धर्म

सूर्य कवच – Surya Kavach

सूर्य कवच में भगवान भास्कर की अनन्त रश्मियों की ही तरह अनन्त शक्तियाँ सन्निहित हैं। पृथ्वी पर जीवन का कारण सूर्य देव ही हैं जिनसे सभी प्राणियों को प्राण-ऊर्जा प्राप्त होती है। सभी नवग्रहों में सूर्य ग्रह को प्रमुख माना गया है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उन्हें समस्त ग्रहों में राजा का स्थान प्राप्त है। सूर्य कवच का पाठ उन्हीं भगवान भास्कर को प्रसन्न करता है। पंचदेवों में से एक भगवान आदित्य का पूजन विश्व की सभी प्राचीन संस्कृतियों में प्रचलित है। यदि कुंडली में वे अच्छे स्थान पर हों तो वे तेजस्विता और आत्मशक्ति प्रदान करते हैं। यदि वे अच्छा फल न दें तो जीवन ना-ना प्रकार की बाधाओं से घिर जाता है। सूर्व कवच का प्रतिदिन तीन बार पाठ सूर्य देव की शांति का अत्युत्तम उपाय माना गया है। यद्यपि अभी केवल संस्कृत में ही हम इसे आपके लिए लाए हैं, किंतु शीघ्र ही सूर्य कवच हिंदी में अर्थ सहित भी यहाँ आप पढ़ सकेंगे।

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सूर्य कवच पढ़ें

ध्यान

रक्तांबुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं
भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि।

पद्मद्वयाभयवरान् दधतं कराब्जैः
माणिक्यमौलिमरुणाङ्गरुचिं त्रिनेत्रम्॥

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श्री सूर्यप्रणामः

जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
ध्वान्तारिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥

याज्ञवल्क्य उवाच

श्रुणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् ।
शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्व सौभाग्यदायकम् ॥ १॥

दैदिप्यमानं मुकुटं स्फ़ुरन्मकरकुण्डलम् ।
ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत्॥२ ॥

शिरो मे भास्करः पातु ललाटे मेSमितद्दुतिः ।
नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः ॥३ ॥

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घ्राणं धर्म धृणिः पातु वदनं वेदवाहनः ।
जिह्वां मे मानदः पातु कंठं मे सुरवंदितः ॥ ४ ॥

स्कंधौ प्रभाकरं पातु वक्षः पातु जनप्रियः ।
पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वागं सकलेश्वरः ॥५ ॥

सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके ।
दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः ॥६ ॥

सुस्नातो यो जपेत्सम्यक् योSधीते स्वस्थ मानसः ।
स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विंदति ॥ ७ ॥

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॥ इति श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं संपूर्णं ॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर सूर्य कवच (Surya Kavach) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें सूर्य कवच रोमन में–

Read Surya Kavach

dhyāna

raktāṃbujāsanamaśeṣaguṇaikasindhuṃ
bhānuṃ samastajagatāmadhipaṃ bhajāmi।
padmadvayābhayavarān dadhataṃ karābjaiḥ
māṇikyamaulimaruṇāṅgaruciṃ trinetram॥

śrī sūryapraṇāmaḥ

japākusumasaṅkāśaṃ kāśyapeyaṃ mahādyutim।
dhvāntāriṃ sarvapāpaghnaṃ praṇato’smi divākaram ॥

yājñavalkya uvāca

śruṇuṣva muniśārdūla sūryasya kavacaṃ śubham ।
śarīrārogyadaṃ divyaṃ sarva saubhāgyadāyakam ॥ 1॥

daidipyamānaṃ mukuṭaṃ spha़uranmakarakuṇḍalam ।
dhyātvā sahasrakiraṇaṃ stotrametadudīrayet॥2 ॥

śiro me bhāskaraḥ pātu lalāṭe meSmitaddutiḥ ।
netre dinamaṇiḥ pātu śravaṇe vāsareśvaraḥ ॥3 ॥

ghrāṇaṃ dharma dhṛṇiḥ pātu vadanaṃ vedavāhanaḥ ।
jihvāṃ me mānadaḥ pātu kaṃṭhaṃ me suravaṃditaḥ ॥ 4 ॥

skaṃdhau prabhākaraṃ pātu vakṣaḥ pātu janapriyaḥ ।
pātu pādau dvādaśātmā sarvāgaṃ sakaleśvaraḥ ॥5 ॥

sūryarakṣātmakaṃ stotraṃ likhitvā bhūrjapatrake ।
dadhāti yaḥ kare tasya vaśagāḥ sarvasiddhayaḥ ॥6 ॥

susnāto yo japetsamyak yoSdhīte svastha mānasaḥ ।
sa rogamukto dīrghāyuḥ sukhaṃ puṣṭiṃ ca viṃdati ॥ 7 ॥

॥ iti śrī mādyājñavalkyamuniviracitaṃ sūryakavacastotraṃ saṃpūrṇaṃ ॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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