धर्म

शुक्र कवच स्तोत्र – Shukra Kavacham

शुक्र कवच स्तोत्र दैत्यगुरु शुक्राचार्य को प्रसन्न करने का रामबाण उपाय है। यह स्तोत्र ब्रह्मांड पुराण में आता है। शुक्र ग्रह की शान्ति के लिए इसका पाठ किया जाता है जिसका चमत्कारी प्रभाव होता है। कुंडली में शुक्र की ख़राब स्थिति जीवन के उन क्षेत्रों में नकारात्मक प्रभाव डालती है जिनके अधिपति शुक्रदेव हैं। जीवन में भौतिक उन्नति तथा ऐश्वर्य इन्हीं की कृपा से सम्भव है। अतः उनकी प्रसन्नता के लिए शुक्र कवच स्तोत्र (Shukra Kavacham in Sanskrit) का प्रतिदिन तीन बार पाठ अद्भुत कार्य करता है। विशिष्ट सामर्थ्य के स्वामी शुक्र देव जातक को धन-सम्पत्ति, सौन्दर्य तथा ऐश्वर्य से परिपूर्ण बनाते हैं। पढ़ें शुक्र कवच स्तोत्र– 

शुक्र कवच स्तोत्र पढ़ें

अस्य श्रीशुक्रकवचस्तोत्रमंत्रस्य भारद्वाज ऋषिः
अनुष्टुप् छन्दः। शुक्रो देवता।
शुक्रप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः॥

मृणालकुन्देन्दुषयोजसुप्रभं पीतांबरं प्रस्रुतमक्षमालिनम्।
समस्तशास्त्रार्थनिधिं महांतं ध्यायेत्कविं वांछितमर्थसिद्धये ॥१॥

ॐ शिरो मे भार्गवः पातु भालं पातु ग्रहाधिपः।
नेत्रे दैत्यगुरुः पातु श्रोत्रे मे चन्दनदयुतिः ॥२॥

पातु मे नासिकां काव्यो वदनं दैत्यवन्दितः।
जिह्वा मे चोशनाः पातु कंठं श्रीकंठभक्तिमान् ॥३॥

भुजौ तेजोनिधिः पातु कुक्षिं पातु मनोव्रजः।
नाभिं भृगुसुतः पातु मध्यं पातु महीप्रियः॥४॥

कटिं मे पातु विश्वात्मा ऊरु मे सुरपूजितः।
जानू जाड्यहरः पातु जंघे ज्ञानवतां वरः ॥५॥

गुल्फौ गुणनिधिः पातु पातु पादौ वरांबरः।
सर्वाण्यङ्गानि मे पातु स्वर्णमालापरिष्कृतः ॥६॥

य इदं कवचं दिव्यं पठति श्रद्धयान्वितः।
न तस्य जायते पीडा भार्गवस्य प्रसादतः ॥७॥

॥ इति श्रीब्रह्मांडपुराणे शुक्रकवचम् सम्पूर्णम् ॥
॥ ब्रह्माण्ड पुराण में शुक्र कवच स्तोत्र संपूर्ण हुआ ॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर शुक्र कवच स्तोत्र (Shukra Kavacham) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें शुक्र कवच रोमन में–

Read Shukra Kavacham

asya śrīśukrakavacastotramaṃtrasya bhāradvāja ṛṣiḥ।
anuṣṭup chandaḥ। śukro devatā।
śukraprītyarthaṃ jape viniyogaḥ॥

mṛṇālakundenduṣayojasuprabhaṃ pītāṃbaraṃ prasrutamakṣamālinam।
samastaśāstrārthanidhiṃ mahāṃtaṃ dhyāyetkaviṃ vāṃchitamarthasiddhaye ॥1॥

oṃ śiro me bhārgavaḥ pātu bhālaṃ pātu grahādhipaḥ।
netre daityaguruḥ pātu śrotre me candanadayutiḥ ॥2॥

pātu me nāsikāṃ kāvyo vadanaṃ daityavanditaḥ।
jihvā me cośanāḥ pātu kaṃṭhaṃ śrīkaṃṭhabhaktimān ॥3॥

bhujau tejonidhiḥ pātu kukṣiṃ pātu manovrajaḥ।
nābhiṃ bhṛgusutaḥ pātu madhyaṃ pātu mahīpriyaḥ॥4॥

kaṭiṃ me pātu viśvātmā ūru me surapūjitaḥ।
jānū jāḍyaharaḥ pātu jaṃghe jñānavatāṃ varaḥ ॥5॥

gulphau guṇanidhiḥ pātu pātu pādau varāṃbaraḥ।
sarvāṇyaṅgāni me pātu svarṇamālāpariṣkṛtaḥ ॥6॥

ya idaṃ kavacaṃ divyaṃ paṭhati śraddhayānvitaḥ।
na tasya jāyate pīḍā bhārgavasya prasādataḥ ॥7॥

॥ iti śrībrahmāṃḍapurāṇe śukrakavacam sampūrṇam ॥
॥ brahmāṇḍa purāṇa meṃ śukra kavaca stotra saṃpūrṇa huā ॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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