धर्म

मंगल को जन्मे मंगल ही करते – Mangal Ko Janme Mangal Hi Karte Lyrics

पढ़ें “मंगल को जन्मे मंगल ही करते” लिरिक्स

मंगल को जन्में,मंगल ही करते मंगलमय भगवान,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान॥

कोई तुम्हारे अतुलित बल का,कर ना सका अनुमान
नहीं तुमसा कोई चतुर कपीश्वर,नहीं तुमसा बलवान,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान॥

मंगल को जन्में,मंगल ही करते मंगलमय भगवान,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान॥

लाल देह लाली लसे,अरू धरि लाल लँगूर
बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर॥

मस्तक मणि से दिनमणि लाजे,अतिशय कुण्डल कानन राजे,
लाल लाल बागा तन साजे,पूर्ण समर्पित रघुवर काजे,
संकट मोचन देव तुम्हारे,राजीव लोचन प्राण,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान॥

मंगल को जन्मे,मंगल ही करते मंगलमय भगवान,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर इस भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह भजन रोमन में-

Read Mangal Ko Janme Mangal Hi Karte Lyrics

maṃgala ko janmeṃ,maṃgala hī karate maṃgalamaya bhagavāna,
jaya hanumāna, jaya hanumāna,
jaya hanumāna, jaya jaya hanumāna॥

koī tumhāre atulita bala kā,kara nā sakā anumāna
nahīṃ tumasā koī catura kapīśvara,nahīṃ tumasā balavāna,
jaya hanumāna, jaya hanumāna,
jaya hanumāna, jaya jaya hanumāna॥

maṃgala ko janmeṃ,maṃgala hī karate maṃgalamaya bhagavāna,
jaya hanumāna, jaya hanumāna,
jaya hanumāna, jaya jaya hanumāna॥

lāla deha lālī lase,arū dhari lāla la~gūra
bajra deha dānava dalana,jaya jaya jaya kapi sūra॥

mastaka maṇi se dinamaṇi lāje,atiśaya kuṇḍala kānana rāje,
lāla lāla bāgā tana sāje,pūrṇa samarpita raghuvara kāje,
saṃkaṭa mocana deva tumhāre,rājīva locana prāṇa,
jaya hanumāna, jaya hanumāna,
jaya hanumāna, jaya jaya hanumāna॥

maṃgala ko janme,maṃgala hī karate maṃgalamaya bhagavāna,
jaya hanumāna, jaya hanumāna,
jaya hanumāna, jaya jaya hanumāna॥

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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