāhuyugmaṃ ca te namaḥ॥

oṃ hrīṃ śrīṃ lakṣmyai namaḥ pādau pātu me saṃtataṃ ciram।
oṃ hrīṃ śrīṃ namaḥ padmāyai svāhā pātu nitambakam॥

oṃ śrīṃ mahālakṣmyai svāhā sarvāṃgaṃ pātu me sadā।
oṃ hrīṃ śrīṃ klīṃ mahālakṣmyai svāhā māṃ pātu sarvataḥ॥

phalaśruti

iti te kathitaṃ vatsa sarvasampatkaraṃ param।
sarvaiśvaryapradaṃ nāma kavacaṃ paramādbhutam॥

gurumabhyarcya vidhivat kavacaṃ śarayettu yaḥ।
kaṇṭhe vā dakṣiṇe bāṃhau sa sarvavijayī bhavet॥

mahālakṣmīrgṛhaṃ tasya na jahāti kadācana।
tasya chāyeva satataṃ sā ca janmani janmani॥

idaṃ kavacamajñātvā bhajellakṣmīṃ sumandadhīḥ।
śatalakṣaprajapto’pi na mantraḥ siddhidāyakaḥ॥

॥ iti śrībrahmavaivarte indraṃ prati hariṇopadiṣṭaṃ lakṣmīkavacaṃ ॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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