धर्म

शनि देव की गाथा – Shani Dev Ki Gatha Lyrics (शनि देव की कहानी)

पढ़ें “शनि देव की गाथा” लिरिक्स

हम सूर्य पुत्र शनिदेव की महिमा प्रेम से गाते है
पावन कथा सुनाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

इसलिए शनिश्वर कलयुग के महाराज कहाते है
उनको यह समझाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
कैसे शनि देव का जन्म हुआ सब सुनो लगाकर ध्यान
यह अद्भुत गाथा सुनने से हो जाता है कल्याण
हो जाता है कल्याण

फिर संज्ञा देवी सूर्य देवता के मन को भाई
बंधे पड़े बंधन मैं दोनों घड़ी ये शुभ आई
दोनों घड़ी ये शुभ आई

लेकिन संज्ञा सूर्य देव का तेज न सह पाई
हो गई अंतर्ध्यान छोड़ कर अपनी परछाई
छोड़ कर अपनी परछाई

सूर्य और छाया के मिलन से जन्मे शनेश्वर
सूर्यदेव फूले न समाए जब यह सुनी खबर
जब यह सुनी खबर

बेटे का देखने मुखड़ा वो महलों में जाते हैं
वो महलों में जाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
सूर्यदेव बोले हैं भगवन यह है क्या माया
भूल हुई क्या मुझसे मुझको यह दिन दिखलाया
मुझको यह दिन दिखलाया

कैसे इसको गले लगाऊं कैसे करूं दुलार
देखके इसकी सूरत देगा ताने यह संसार
देगा ताने यह संसार
है विचित्र सा चेहरा काका जैसा है काला
लाल है इसके नेत्र धधकती है उनमें ज्वाला
धधकती है उनमें ज्वाला
पाप कहूं पिछले जन्मों का या अभिशाप कहूं
मैं ऐसे बच्चे का खुद को कैसे बाप कहूं
खुद को कैसे बाप कहूं

सूर्य देव शनि देव की महिमा जान ना पाते हैं
महिमा जान ना पाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
अहंकार में सूर्य देवता ऐसे भरमाए
शनि राज की शक्ति को पहचान नहीं पाए
पहचान नहीं पाए

सह ना पाए शनिदेव अपना इतना अपमान
अपने पिता को शक्ति दिखाऊंगा ली मन में ठान
दिखाऊंगा ली मन में ठान

वक्र दृष्टि शनिदेव ने डाली दिन में हो गई रैन
पहुंचाया यमलोक सारथी यशवो के छीने नेन
सारथी यशवो के छीने नेन

सनी वक्र दृष्टि की पड़ी जब सूर्य पे छाया
पल भर में छह रोगी हो गई कंचन सी काया
हो गई कंचन सी काया

ज्ञानी ध्यानी सूर्य देव को यह समझाते हैं
हां यह समझाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
उड़ ना सका रथ सूर्य देव का हुआ घोर अंधकार
देवी देवता चिंतित हो गए मच गई हाहाकार
मच गई हाहाकार

सूर्य देवता से यू बोले फिर शंकर भगवान
अहंकार वश किया शनेश्वर का तुमने अपमान

शनेश्वर का तुमने अपमान
महा विष्णु अवतार है यह महाकाली का वरदान
कलयुग में नहीं और कोई शक्ति में इनके समान
कोई शक्ति में इनके समान

इसीलिए कली देव कहे इनको यह सकल जहान
अगर चाहिए मुक्ति दुख से करो इन्हीं का ध्यान
करो इन्हीं का ध्यान
सूर्यदेव चरणों में शनि के शीश झुकाते हैं
हां शीश झुकाते हैं

यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
उज्जैनी नगरी में है महा कालेश्वर का वास
यहां का राजा विक्रम आदित्य था संभू जी का दास
संभू जी का दास

राजा विक्रम गुणी जनों का करता था सम्मान
करवाता था नित्य भंडारे करता अन्य का दान
करता अन्य का दान

उसकी भक्ति देखके होता चकित सकल संसार
स्वर्ग यात्रा की विक्रम बन्ना जाने कितनी बार
जाने कितनी बार

राजा विक्रम की होती थी जग में जय जय कार
शनि देव के मन में आया एक दिन यूं ही विचार
आया एक दिन यूं ही विचार
इस सोने को कष्टों की अग्नि में तपाते हैं
अग्नि में तपाते हैं

यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
राज्यसभा में बैठे थे एक दिन सारे विद्वान
चर्चा छिड़ी हुई थी नवग्रह में है कौन महान
नवग्रह में है कौन महान

कौन श्रेष्ठ है कौन है छोटा किसकी ऊंची शान
बात बात में बात बढ़ गई किसका कहां स्थान
किसका कहां स्थान

शांत कराया विक्रम ने सब को कहकर यह बात
गुणी जनों इस बात पे चर्चा करेंगे कल हम साथ
चर्चा करेंगे कल हम साथ

व्यर्थ की बातों में ऐसे मत करो समय बर्बाद
कल सुबह दरबार में होगा फिर से यह संवाद
होगा फिर से यह संवाद

सुनकर यह आदेश सब आ घर अपने जाते हैं
सब आ घर अपने जाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
अगले दिन फिर पहुंच गए जब सारे दरबारी
बोले विक्रम बात कहो अपनी बारी बारी
बात अपनी बारी बारी

एक एक ग्रह के बारे में समझाते जाओ
अपनी अपनी बुद्धि के गुण दिखलाते जाओ
गुण सब दिखलाते जाओ

पहले पंडित ने उठ राजा को किया प्रणाम
और फिर बोला करता हूं मैं उलझन दूर तमाम
मैं उलझन दूर तमाम

वैसे तो यह राजन है नवग्रह सभी समान
फिर भी सब से श्रेष्ठ है इनमें रवि सूर्य भगवान
इनमें रवि सूर्य भगवान

इनकी करुणा से दुख के बादल छट जाते हैं
बादल छट जाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
दूजा पंडित बोला राजन सोम की शक्ति अपार
यह शीतल है चंद्र के जैसे जाने कुल संसार
इनको जाने फुल संसार

शीतल रजनी नाथ ना किसी को कष्ट यह पहुंचाए
इसीलिए तो नवग्रह में बस श्रेष्ठ यही कहलाए
श्रेष्ठ यही कहलाए

तीजा पंडित बोला मंगल कारी मंगल नाम
मंगलमय हो उसका जीवन यह है जिसके साथ
यह है जिसके साथ

मंगल दाता भक्तों पे करता सुख की बरसात
इसीलिए मंगल ग्रह देता है हर ग्रह को मार
देता है हर ग्रह को मार

इस ग्रह की महिमा को राजन देव भी गाते हैं
राजन देव भी गाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
चौथा पंडित यह समझाएं बुध है बड़ा महान
सुख शांति वह पाए करता है जो इसका ध्यान
करता है जो इसका ध्यान

इसके स्वर्ण से ही हो जाता है भक्तों कल्याण
इसे किसी से बैर नहीं यह सब का बढ़ाए मान
यह सब का बढ़ाए मान

करने लगा पांचवा पंडित गुरु का फिर गुणगान
बोला राजन कोई नहीं है बृहस्पति देव समान
बृहस्पति देव समान

गुरु के गुण गाए संसारी गुरु गुणों की खान
गुरु की बातें अमृत का किस्मत से हो रसपान
किस्मत से हो रसपान

छठ ब्राह्मण फिर शुक्र देव की महिमा गाते हैं
फिर महिमा गाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
सातवा पंडित राहु केतु दहका करे पठान
बोला इन दोनों के जैसा नहीं कोई बलवान
नहीं कोई बलवान

जो इनकी शक्ति ना माने वह मूर्ख नादान
तीनों लोकों में होता इन दोनों का सम्मान
इन दोनों का सम्मान

आठवें नौवें ब्राह्मण ने छोड़ा जो अपना स्थान
हाथ जोड़कर बोले हमको क्षमा करें यजमान
हमको क्षमा करें यजमान

खाली बातें करने से हिल सकता नहीं पसान
शनि देव की लीला सुनिए राजन देकर ध्यान
सुनिए राजन देकर ध्यान

के क्रोध से ऋषि मुनि सब घबराते हैं
हां सब घबराते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
पंडित ने राजा विक्रम का भरम मिटाया है
शनि जन्म कावा के आगे खोर सुनाया है
ये खोर सुनाया है

लेते ही शनि देव ने जन्म पिता को ढूंढ दिया
पिता ने मांगी शमा तभी उनका उद्धार हुआ
तभी उनका उद्धार हुआ

वक्र दृष्टि से इनकी राजन डरता है संसार
उत्तम कहलाने का तो बस इनको है अधिकार
तो बस इनको है अधिकार

कितना सुनकर विक्रम बोले तुम पर है धिक्कार
ऐसे दुष्ट अधर्मी की करते हो जय जय कार
करते हो जय जय कार

नाम ना लो शनिदेव का राजा हुक्म सुनाते हैं
राजा हुक्म सुनाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
विक्रम ने जब शनिदेव का या घोर अपमान
पहुंच गए तत्काल शनि वाह जब देख अपमान
क्रोध में जब सनी देव को देखा विक्रम जोड़े हाथ
सभा में सन्नाटा छाया अनहोनी हो गई बात
अनहोनी हो गई बात

मैं अज्ञानी मूड मति हूं माफ करो हे नाथ
भूले से भी नहीं करूंगा अब मैं ऐसी बात
अब मैं ऐसी बात

कहां शनि ने सुंदर काया पे है तुझे गुमान
अहंकार में भूल गया करना मेरा सम्मान
करना मेरा सम्मान

मेरी हंसी उड़ाने वाली नीर बहाते हैं
हा नीर बहाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राजज
हे विक्रम तुने सभा बीच में मेरा अपमान किया
अपशब्द कहे उसको जिसने मेरा गुणगान किया
जिसने मेरा गुणगान किया

देता हूं वचन मैं यह तेरा अभिमान मिटा ऊगां
मिट्टी में तेरा राज पाठ एक रोज मिला ऊगां
एक दिन रोज मिला ऊगां

कन्या राशि है तेरी तेरी राशि में आऊंगा
तेरे भले बुरे का कारण भी कन्या को बनाऊंगा
कन्या को बनाऊंगा

तीनो लोको मैं भी ना देगा कोई ढाल तुझे
हे चक्रवर्ती राजा कर दूंगा मैं कंगाल तुझे
मैं कंगाल तुझे

शनि देवता अपना हर वचन निभाते हैं
हर वचन निभाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राजज
शनि क्रोध से बचने का जब

मार्ग नहीं सुझा एकांतवास करने लगे तब राजा शिव पूजा
तब राजा शिव पूजा
राजा बोले हे भोले मेरे विपदा कौन हरे

मेरी चिंता मुझे हर पल तिल तिल यू ही भस्म करें
तिल तिल यू ही भस्म करें
तुम ही बोलो शनि क्रोध से मुझको कौन बचाएगा
क्या होगा यह राज्य पाठ जब मुझसे छीन ली जाएगा
मुझसे छीन ली जाएगा

शनिदेव हुए रूष्ठ उन्हीं को जाके मना राजा
उद्धार करेंगे वही उनकी शरण में जा राजा
उनकी शरण में जा राजा

उनके लिखें को हम भी मिटाना पाते हैं
हम भी मिटाना पाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राजज
राजा विक्रम की राशि में किया शनि ने किया प्रवेश
राज पाठ छीन गया सभी यू आये कास्ट क्लेश
यू आये कास्ट क्लेश

वक्र दृष्टि शनि राज ने उज्जैनी पे जब डाली
सूखा और अकाल पड़ा मुरझाई हर डाली
मुरझाई हर डाली

राजा को अपनी करनी पर होता पश्चाताप
कहता सबसे मेरे आगे आया मेरा पाप
आया मेरा पाप

कोई बताए कैसे दुख से मुक्ति पांऊ में
क्या खुद खाऊ और क्या इस प्रजा को खिलाओ में
इस प्रजा को खिलाओ में

जो करते अपमान शनेश्वर का दुख पाते हैं
शनेश्वर का दुख पाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राजज
शनि के मायाजाल में ऐसे फंसे राजा विक्रम
दुख की गहरी दलदल में फंसते जाते हरदम
फंसते जाते हरदम

राज्य में राजा के देखो यूं हाहाकार मची
राज्य कोष में उज्जैनी के कोड़ी नहीं बची
कोड़ी नहीं बची

शनि राज ने शक्ति विक्रम को जब दिखलायी
चंद्रसेन राजा से सजा चोरी की दिलवाई
चोरी की दिलवाई

चंद्र सैनी ने हाथ पाव कटवा दिए विक्रम के
बैल चलाएं राजा ने तेली का दास बन के
देखकर शनेश्वर राजा की हालत मुस्काते हैं
हालत मुस्काते हैं

यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राजज
राजा ने सच्चे मन से जब किया शनि का ध्यान
भूल क्षमा कर शांत हो गए पल में शनि भगवान
हो गए पल में शनि भगवान

बोले शनेश्वर विक्रम से मांगो कोई वरदान
राजा बोला मुझ सा कष्ट ना पाया कोई इंसान
कष्ट ना पाया कोई इंसान

कहां शनेश्वर ने रखता है जो पर हित का ध्यान
उस प्राणी की हर मुश्किल मैं करता हूं आसान
मैं करता हूं आसान

राज पाठ राजा का सारा वापस लौटाया
दया दृष्टि की दे दी फिर से कंचन सी काया
दे दी कंचन सी काया

राजा ने फिर चरणों के शनि के शीश नवाते हैं
हां शीश नवाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राज
शनि देव ने राजा को यह वचन सुनाए है
अहंकार यह था तेरा तूने कष्ट जो पाए हैं
तूने कष्ट जो पाए हैं

जो भक्त है मेरे सच्चे उनको हर सुख देता हूं
करते जो अपमान मेरा उनको हर दुख देता हूं
उनको हर दुख देता हूं

अपने भक्तों के हृदय में वास में करता हूं
पापी और अधर्मी का नाश मै करता हूं
नाश मै करता हूं

भक्तों की रक्षा का उठाया है मैंने बीड़ा
जिसे भरोसा है मेरा उनको छू न सके पीड़ा
उनको छू न सके पीड़ा

मुझे पूजने वाले नित आनंद मनाते हैं
नित आनंद मनाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राज
उज्जैनी नगरी मैं लौट आई खुशहाली
अन्य धन से भर गए जो भंडारे के खाली
जो भंडारे के खाली

राजा और प्रजा ने मिलकर शनि के गुण गाए
वह हो गया निहाल शनि दर्शन जिसने पाए
शनि दर्शन जिसने पाए

सुखकर्ता दुखहर्ता श्री छाया जी नंदन
इसीलिए तो देव भी इनके करते हैं वंदन
करते हैं वंदन

कीर्ति अपार है इनकी आओ कर लो रे पूजा
ऐसा दाता और दयालु कोई नहीं दूजा
कोई नहीं दूजा

यही जीवन नैया भव से पार लगाते हैं
नैया पार लगाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राज
कहां शनेश्वर ने कलयुग में होता मेरा प्रकाश
सिंगापुर में होगा मेरा मेरे भक्तों मेरा वास
मेरे भक्तों मेरा वास

सच्ची निष्ठा से आएगा जो जन मेरे पास
कष्ट हरूंगा उसके पूरी कर दूंगा हर आस
पूरी कर दूंगा हर आस

मेरा सुमिरन श्रद्धा से बस करेगा जो इंसान
मनवांछित फल पाएगा जो करेगा मेरा ध्यान
जो करेगा मेरा ध्यान

देकर अपने भक्तों को अपनी शक्ति का ज्ञान
पलंबर में ही शनि देवता हो गए अंतर्ध्यान
हो गए अंतर्ध्यान

शनि शीला के रूप में फिर शिंगणापुर आते हैं
शिंगणापुर आते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं

हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राज

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर शनि देव की गाथा (ShaniDev ki Kahani) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह शनि देव की गाथा रोमन में–

Read Shani Dev ki Gatha

hama sūryaputra śanideva kī mahimā prema se gāte hai
pāvana kathā sunāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

isalie śaniśvara kalayuga ke mahārāja kahāte hai
unako yaha samajhāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
kaise śani deva kā janma huā saba suno lagākara dhyāna
yaha adbhuta gāthā sunane se ho jātā hai kalyāṇa
ho jātā hai kalyāṇa

phira saṃjñā devī sūrya devatā ke mana ko bhāī
baṃdhe paḍa़e baṃdhana maiṃ donoṃ ghaḍa़ī ye śubha āī
donoṃ ghaḍa़ī ye śubha āī

lekina saṃjñā sūrya deva kā teja na saha pāī
ho gaī aṃtardhyāna choḍa़ kara apanī parachāī
choḍa़ kara apanī parachāī

sūrya aura chāyā ke milana se janme śaneśvara
sūryadeva phūle na samāe jaba yaha sunī khabara
jaba yaha sunī khabara

beṭe kā dekhane mukhaḍa़ā vo mahaloṃ meṃ jāte haiṃ
vo mahaloṃ meṃ jāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
sūryadeva bole haiṃ bhagavana yaha hai kyā māyā
bhūla huī kyā mujhase mujhako yaha dina dikhalāyā
mujhako yaha dina dikhalāyā

kaise isako gale lagāūṃ kaise karūṃ dulāra
dekhake isakī sūrata degā tāne yaha saṃsāra
degā tāne yaha saṃsāra
hai vicitra sā ceharā kākā jaisā hai kālā
lāla hai isake netra dhadhakatī hai unameṃ jvālā
dhadhakatī hai unameṃ jvālā
pāpa kahūṃ pichale janmoṃ kā yā abhiśāpa kahūṃ
maiṃ aise bacce kā khuda ko kaise bāpa kahūṃ
khuda ko kaise bāpa kahūṃ

sūrya deva śani deva kī mahimā jāna nā pāte haiṃ
mahimā jāna nā pāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
ahaṃkāra meṃ sūrya devatā aise bharamāe
śani rāja kī śakti ko pahacāna nahīṃ pāe
pahacāna nahīṃ pāe

saha nā pāe śanideva apanā itanā apamāna
apane pitā ko śakti dikhāūṃgā lī mana meṃ ṭhāna
dikhāūṃgā lī mana meṃ ṭhāna

vakra dṛṣṭi śanideva ne ḍālī dina meṃ ho gaī raina
pahuṃcāyā yamaloka sārathī yaśavo ke chīne nena
sārathī yaśavo ke chīne nena

sanī vakra dṛṣṭi kī paḍa़ī jaba sūrya pe chāyā
pala bhara meṃ chaha rogī ho gaī kaṃcana sī kāyā
ho gaī kaṃcana sī kāyā

jñānī dhyānī sūrya deva ko yaha samajhāte haiṃ
hāṃ yaha samajhāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
uḍa़ nā sakā ratha sūrya deva kā huā ghora aṃdhakāra
devī devatā ciṃtita ho gae maca gaī hāhākāra
maca gaī hāhākāra

sūrya devatā se yū bole phira śaṃkara bhagavāna
ahaṃkāra vaśa kiyā śaneśvara kā tumane apamāna

śaneśvara kā tumane apamāna
mahā viṣṇu avatāra hai yaha mahākālī kā varadāna
kalayuga meṃ nahīṃ aura koī śakti meṃ inake samāna
koī śakti meṃ inake samāna

isīlie kalī deva kahe inako yaha sakala jahāna
agara cāhie mukti dukha se karo inhīṃ kā dhyāna
karo inhīṃ kā dhyāna
sūryadeva caraṇoṃ meṃ śani ke śīśa jhukāte haiṃ
hāṃ śīśa jhukāte haiṃ

yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ
he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
ujjainī nagarī meṃ hai mahā kāleśvara kā vāsa
yahāṃ kā rājā vikrama āditya thā saṃbhū jī kā dāsa
saṃbhū jī kā dāsa

rājā vikrama guṇī janoṃ kā karatā thā sammāna
karavātā thā nitya bhaṃḍāre karatā anya kā dāna
karatā anya kā dāna

usakī bhakti dekhake hotā cakita sakala saṃsāra
svarga yātrā kī vikrama bannā jāne kitanī bāra
jāne kitanī bāra

rājā vikrama kī hotī thī jaga meṃ jaya jaya kāra
śani deva ke mana meṃ āyā eka dina yūṃ hī vicāra
āyā eka dina yūṃ hī vicāra
isa sone ko kaṣṭoṃ kī agni meṃ tapāte haiṃ
agni meṃ tapāte haiṃ

yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
rājyasabhā meṃ baiṭhe the eka dina sāre vidvāna
carcā chiḍa़ī huī thī navagraha meṃ hai kauna mahāna
navagraha meṃ hai kauna mahāna

kauna śreṣṭha hai kauna hai choṭā kisakī ūṃcī śāna
bāta bāta meṃ bāta baḍha़ gaī kisakā kahāṃ sthāna
kisakā kahāṃ sthāna

śāṃta karāyā vikrama ne saba ko kahakara yaha bāta
guṇī janoṃ isa bāta pe carcā kareṃge kala hama sātha
carcā kareṃge kala hama sātha

vyartha kī bātoṃ meṃ aise mata karo samaya barbāda
kala subaha darabāra meṃ hogā phira se yaha saṃvāda
hogā phira se yaha saṃvāda

sunakara yaha ādeśa saba ā ghara apane jāte haiṃ
saba ā ghara apane jāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
agale dina phira pahuṃca gae jaba sāre darabārī
bole vikrama bāta kaho apanī bārī bārī
bāta apanī bārī bārī

eka eka graha ke bāre meṃ samajhāte jāo
apanī apanī buddhi ke guṇa dikhalāte jāo
guṇa saba dikhalāte jāo

pahale paṃḍita ne uṭha rājā ko kiyā praṇāma
aura phira bolā karatā hūṃ maiṃ ulajhana dūra tamāma
maiṃ ulajhana dūra tamāma

vaise to yaha rājana hai navagraha sabhī samāna
phira bhī saba se śreṣṭha hai inameṃ ravi sūrya bhagavāna
inameṃ ravi sūrya bhagavāna

inakī karuṇā se dukha ke bādala chaṭa jāte haiṃ
bādala chaṭa jāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
dūjā paṃḍita bolā rājana soma kī śakti apāra
yaha śītala hai caṃdra ke jaise jāne kula saṃsāra
inako jāne phula saṃsāra

śītala rajanī nātha nā kisī ko kaṣṭa yaha pahuṃcāe
isīlie to navagraha meṃ basa śreṣṭha yahī kahalāe
śreṣṭha yahī kahalāe

tījā paṃḍita bolā maṃgala kārī maṃgala nāma
maṃgalamaya ho usakā jīvana yaha hai jisake sātha
yaha hai jisake sātha

maṃgala dātā bhaktoṃ pe karatā sukha kī barasāta
isīlie maṃgala graha detā hai hara graha ko māra
detā hai hara graha ko māra

isa graha kī mahimā ko rājana deva bhī gāte haiṃ
rājana deva bhī gāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
cauthā paṃḍita yaha samajhāeṃ budha hai baḍa़ā mahāna
sukha śāṃti vaha pāe karatā hai jo isakā dhyāna
karatā hai jo isakā dhyāna

isake svarṇa se hī ho jātā hai bhaktoṃ kalyāṇa
ise kisī se baira nahīṃ yaha saba kā baḍha़āe māna
yaha saba kā baḍha़āe māna

karane lagā pāṃcavā paṃḍita guru kā phira guṇagāna
bolā rājana koī nahīṃ hai bṛhaspati deva samāna
bṛhaspati deva samāna

guru ke guṇa gāe saṃsārī guru guṇoṃ kī khāna
guru kī bāteṃ amṛta kā kismata se ho rasapāna
kismata se ho rasapāna

chaṭha brāhmaṇa phira śukra deva kī mahimā gāte haiṃ
phira mahimā gāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
sātavā paṃḍita rāhu ketu dahakā kare paṭhāna
bolā ina donoṃ ke jaisā nahīṃ koī balavāna
nahīṃ koī balavāna

jo inakī śakti nā māne vaha mūrkha nādāna
tīnoṃ lokoṃ meṃ hotā ina donoṃ kā sammāna
ina donoṃ kā sammāna

āṭhaveṃ nauveṃ brāhmaṇa ne choḍa़ā jo apanā sthāna
hātha joḍa़kara bole hamako kṣamā kareṃ yajamāna
hamako kṣamā kareṃ yajamāna

khālī bāteṃ karane se hila sakatā nahīṃ pasāna
śani deva kī līlā sunie rājana dekara dhyāna
sunie rājana dekara dhyāna

ke krodha se ṛṣi muni saba ghabarāte haiṃ
hāṃ saba ghabarāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
paṃḍita ne rājā vikrama kā bharama miṭāyā hai
śani janma kāvā ke āge khora sunāyā hai
ye khora sunāyā hai

lete hī śani deva ne janma pitā ko ḍhūṃḍha diyā
pitā ne māṃgī śamā tabhī unakā uddhāra huā
tabhī unakā uddhāra huā

vakra dṛṣṭi se inakī rājana ḍaratā hai saṃsāra
uttama kahalāne kā to basa inako hai adhikāra
to basa inako hai adhikāra

kitanā sunakara vikrama bole tuma para hai dhikkāra
aise duṣṭa adharmī kī karate ho jaya jaya kāra
karate ho jaya jaya kāra

nāma nā lo śanideva kā rājā hukma sunāte haiṃ
rājā hukma sunāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī haiṃ hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ lokoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
vikrama ne jaba śanideva kā yā ghora apamāna
pahuṃca gae tatkāla śani vāha jaba dekha apamāna
krodha meṃ jaba sanī deva ko dekhā vikrama joḍa़e hātha
sabhā meṃ sannāṭā chāyā anahonī ho gaī bāta
anahonī ho gaī bāta

maiṃ ajñānī mūḍa mati hūṃ māpha karo he nātha
bhūle se bhī nahīṃ karūṃgā aba maiṃ aisī bāta
aba maiṃ aisī bāta

kahāṃ śani ne suṃdara kāyā pe hai tujhe gumāna
ahaṃkāra meṃ bhūla gayā karanā merā sammāna
karanā merā sammāna

merī haṃsī uḍa़āne vālī nīra bahāte haiṃ
hā nīra bahāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ logoṃ pe calatā hai tumhārā rājaja
he vikrama tune sabhā bīca meṃ merā apamāna kiyā
apaśabda kahe usako jisane merā guṇagāna kiyā
jisane merā guṇagāna kiyā

detā hūṃ vacana maiṃ yaha terā abhimāna miṭā ūgāṃ
miṭṭī meṃ terā rāja pāṭha eka roja milā ūgāṃ
eka dina roja milā ūgāṃ

kanyā rāśi hai terī terī rāśi meṃ āūṃgā
tere bhale bure kā kāraṇa bhī kanyā ko banāūṃgā
kanyā ko banāūṃgā

tīno loko maiṃ bhī nā degā koī ḍhāla tujhe
he cakravartī rājā kara dūṃgā maiṃ kaṃgāla tujhe
maiṃ kaṃgāla tujhe

śani devatā apanā hara vacana nibhāte haiṃ
hara vacana nibhāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ logoṃ pe calatā hai tumhārā rājaja
śani krodha se bacane kā jaba

mārga nahīṃ sujhā ekāṃtavāsa karane lage taba rājā śiva pūjā
taba rājā śiva pūjā
rājā bole he bhole mere vipadā kauna hare

merī ciṃtā mujhe hara pala tila tila yū hī bhasma kareṃ
tila tila yū hī bhasma kareṃ
tuma hī bolo śani krodha se mujhako kauna bacāegā
kyā hogā yaha rājya pāṭha jaba mujhase chīna lī jāegā
mujhase chīna lī jāegā

śanideva hue rūṣṭha unhīṃ ko jāke manā rājā
uddhāra kareṃge vahī unakī śaraṇa meṃ jā rājā
unakī śaraṇa meṃ jā rājā

unake likheṃ ko hama bhī miṭānā pāte haiṃ
hama bhī miṭānā pāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ logoṃ pe calatā hai tumhārā rājaja
rājā vikrama kī rāśi meṃ kiyā śani ne kiyā praveśa
rāja pāṭha chīna gayā sabhī yū āye kāsṭa kleśa
yū āye kāsṭa kleśa

vakra dṛṣṭi śani rāja ne ujjainī pe jaba ḍālī
sūkhā aura akāla paḍa़ā murajhāī hara ḍālī
murajhāī hara ḍālī

rājā ko apanī karanī para hotā paścātāpa
kahatā sabase mere āge āyā merā pāpa
āyā merā pāpa

koī batāe kaise dukha se mukti pāṃū meṃ
kyā khuda khāū aura kyā isa prajā ko khilāo meṃ
isa prajā ko khilāo meṃ

jo karate apamāna śaneśvara kā dukha pāte haiṃ
śaneśvara kā dukha pāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ logoṃ pe calatā hai tumhārā rājaja
śani ke māyājāla meṃ aise phaṃse rājā vikrama
dukha kī gaharī daladala meṃ phaṃsate jāte haradama
phaṃsate jāte haradama

rājya meṃ rājā ke dekho yūṃ hāhākāra macī
rājya koṣa meṃ ujjainī ke koḍa़ī nahīṃ bacī
koḍa़ī nahīṃ bacī

śani rāja ne śakti vikrama ko jaba dikhalāyī
caṃdrasena rājā se sajā corī kī dilavāī
corī kī dilavāī

caṃdra sainī ne hātha pāva kaṭavā die vikrama ke
baila calāeṃ rājā ne telī kā dāsa bana ke
dekhakara śaneśvara rājā kī hālata muskāte haiṃ
hālata muskāte haiṃ

yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ logoṃ pe calatā hai tumhārā rājaja
rājā ne sacce mana se jaba kiyā śani kā dhyāna
bhūla kṣamā kara śāṃta ho gae pala meṃ śani bhagavāna
ho gae pala meṃ śani bhagavāna

bole śaneśvara vikrama se māṃgo koī varadāna
rājā bolā mujha sā kaṣṭa nā pāyā koī iṃsāna
kaṣṭa nā pāyā koī iṃsāna

kahāṃ śaneśvara ne rakhatā hai jo para hita kā dhyāna
usa prāṇī kī hara muśkila maiṃ karatā hūṃ āsāna
maiṃ karatā hūṃ āsāna

rāja pāṭha rājā kā sārā vāpasa lauṭāyā
dayā dṛṣṭi kī de dī phira se kaṃcana sī kāyā
de dī kaṃcana sī kāyā

rājā ne phira caraṇoṃ ke śani ke śīśa navāte haiṃ
hāṃ śīśa navāte haiṃ

yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ
he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ logoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
śani deva ne rājā ko yaha vacana sunāe hai
ahaṃkāra yaha thā terā tūne kaṣṭa jo pāe haiṃ
tūne kaṣṭa jo pāe haiṃ

jo bhakta hai mere sacce unako hara sukha detā hūṃ
karate jo apamāna merā unako hara dukha detā hūṃ
unako hara dukha detā hūṃ

apane bhaktoṃ ke hṛdaya meṃ vāsa meṃ karatā hūṃ
pāpī aura adharmī kā nāśa mai karatā hūṃ
nāśa mai karatā hūṃ

bhaktoṃ kī rakṣā kā uṭhāyā hai maiṃne bīḍa़ā
jise bharosā hai merā unako chū na sake pīḍa़ā
unako chū na sake pīḍa़ā

mujhe pūjane vāle nita ānaṃda manāte haiṃ
nita ānaṃda manāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ logoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
ujjainī nagarī maiṃ lauṭa āī khuśahālī
anya dhana se bhara gae jo bhaṃḍāre ke khālī
jo bhaṃḍāre ke khālī

rājā aura prajā ne milakara śani ke guṇa gāe
vaha ho gayā nihāla śani darśana jisane pāe
śani darśana jisane pāe

sukhakartā dukhahartā śrī chāyā jī naṃdana
isīlie to deva bhī inake karate haiṃ vaṃdana
karate haiṃ vaṃdana

kīrti apāra hai inakī āo kara lo re pūjā
aisā dātā aura dayālu koī nahīṃ dūjā
koī nahīṃ dūjā

yahī jīvana naiyā bhava se pāra lagāte haiṃ
naiyā pāra lagāte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ
he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ logoṃ pe calatā hai tumhārā rāja
kahāṃ śaneśvara ne kalayuga meṃ hotā merā prakāśa
siṃgāpura meṃ hogā merā mere bhaktoṃ merā vāsa
mere bhaktoṃ merā vāsa

saccī niṣṭhā se āegā jo jana mere pāsa
kaṣṭa harūṃgā usake pūrī kara dūṃgā hara āsa
pūrī kara dūṃgā hara āsa

merā sumirana śraddhā se basa karegā jo iṃsāna
manavāṃchita phala pāegā jo karegā merā dhyāna
jo karegā merā dhyāna

dekara apane bhaktoṃ ko apanī śakti kā jñāna
palaṃbara meṃ hī śani devatā ho gae aṃtardhyāna
ho gae aṃtardhyāna

śani śīlā ke rūpa meṃ phira śiṃgaṇāpura āte haiṃ
śiṃgaṇāpura āte haiṃ
yaha kitane śaktiśālī hai hama āja batāte haiṃ
yaha kathā sunāte haiṃ

he sūryaputra śani rāja rakhanā bhaktoṃ kī lāja
prabhu tīnoṃ logoṃ pe calatā hai tumhārā rāja

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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