सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ अर्थ सहित व फायदे
सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती की महिमा अनन्त है और शब्दों में इसक वर्णन करना बहुत दुष्कर कार्य है। यूँ तो मान्यता है कि नवरात्रि में तथा इसके अतिरिक्त अन्य समय भी दुर्गा सप्तशती का पाठ (Durga Saptashloki Lyrics) भोग व मोक्ष प्रदान करने वाला है, लेकिन यदि इतना समय आपके पास उपलब्ध न हो तो सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ भी वही लाभ देता है। कहते हैं कि इसकी रचना साक्षात् भगवान शिव ने स्वयं की है। भगवती दुर्गा ही शक्तिरूपा हैं और संपूर्ण चराचर के भासित होने का मूल कारण हैं। सप्तश्लोकी दुर्गा के माध्यम से उनका वंदन सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला और इच्छाओं से परे भवसागर से पार ले जाने वाला है। Durga Saptashloki PDF का लिंक इस वेबपेज के अंत में दिया गया है। वहाँ से आप इस स्तोत्र को डाउनलोड कर सकते हैं। पढ़ें यह अद्भुत स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित (Durga Saptashloki in Hindi)–
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शिव उवाच
देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी ।
कलौ हि कार्यसिद्धयर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः॥
हे देवि! तुम भक्तों के लिए सुलभ हो और सभी कर्मों का विधान करती हो। कलियुग में कार्य-सिद्धि के लिए यदि कोई उपाय हो तो उसे अपनी वाणी द्वारा बतलाओ।
देव्युवाच
श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम्।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥
हे देव! आपका मुझपर अत्यन्त स्नेह है। कलियुग में सभी इच्छाओं को सिद्ध करने वाला जो साधन है मैं वह बताऊंगी। सुनिए, उस उपाय का नाम है “अम्बा स्तुति”।
विनियोग
ॐ अस्य श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मन्त्रस्य नारायण ऋषिः,
अनुष्टुप छन्दः श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः,
श्री दुर्गा प्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गा पाठे विनियोगः।
ॐ इस सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र मन्त्र के ऋषि साक्षात् नारायण हैं, इसका छंद अनुष्टुप् है, श्री महा-काली,महा-लक्ष्मी और महा-सरस्वती देवता हैं, श्री दुर्गा जी की प्रसन्नता के लिये सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ में इसका विनियोग किया जाता है।
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ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥१॥
वे महामाया स्वरूपा भगवती देवी ज्ञानियों के भी मन को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं ॥१॥
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥२॥
माँ दुर्गा! आप स्मरण करने पर समस्त प्राणियों के डर का हरण लेती हैं और स्वस्थ (आत्मस्थ) पुरुषों द्वारा चिंतन करने पर उन्हें अत्यंत कल्याणमयी बुद्धि देती हैं। दुःख, दारिद्र्य और भय का हरण करने वाली देवि! आपके अतिरिक्त अन्य कौन है जिसका चित्त सभी का उपकार करने हेतु सदा ही दयार्द्र रहता हो ॥२॥
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सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥३॥
हे नारायणी! तुम हर तरह का मंगल देने वाली अर्थात् मंगलमयी हो। आप ही कल्याण करने वाली शिवा हो। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष–सभी पुरुषार्थों में सिद्धि प्रदान करने वाली, शरणागत की रक्षा करने वाली, त्रिनेत्रों वाली और गौर वर्ण वाली हो। तुम्हें नमस्कार है ॥३॥
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥४॥
शरण में आए हुए दीनों एवं पीड़ित लोगों की रक्षा में लगी रहने वाली तथा सभी के कष्ट दूर करने वाली हे नारायणी देवि! तुम्हें नमस्कार है ॥४॥
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सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवी नमोऽस्तु ते ॥५॥
सभी स्वरूपों को प्रकाशित करने वाली, सभी की स्वामिनी व सब तरह की शक्तियों से संपन्न दिव्य रूपा देवि दुर्गा जी! सभी भयों से हमारा रक्षण करो। तुम्हें नमस्कार है ॥५॥
रोगा नशेषा नपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामा श्रितानां न विपन्न राणां त्वामा श्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥६॥
हे देवि! तुम प्रसन्न हो सभी व्याधियों को विनष्ट कर देती हो और क्रुद्ध होने पर सारी मनोवांछित इच्छाओं को नष्ट कर देती हो। जो भक्त तुम्हारी शरण में जा चुके हैं, उनके ऊपर विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गए हुए लोग दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं ॥६॥
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्या खिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि विनाशनम् ॥७॥
सभी की स्वामिनी! तुम ऐसे ही तीनों लोकों की सभी बाधाओं को शांत करो एवं हमारे शत्रुओं को विनष्ट करतीरहो ॥७॥
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सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के फायदे
सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ करने के अगणित लाभ हैं। इसके सातों श्लोकों में से प्रत्येक अद्भुत व चमत्कारी फल देने वाला है। विद्वानों का मत है कि विशेषतः नवरात्रि के समय सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के फायदे कई गुणा बढ़ जाते हैं। उपनिषदों में आता है कि भय ही बंधन का कारण है। वस्तुतः सांसारिक उन्नति और मोक्ष–दोनों की ही प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है तो बस भय। इस स्तोत्र का प्रतिदिन या कम-से-कम प्रति सोमवार पाठ करने से हर भय नष्ट हो जाता है, अन्तःकरण में नव-शक्ति का संचार होता है और जीवन तेजस्विता की आभा से परिपूर्ण होने लगता है। यह भी मान्यता है कि इसे पढ़ने से सभी व्याधियाँ समाप्त हो जाती हैं तथा आरोग्य की सहज ही प्राप्ति होती है। किसी भी प्रकार का दुःख हो, माँ अपने भक्तों के लिए उसे अवश्य दूर कर देती है। अतः इस स्तोत्र को पढ़ने से सभी कष्टों व दुःखों से मुक्ति मिलती है।
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पीडीएफ के अनेक फायदे होते हैं और उन्हें आसानी से सहेजकर रखा जा सकता है। Durga Saptashloki PDF भी हम आप सभी के लिए हिंदीपथ पर उपलब्ध करा रहे हैं ताकि इंटरनेट के अभाव में भी आप यह पाठ आसानी से कर सकें।
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर सप्तश्लोकी दुर्गा अद्भुत स्तोत्र को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह अद्भुत स्तोत्र रोमन में–
śiva uvāca
devi tvaṃ bhaktasulabhe sarvakāryavidhāyinī ।
kalau hi kāryasiddhayarthamupāyaṃ brūhi yatnataḥ॥
devyuvāca
śrṛṇu deva pravakṣyāmi kalau sarveṣṭasādhanam।
mayā tavaiva snehenāpyambāstutiḥ prakāśyate ॥
viniyoga
oṃ asya śrī durgā saptaślokī stotra mantrasya nārāyaṇa ṛṣiḥ,
anuṣṭupa chandaḥ śrī mahākālī mahālakṣmī mahāsarasvatyo devatāḥ,
śrī durgā prītyarthaṃ saptaślokī durgā pāṭhe viniyogaḥ।
oṃ jñānināmapi cetāṃsi devī bhagavatī hi sā।
balādākṛṣya mohāya mahāmāyā prayacchati ॥1॥
durge smṛtā harasi bhītimaśeṣajantoḥ svasthaiḥ smṛtā matimatīva śubhāṃ dadāsi।
dāridrayaduḥkhabhayahāriṇi kā tvadanyā sarvopakārakaraṇāya sadārdra cittā ॥2॥
sarva maṅgala māṅgalye śive sarvārtha sādhike।
śaraṇye tryambake gauri nārāyaṇi namo’stu te ॥3॥
śaraṇāgata dīnārta paritrāṇa parāyaṇe।
sarvasyārtihare devi nārāyaṇi namo’stu te ॥4॥
sarvasvarūpe sarveśe sarvaśakti samanvite।
bhayebhyastrāhi no devi durge devī namo’stu te ॥5॥
rogā naśeṣā napahaṃsi tuṣṭā ruṣṭā tu kāmān sakalānabhīṣṭān।
tvāmā śritānāṃ na vipanna rāṇāṃ tvāmā śritā hyāśrayatāṃ prayānti ॥6॥
sarvābādhā praśamanaṃ trailokyasyā khileśvari।
evameva tvayā kāryamasmadvairi vināśanam ॥7॥