कविता

सुख के सब साथी – Sukh Ke Sab Saathi Lyrics in Hindi

“सुख के सब साथी” 1970 की प्रसिद्ध फ़िल्म गोपी का गाना है। इसे सुरों से सजाया है मोहम्मद रफी ने व संगीतबद्ध किया है कल्याणजी आनंदजी ने। राजिंदर कृषण की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। फ़िल्म में दिलीप कुमार, सायरा बानो, ओम प्रकाश और प्राण ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। पढ़ें सुख के सब साथी के बोल हिंदी में ( Sukh Ke Sab Saathi lyrics in Hindi)–

“सुख के सब साथी” लिरिक्स

सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई
मेरे राम, मेरे राम
तेरा नाम एक साचा दूजा न कोई

जीवन आनी-जानी छाया
झूठी माया झूठी काया
फिर काहे को सारी उमरिया
पाप की गठरी धोई
सुख के सब साथी…

ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा
ये जग जोगी वाला फेरा
राजा हो या रंक सभी का
अंत एक सा होई
सुख के सब साथी…

बाहर की तू माटी फांके
मन के भीतर क्यूँ न झांके
उजले तन पर मान किया
और मन की मैल ना धोई
सुख के सब साथी…

गोपी से जुड़े तथ्य

फिल्मगोपी
वर्ष1970
गायक / गायिकामोहम्मद रफी
संगीतकारकल्याणजी आनंदजी
गीतकारराजिंदर कृषण
अभिनेता / अभिनेत्रीदिलीप कुमार, सायरा बानो, ओम प्रकाश, प्राण

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम सुख के सब साथी गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें  Sukh Ke Sab Saathi रोमन में-

 Sukh Ke Sab Saathi Lyrics in Hindi

sukha ke saba sāthī, duḥkha meṃ nā koī
mere rāma, mere rāma
terā nāma eka sācā dūjā na koī

jīvana ānī-jānī chāyā
jhūṭhī māyā jhūṭhī kāyā
phira kāhe ko sārī umariyā
pāpa kī gaṭharī dhoī
sukha ke saba sāthī…

nā kucha terā nā kucha merā
ye jaga jogī vālā pherā
rājā ho yā raṃka sabhī kā
aṃta eka sā hoī
sukha ke saba sāthī…

bāhara kī tū māṭī phāṃke
mana ke bhītara kyū~ na jhāṃke
ujale tana para māna kiyā
aura mana kī maila nā dhoī
sukha ke saba sāthī…

Facts about the Song

FilmGopi
Year1970
SingerMohammad Rafi 
MusicKalyanji Anandji
LyricsRajendra Krishna
ActorsDilip Kumar, Saira Banu, Om Prakash, Pran

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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