महालक्ष्मी जी की आरती – Mahalaxmi Aarti
महालक्ष्मी जी की आरती का गायन धन-संपत्ति, मान और वैभव देने वाला है। जिसके ऊपर माँ की कृपा हो, उसे सब कुछ सहज ही प्राप्त हो जाता है। जहाँ महालक्ष्मी जी की आरती (Mahalaxmi Aarti) नित्य गायी जाती है, उस परिवार में सदैव सुख और शांति का वातावरण बना रहता है।
उनकी कृपा-दृष्टि के बिना जगत में कोई भी बड़ा कार्य संभव नहीं है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति का आधार-स्तम्भ यदि कुछ है, तो वह है लक्ष्मी मैया की अनुकम्पा। अपना जीवन सफल बनाएँ व पढ़ें महालक्ष्मी जी की आरती–
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जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
तुमको निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ जय… ॥
ब्रह्माणी कमला तू ही है जग माता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ जय… ॥
दुर्गा रूप निरंजन, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता ॥ जय… ॥
तू ही है पाताल बसन्ती, तू ही है शुभ दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशक, जग निधि में त्राता ॥ जय… ॥
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जिस घर थारा वासा, जेहि में गुण आता।
कर न सके सोई करले, मन नहीं धड़काता॥ जय… ॥
तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न होय राता।
खान पान को वैभव, तुम बिन गुण दाता॥ जय… ॥
शुभ गुण सुन्दर मुक्ति, क्षीर निधि जाता।
रत्न चतुर्दश ताको, कोई नहीं पाता ॥ जय… ॥
यह आरती महाक्ष्मी जी की, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द अति उमंगे, पाप उतर जाता॥ जय… ॥
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इस आरती को पूजन के अन्त में गाए जाने का विधान है। ऐसा इसलिए किया जाता है, जिससे पूजा के दौरान जो कुछ दोष रह गए हों उनका परिहार हो जाए।
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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर महालक्ष्मी जी की आरती (Mahalaxmi Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें महालक्ष्मी जी की आरती रोमन में–
Read Mahalaxmi Aarti
jaya lakṣmī mātā, jaya lakṣmī mātā।
tumako niśa dina sevata, hara viṣṇu vidhātā॥ jaya ॥
brahmāṇī kamalā tū hī hai jaga mātā।
sūrya candramā dhyāvata, nārada ṛṣi gātā॥ jaya ॥
durgā rūpa niraṃjana, sukha sampatti dātā।
jo koī tumako dhyāvata, ṛddhi siddhi dhana pātā ॥ jaya ॥
tū hī hai pātāla basantī, tū hī hai śubha dātā।
karma prabhāva prakāśaka, jaga nidhi meṃ trātā ॥ jaya ॥
jisa ghara thārā vāsā, jehi meṃ guṇa ātā।
kara na sake soī karale, mana nahīṃ dhaḍa़kātā॥ jaya ॥
tuma bina yajña na hove, vastra na hoya rātā।
khāna pāna ko vaibhava, tuma bina guṇa dātā॥ jaya ॥
śubha guṇa sundara mukti, kṣīra nidhi jātā।
ratna caturdaśa tāko, koī nahīṃ pātā ॥ jaya ॥
yaha āratī lakṣmī jī kī, jo koī nara gātā।
ura ānanda ati umaṃge, pāpa utara jātā॥ jaya॥
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