कविता

ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं – Ye Dil Tum Bin Lyrics in Hindi

“ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं” 1968 की प्रसिद्ध फ़िल्म इज्जत का गाना है। इसे सुरों से सजाया है  लता मंगेशकर और  मोहम्मद रफ़ी ने व संगीतबद्ध किया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। साहिर लुधियानवी की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। फ़िल्म में धर्मेंद्र, तनुजा, बलराज साहनी और महमूद अली ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। पढ़ें ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं के बोल हिंदी में (ye dil tum bin Lyrics in Hindi)–

“ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं” लिरिक्स

ये दिल तुम बिन कहीं लगता
नहीं हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता
नहीं हम क्या करें
तसव्वुर में कोई बस्ता
नहीं हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ
जानेवफ़ा हम क्या करें

लुटे दिल में दीया जलता
नहीं हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ
जानदा हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं
लगता नहीं हम क्या करे

किसी के दिल में बस के
दिल को तड़पाना नहीं अच्छा
किसी के दिल में बस के
दिल को तड़पाना नहीं अच्छा
निगाहों को छलकते देखके
छुप जाना नहीं अच्छा
उम्मीदों के खिले गुलशन को
झुलसाना नहीं अच्छा
हमें तुम बिन कोई जचता
नहीं हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ
जानेवफ़ा हम क्या करें
लुटे दिल में दिया
जलता नहीं हम क्या करें

मोहब्बत कर तो ले लेकिन
मोहब्बत रास आये भी
मोहब्बत कर तो ले लेकिन
मोहब्बत रास आये भी
दिलों को बोहज लगते है
कभी जुल्फों के साये भी
हज़ारों गम हैं इस दुनिया
में अपने भी पराये भी
मुहब्बत ही का गम
तनहा नहीं हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ
जानदा हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं
लगता नहीं हम क्या करे

बजा दो आग दिल की या
इससे खुल कर हवा दे दो
बजा दो आग दिल की या
इससे खुल कर हवा दे दो
जो इसका मोल दे पाए
उसे अपनी वफ़ा दे दो
तुम्हारे दिल में क्या है
बस हमें इतना पता दे दो
के अब तनहा सफ़र कटा
नहीं हम क्या करें
लुटे दिल में दीया जलता
नहीं हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता
नहीं हम क्या करे

इज्जत से जुड़े तथ्य

फिल्मइज्जत
वर्ष1968
गायक / गायिकालता मंगेशकर,  मोहम्मद रफ़ी
संगीतकारलक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकारसाहिर लुधियानवी
अभिनेता / अभिनेत्रीधर्मेंद्र, तनुजा, बलराज साहनी,  महमूद अली

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें lata mangeshkar yeh dil tum bin kahin lagta nahin रोमन में-

Yeh Dil Tum Bin Kahin Lagta Nahin Lyrics in Hindi

ye dila tuma bina kahīṃ lagatā
nahīṃ hama kyā kareṃ
ye dila tuma bina kahīṃ lagatā
nahīṃ hama kyā kareṃ
tasavvura meṃ koī bastā
nahīṃ hama kyā kareṃ
tumhī kaha do aba ai
jānevaफ़ā hama kyā kareṃ

luṭe dila meṃ dīyā jalatā
nahīṃ hama kyā kareṃ
tumhī kaha do aba ai
jānadā hama kyā kareṃ
ye dila tuma bina kahīṃ
lagatā nahīṃ hama kyā kare

kisī ke dila meṃ basa ke
dila ko taड़pānā nahīṃ acchā
kisī ke dila meṃ basa ke
dila ko taड़pānā nahīṃ acchā
nigāhoṃ ko chalakate dekhake
chupa jānā nahīṃ acchā
ummīdoṃ ke khile gulaśana ko
jhulasānā nahīṃ acchā
hameṃ tuma bina koī jacatā
nahīṃ hama kyā kareṃ
tumhī kaha do aba ai
jānevaफ़ā hama kyā kareṃ
luṭe dila meṃ diyā
jalatā nahīṃ hama kyā kareṃ

mohabbata kara to le lekina
mohabbata rāsa āye bhī
mohabbata kara to le lekina
mohabbata rāsa āye bhī
diloṃ ko bohaja lagate hai
kabhī julphoṃ ke sāye bhī
haज़āroṃ gama haiṃ isa duniyā
meṃ apane bhī parāye bhī
muhabbata hī kā gama
tanahā nahīṃ hama kyā kareṃ
tumhī kaha do aba ai
jānadā hama kyā kareṃ
ye dila tuma bina kahīṃ
lagatā nahīṃ hama kyā kare

bajā do āga dila kī yā
isase khula kara havā de do
bajā do āga dila kī yā
isase khula kara havā de do
jo isakā mola de pāe
use apanī vaफ़ā de do
tumhāre dila meṃ kyā hai
basa hameṃ itanā patā de do
ke aba tanahā saफ़ra kaṭā
nahīṃ hama kyā kareṃ
luṭe dila meṃ dīyā jalatā
nahīṃ hama kyā kareṃ
ye dila tuma bina kahīṃ lagatā
nahīṃ hama kyā kare

Facts about the Song

FilmIzzat
Year1968
SingerLata Mangeshkar, Mohammed Rafi
MusicLaxmikant Pyarelal
LyricsSahir Ludhianvi
ActorsDharmendra, Tanuja, Mehmood Ali, Balraj Sahni

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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