धर्म

विश्वकर्मा चालीसा – Vishwakarma Chalisa

विश्वकर्मा चालीसा का पाठ न केवल मनोकामनाओं को पूरा करता है, बल्कि रचनात्मकता व मौलिकता भी देता है। भगवान विश्वकर्मा सृजन-शक्ति के स्वामी हैं। आधुनिक जीवन में प्रगति का मार्ग ही सृजनात्मकता है।

ऐसे में विश्वकर्मा चालीसा (Vishwakarma Chalisa) का पाठ भक्त के मन को रचनाधर्मिता से भर देता है और नवसृजन का सामर्थ्य देता है। पढ़ें विश्वकर्मा चालीसा–

॥ दोहा ॥
विनय करौं कर जोड़कर
मन वचन कर्म संभारि।
मोर मनोरथ पूर्ण कर
विश्वकर्मा दुष्टारि॥॥

॥ चौपाई ॥
विश्वकर्मा तव नाम अनूपा,
पावन सुखद मनन अनरूपा।

सुन्दर सुयश भुवन दशचारी,
नित प्रीति गावत गुण नरनारी।

शारद शेष महेश भवानी,
कवि कोविद गुण ग्राहक ज्ञानी।

आगम निगम पुराण महाना,
गुणातीत गुणवन्त सयाना।

जग महँ जे परमारथ वादी,
धर्म धुरंधर शुभ सनकादि।

नित नित गुण यश गावत तेरे,
धन्य-धन्य विश्वकर्मा मेरे।

आदि सृष्टि महँ तू अविनाशी,
मोक्ष धाम तजि आयो सुपासी।

जग महँ प्रथम लीक शुभ जाकी,
भुवन चारि दश कीर्ति कला की।

ब्रह्मचारी आदित्य भयो जब,
वेद पारंगत ऋषि भयो तब।

दर्शन शास्त्र अरु विज्ञ पुराना,
कीर्ति कला इतिहास सुजाना।

तुम आदि विश्वकर्मा कहलायो,
चौदह विद्या भू पर फैलायो।
लोह काष्ठ अरु ताम्र सुवर्णा,
शिला शिल्प जो पंचक वर्णा।

दे शिक्षा दुख दारिद्र नाश्यो,
सुख समृद्धि जगमहँ परकाश्यो।

सनकादिक ऋषि शिष्य तुम्हारे,
ब्रह्मादिक जै मुनीश पुकारे।

जगत गुरु इस हेतु भये तुम,
तम-अज्ञान-समूह हने तुम।

दिव्य आलौकिक गुण जाके वर,
विघ्न विनाशन भय टारन कर।

सृष्टि करन हित नाम तुम्हारा,
ब्रह्मा विश्वकर्मा भय धारा।

विष्णु अलौकिक जगरक्षक सम,
शिवकल्याणदायक अति अनुपम।

नमो नमो विश्वकर्मा देवा,
सेवत सुलभ मनोरथ देवा।

देव दनुज किन्नर गन्धर्व,
प्रणवत युगल चरण पर सर्वा।

अविचल भक्ति हृदय बस जाके,
चार पदारथ करतल जाके।

सेवत तोहि भुवन दश चारी,
पावन चरण भवोभव कारी।

विश्वकर्मा देवन कर देवा,
सेवत सुलभ अलौकिक मेवा।

लौकिक कीर्ति कला भण्डारा,
दाता त्रिभुवन यश विस्तारा।

भुवन पुत्र विश्वकर्मा तनुधरि,
वेद अथर्वण तत्व मनन करि।

अथर्ववेद अरु शिल्प शास्त्र का,
धनुर्वेद सब कृत्य आपका।

जब जब विपति बड़ी देवन पर,
कष्ट हन्यो प्रभु कला सेवन कर।

विष्णु चक्र अरु ब्रह्म कमण्डल,
रुद्र शूल सब रच्यो भूमण्डल।

इन्द्र धनुष अरु धनुष पिनाका,
पुष्पक यान अलौकिक चाका।

वायुयान मय उड़न खटोले,
विद्युत कला तंत्र सब खोले।

सूर्य चन्द्र नवग्रह दिग्पाला,
लोक लोकान्तर व्योम पताला।

अग्नि वायु क्षिति जल आकाश,
आविष्कार सकल परकाश।

मनु मय त्वष्टा शिल्पी महाना,
देवागम मुनि पंथ सुजाना।

लोक काष्ठ, शिला ताम्र सुकर्मा,
स्वर्णकार मय पंचक धर्मा।

शिव दधीचि हरिश्चन्द्र भुआरा,
कृत युग शिक्षा पालेऊ सारा।

परशुराम, नल, नील, सुचेता,
रावण राम शिष्य सब त्रेता।

द्वापर द्रोणाचार्य हुलासा,
विश्वकर्मा कुल कीन्ह प्रकाशा।

मयकृत शिल्प युधिष्ठिर पायेऊ,
विश्वकर्मा चरणन चित ध्यायेऊ।

नाना विधि तिलस्मी करि लेखा,
विक्रम पुतली दृश्य अलेखा।

वर्णातीत अकथ गुण सारा,
नमो नमो भय टारन हारा।

॥ दोहा ॥
दिव्य ज्योति दिव्यांश प्रभु,
दिव्य ज्ञान प्रकाश।
दिव्य दृष्टि तिहुँ कालमहँ
विश्वकर्मा प्रभास॥

विनय करो करि जोरि,
युग पावन सुयश तुम्हार।
धारि हिय भावत रहे
होय कृपा उद्गार॥

॥छन्द॥
जे नर सप्रेम विराग श्रद्धा
सहित पढ़िहहि सुनि है।
विश्वास करि चालीसा
चौपाई मनन करि गुनि है॥

भव फंद विघ्नों से उसे
प्रभुविश्वकर्मा दूर कर।
मोक्ष सुख देंगे अवश्य
ही कष्ट विपदा चूर कर॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर विश्वकर्मा चालीसा (Vishwakarma Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें विश्वकर्मा चालीसा रोमन में–

Read Vishwakarma Chalisa

॥dohā॥
vinaya karauṃ kara joḍa़kara
mana vacana karma saṃbhāri।
mora manoratha pūrṇa kara
viśvakarmā duṣṭāri॥॥

॥caupāī॥
viśvakarmā tava nāma anūpā,
pāvana sukhada manana anarūpā।

sundara suyaśa bhuvana daśacārī,
nita prīti gāvata guṇa naranārī।

śārada śeṣa maheśa bhavānī,
kavi kovida guṇa grāhaka jñānī।

āgama nigama purāṇa mahānā,
guṇātīta guṇavanta sayānā।

jaga maha~ je paramāratha vādī,
dharma dhuraṃdhara śubha sanakādi।

nita nita guṇa yaśa gāvata tere,
dhanya-dhanya viśvakarmā mere।

ādi sṛṣṭi maha~ tū avināśī,
mokṣa dhāma taji āyo supāsī।

jaga maha~ prathama līka śubha jākī,
bhuvana cāri daśa kīrti kalā kī।

brahmacārī āditya bhayo jaba,
veda pāraṃgata ṛṣi bhayo taba।

darśana śāstra aru vijña purānā,
kīrti kalā itihāsa sujānā।

tuma ādi viśvakarmā kahalāyo,
caudaha vidyā bhū para phailāyo।
loha kāṣṭha aru tāmra suvarṇā,
śilā śilpa jo paṃcaka varṇā।

de śikṣā dukha dāridra nāśyo,
sukha samṛddhi jagamaha~ parakāśyo।

sanakādika ṛṣi śiṣya tumhāre,
brahmādika jai munīśa pukāre।

jagata guru isa hetu bhaye tuma,
tama-ajñāna-samūha hane tuma।

divya ālaukika guṇa jāke vara,
vighna vināśana bhaya ṭārana kara।

sṛṣṭi karana hita nāma tumhārā,
brahmā viśvakarmā bhaya dhārā।

viṣṇu alaukika jagarakṣaka sama,
śivakalyāṇadāyaka ati anupama।

namo namo viśvakarmā devā,
sevata sulabha manoratha devā।

deva danuja kinnara gandharva,
praṇavata yugala caraṇa para sarvā।

avicala bhakti hṛdaya basa jāke,
cāra padāratha karatala jāke।

sevata tohi bhuvana daśa cārī,
pāvana caraṇa bhavobhava kārī।

viśvakarmā devana kara devā,
sevata sulabha alaukika mevā।

laukika kīrti kalā bhaṇḍārā,
dātā tribhuvana yaśa vistārā।

bhuvana putra viśvakarmā tanudhari,
veda atharvaṇa tatva manana kari।

atharvaveda aru śilpa śāstra kā,
dhanurveda saba kṛtya āpakā।
jaba jaba vipati baḍa़ī devana para,
kaṣṭa hanyo prabhu kalā sevana kara।

viṣṇu cakra aru brahma kamaṇḍala,
rudra śūla saba racyo bhūmaṇḍala।

indra dhanuṣa aru dhanuṣa pinākā,
puṣpaka yāna alaukika cākā।

vāyuyāna maya uḍa़na khaṭole,
vidyuta kalā taṃtra saba khole।

sūrya candra navagraha digpālā,
loka lokāntara vyoma patālā।

agni vāyu kṣiti jala ākāśa,
āviṣkāra sakala parakāśa।

manu maya tvaṣṭā śilpī mahānā,
devāgama muni paṃtha sujānā।

loka kāṣṭha, śilā tāmra sukarmā,
svarṇakāra maya paṃcaka dharmā।

śiva dadhīci hariścandra bhuārā,
kṛta yuga śikṣā pāleū sārā।

paraśurāma, nala, nīla, sucetā,
rāvaṇa rāma śiṣya saba tretā।

dvāpara droṇācārya hulāsā,
viśvakarmā kula kīnha prakāśā।

mayakṛta śilpa yudhiṣṭhira pāyeū,
viśvakarmā caraṇana cita dhyāyeū।

nānā vidhi tilasmī kari lekhā,
vikrama putalī dṛśya alekhā।

varṇātīta akatha guṇa sārā,
namo namo bhaya ṭārana hārā।

॥ dohā ॥
divya jyoti divyāṃśa prabhu,
divya jñāna prakāśa।
divya dṛṣṭi tihu~ kālamaha~
viśvakarmā prabhāsa॥

vinaya karo kari jori,
yuga pāvana suyaśa tumhāra।
dhāri hiya bhāvata rahe
hoya kṛpā udgāra।

॥chanda॥
je nara saprema virāga śraddhā
sahita paḍha़ihahi suni hai।
viśvāsa kari cālīsā
caupāī manana kari guni hai॥

bhava phaṃda vighnoṃ se use
prabhuviśvakarmā dūra kara।
mokṣa sukha deṃge avaśya
hīkaṣṭa vipadā cūra kara॥\

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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