धर्म

सत्य साई चालीसा – Satya Sai Chalisa

सत्य साई चालीसा (Satya Sai Chalisa) का प्रत्येक अक्षर दिव्य, शक्तिसंपन्न और जीवन्त है। जीवन में सत्य, धर्म, अहिंसा, प्रेम और शान्ति को धारण कर जो इस सत्य साई चालीसा का पाठ करता है उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं व सभी बाधाओं एवं कष्टों का निवारण हो जाता है। सत्य साईं शिरडी वाले साईं बाबा के अवतार माने जाते हैं। उन्होंने संपूर्ण जगत में प्रेम व शांति का संदेश प्रसारित किया। बाबा की कृपा प्राप्त करने के लिए पाठ करें सत्य साई चालीसा का–

सद्गुरु ब्रह्म कृपानिधे,
साईं ब्रह्म स्वरूप।

मंगलकर वन्दना करूँ,
शोभित चरण अनूप।

शुद्ध हृदय समचित्त है,
आओ कृपा निधान।

वास करो इस चित्त में,
पर्तीश्वर भगवान।

जय पर्तीश्वर जय सत्य साईं,
शोभित मुखारविन्द तरूणाई।

शक्ति अवतार सत्य साईशा,
ईश्वराम्बा सुत पर्तीपुरीशा।

सत्य धर्म के कारण आये,
शान्ति प्रेम सद्भाव बताये।

मोक्ष द्वार आनन्द विधाता,
सकल ऋद्धि गुण सिद्धि प्रदाता।

निराकार परब्रह्म स्वरूपा,
आकारी मनहर शुचिरूपा।

निर्गुण नाम निरन्तर साई,
सगुण सनातन श्री सत्य साईं।

रूप दिव्य प्रभु रूप बनाया,
दर्शन कर भवरोग भुलाया।

मुख मण्डल पर अद्भुत केशा,
चित्र विचित्र दिव्य सन्देशा।

सागर सम अथाह शुचि नैना,
अनुपम शोभित पद्म सुनैना।

हर्ष लिये है दीपित आनन,
आनन्द ब्रह्मलोक दिव्यानन ।

क्षण प्रतिक्षण भाव परिवर्तित,
गम्भीर कभी हो जाते हर्षित।

आँखें बन्द किए ध्यान कर,
ब्रह्मलीन भगवान निरन्तर ।

चमत्कार करते विधि नाना,
धारण करते धर्म परिधाना।

शिर्डी बाबा रूप बताते,
अवतारी साईं कहलाते।

दीनबन्धु व अपंग सहायक,
भवबन्धन में शान्ति प्रदायक।

सर्व धर्म के सार कहाते,
प्रणव पुरुष अवतार सुहाते।

राम नाम की महिमा गाई,
स्वयं राम की छवि बतलाई।

राधाकृष्ण, राम अरु सीता,
साईश्वास रामायण और गीता

भक्त वत्सला साई रामा,
पाहि पाहि माम् हे घनश्यामा।

चकित रहा है ये संसारा,
शक्ति स्वरूपा विश्वाधारा।

“साई ॐ” सवालक्ष जो जापे,
भव बन्धन थरथर त्यौं काँपे ।

गुरु कीर्तन में जो कोई जावे,
साई कृपा तुरन्त फल पावे।

भक्त करे नारायण सेवा,
प्रत्यक्ष हो नारायण देवा।

प्रातः नगर संकीर्तन जाई,
साई दया का पात्र कहाई।

रग-रग में रम जाओ स्वामी,
आओ आओ अन्तरयामी।

जहाँ दिव्य साई अनुशासन,
निश्चय स्वयं साई दिव्यसन।

सत्य प्रचार धर्म आधारा,
शान्ति स्वभाव प्रेम अवतारा।

परम प्रसाद विभूति पावन,
भ्रांति त्रास, दुःख-दर्द मिटावन ।

“ॐकार” ध्वनि है परमानन्दा,
आशुतोष हर्षित सानन्दा।

दुष्काल, दर्द, दुःख, जबहि सतावे,
‘साई’ नाम तत्काल मिटावे।

वेदशास्त्र उपनिषद् और गीता,
समझा वही साई मन जीता।

दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, अम्बा,
शक्ति स्वरूपा साई जगदम्बा।

गीता ज्ञान प्रसारण कारण,
जन्म लियो बन जन साधारण।

साई शक्ति को जो कोई ध्यावे,
तत्क्षण मन वांछित फल पावे।

चालीसा पाठ करे नित कोई,
प्रत्यक्ष साई कृपा हित होई।

बालक, वृद्ध, युवा, नर, नारी,
जपे, मिटे भव बाधा सारी।

साई दिव्य अभय वरदाता,
जय पर्तीश्वर जय सत्य साई।

सुख वैभव सदमार्ग प्रदाता,
कृपा करो हरि पाहि पाहिए।

जयति ज्योतिपुंजल शिव साई,
जय जय जय हे साई अवतारा।

क्षमा करो प्रभु पाप हमारा,
बुद्धि हीन हम बालक तोरे।

शशि प्रभु तुम, हम आज चकोरे,
शोभित मुखारविन्दा तरूणाई।

शक्ति अवतार सत्य साईशा,
ईश्वराम्बा सुत पर्तीपुरीशा।

भव बन्धन संसार में,
सब कुछ है हरिनाम।

चरण कमल पर आ पड़ा,
अपनालो साई राम।

ॐ शान्तिः! शान्तिः! शान्तिः!!!
॥श्री दिव्यज्ञान प्रदायक भगवान श्री सत्य साई चालीसा सम्पूर्णम्॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर सत्य साई चालीसा (Satya Sai Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें सत्य साई चालीसा रोमन में–

Read Satya Sai Chalisa

sadguru brahma kṛpānidhe,
sāīṃ brahma svarūpa।

maṃgalakara vandanā karū~,
śobhita caraṇa anūpa।

śuddha hṛdaya samacitta hai,
āo kṛpā nidhāna।

vāsa karo isa citta meṃ,
partīśvara bhagavāna।

jaya partīśvara jaya satya sāīṃ,
śobhita mukhāravinda tarūṇāī।

śakti avatāra satya sāīśā,
īśvarāmbā suta partīpurīśā।

satya dharma ke kāraṇa āye,
śānti prema sadbhāva batāye।

mokṣa dvāra ānanda vidhātā,
sakala ṛddhi guṇa siddhi pradātā।

nirākāra parabrahma svarūpā,
ākārī manahara śucirūpā।

nirguṇa nāma nirantara sāī,
saguṇa sanātana śrī satya sāīṃ।

rūpa divya prabhu rūpa banāyā,
darśana kara bhavaroga bhulāyā।

mukha maṇḍala para adbhuta keśā,
citra vicitra divya sandeśā।

sāgara sama athāha śuci nainā,
anupama śobhita padma sunainā।

harṣa liye hai dīpita ānana,
ānanda brahmaloka divyānana ।

kṣaṇa pratikṣaṇa bhāva parivartita,
gambhīra kabhī ho jāte harṣita।

ā~kheṃ banda kie dhyāna kara,
brahmalīna bhagavāna nirantara ।

camatkāra karate vidhi nānā,
dhāraṇa karate dharma paridhānā।

śirḍī bābā rūpa batāte,
avatārī sāīṃ kahalāte।

dīnabandhu va apaṃga sahāyaka,
bhavabandhana meṃ śānti pradāyaka।

sarva dharma ke sāra kahāte,
praṇava puruṣa avatāra suhāte।

rāma nāma kī mahimā gāī,
svayaṃ rāma kī chavi batalāī।

rādhā-kṛṣṇa, rāma aru sītā,
sāīśvāsa rāmāyaṇa aura gītā।

bhakta vatsalā sāī rāmā,
pāhi pāhi mām he ghanaśyāmā।

cakita rahā hai ye saṃsārā,
śakti svarūpā viśvādhārā।

“sāī oṃ” savālakṣa jo jāpe,
bhava bandhana tharathara tyauṃ kā~pe ।

guru kīrtana meṃ jo koī jāve,
sāī kṛpā turanta phala pāve।

bhakta kare nārāyaṇa sevā,
pratyakṣa ho nārāyaṇa devā।

prātaḥ nagara saṃkīrtana jāī,
sāī dayā kā pātra kahāī।

raga-raga meṃ rama jāo svāmī,
āo āo antarayāmī।

jahā~ divya sāī anuśāsana,
niścaya svayaṃ sāī divyasana।

satya pracāra dharma ādhārā,
śānti svabhāva prema avatārā।

parama prasāda vibhūti pāvana,
bhrāṃti trāsa, duḥkha-darda miṭāvana।

“oṃkāra” dhvani hai paramānandā,
āśutoṣa harṣita sānandā।

duṣkāla, darda, duḥkha, jabahi satāve,
‘sāī’ nāma tatkāla miṭāve।

vedaśāstra upaniṣad aura gītā,
samajhā vahī sāī mana jītā।

durgā, lakṣmī, sarasvatī, ambā,
śakti svarūpā sāī jagadambā।

gītā jñāna prasāraṇa kāraṇa,
janma liyo bana jana sādhāraṇa।

sāī śakti ko jo koī dhyāve,
tatkṣaṇa mana vāṃchita phala pāve।

cālīsā pāṭha kare nita koī,
pratyakṣa sāī kṛpā hita hoī।

bālaka, vṛddha, yuvā, nara, nārī,
jape, miṭe bhava bādhā sārī।

sāī divya abhaya varadātā,
jaya partīśvara jaya satya sāī।

sukha vaibhava sadamārga pradātā,
kṛpā karo hari pāhi pāhie।

jayati jyotipuṃjala śiva sāī,
jaya jaya jaya he sāī avatārā।

kṣamā karo prabhu pāpa hamārā,
buddhi hīna hama bālaka tore।

śaśi prabhu tuma, hama āja cakore,
śobhita mukhāravindā tarūṇāī।

śakti avatāra satya sāīśā,
īśvarāmbā suta partīpurīśā।

bhava bandhana saṃsāra meṃ,
saba kucha hai harināma।

caraṇa kamala para ā paḍa़ā,
apanālo sāī rāma।

oṃ śāntiḥ! śāntiḥ! śāntiḥ!!!
॥śrī divyajñāna pradāyaka bhagavāna śrī satya sāī cālīsā sampūrṇam॥



सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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