कविता

फुलारी – Phulari Lyrics – Pandavaas

“फुलारी” यह गीत उत्तराखंड के प्रसिद लोक पर्व पे आधारित है जिसे फुलदेही त्यौहार नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार उत्तराखंड में फाल्गुन के महीने मे हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है।

चला फुलारी फूलों को
सौदा-सौदा फूल बिरौला

हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि फ्योंली लयड़ी
मैं घौर छोड्यावा
हे जी घर बौण बौड़ीगे ह्वोलु बालू बसंत
मैं घौर छोड्यावा
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि

चला फुलारी फूलों को
सौदा-सौदा फूल बिरौला
भौंरों का जूठा फूल ना तोड्यां
म्वारर्यूं का जूठा फूल ना लायाँ

ना उनु धरम्यालु आगास
ना उनि मयालू यखै धरती
अजाण औंखा छिन पैंडा
मनखी अणमील चौतर्फी
छि भै ये निरभै परदेस मा तुम रौणा त रा
मैं घौर छोड्यावा
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि

फुल फुलदेई दाल चौंल दे
घोघा देवा फ्योंल्या फूल
घोघा फूलदेई की डोली सजली
गुड़ परसाद दै दूध भत्यूल

अयूं होलू फुलार हमारा सैंत्यां आर चोलों मा
होला चैती पसरू मांगणा औजी खोला खोलो मा
ढक्यां द्वार मोर देखिकी फुलारी खौल्यां होला

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर हम फुलारी (Phulari) उत्तराखंड गीत को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें इस गीत के बोल रोमन में–

Phulari Pahadi Song

calā phulārī phūloṃ ko
saudā-saudā phūla biraulā

he jī sāryūṃ mā phūlīge hvoli phyoṃlī layaḍa़ī
maiṃ ghaura choḍyāvā
he jī ghara bauṇa bauḍa़īge hvolu bālū basaṃta
maiṃ ghaura choḍyāvā
he jī sāryūṃ mā phūlīge hvoli

calā phulārī phūloṃ ko
saudā-saudā phūla biraulā
bhauṃroṃ kā jūṭhā phūla nā toḍyāṃ
mvāraryūṃ kā jūṭhā phūla nā lāyā~

nā unu dharamyālu āgāsa
nā uni mayālū yakhai dharatī
ajāṇa auṃkhā china paiṃḍā
manakhī aṇamīla cautarphī
chi bhai ye nirabhai paradesa mā tuma rauṇā ta rā
maiṃ ghaura choḍyāvā
he jī sāryūṃ mā phūlīge hvoli

phula phuladeī dāla cauṃla de
ghoghā devā phyoṃlyā phūla
ghoghā phūladeī kī ḍolī sajalī
guḍa़ parasāda dai dūdha bhatyūla

ayūṃ holū phulāra hamārā saiṃtyāṃ āra coloṃ mā
holā caitī pasarū māṃgaṇā aujī kholā kholo mā
ḍhakyāṃ dvāra mora dekhikī phulārī khaulyāṃ holā

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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