धर्म

झूला झूले राधा प्यारी – Jhula Jhule Radha Pyari Lyrics

“झूला झूले राधा प्यारी” गीत के बोल मीठे हैं और राधा रानी की कान्ति से उद्भासित होते हुए प्रतीत होते हैं। ब्रज धाम में हर कण राधा के नाम से अभी भी गुञ्जित है। राधा तो स्वयं भगवान् श्री कृष्ण का सार हैं तथा उनके हृदय में वास करने वाली हैं। यही वजह है कि जिह्वा पर यदि राधारानी का नाम रहे तो कान्हा स्वयं ही भक्त के पास आ जाते हैं। यह प्रताप है राधाजी के नाम-स्मरण का और ज़ुबाँ पर राधा नाम की माला फेरने का। जिसके मन में राधाजी बस गई हों ऐसा भक्त सब कुछ प्राप्त कर लेता है। कहते हैं कि सतत राधाजी का स्मरण चित्त हो आह्लाद देता है–यह भक्तों की न केवल मान्यता है, बल्कि इस आनन्द को उन्होंने साक्षात् प्रत्यक्ष किया है। आइए, सावन में झूले पर बैठी राधाजी की छवि को हृदय में बसाएँ और भक्तिभाव में विभोर हो जाएँ–

आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी
झूले राधा प्यारी,
हाँ झूले राधा प्यारी॥
आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी।
झूले राधा प्यारी,
हाँ झूले राधा प्यारी॥

सावन की ऋतु है आई,
घनघोर घटा नभ छाई।
ठंडी-ठंडी पड़े फुहार,
झूला झूले राधा प्यारी॥

आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी।
झूले राधा प्यारी,
हाँ झूले राधा प्यारी॥

राधा संग में बनवारी,
झूले हैं सखियाँ सारी।
गावें गीत मल्हार,
झूला झूले राधा प्यारी॥

आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी।
झूले राधा प्यारी,
हाँ झूले राधा प्यारी॥

हो मस्त मोर यूँ नाचे,
मोहन की मुरलिया बाजे।
कू-कू कोयल करे पुकार,
झूला झूले राधा प्यारी॥

आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी।
झूले राधा प्यारी,
हाँ झूले राधा प्यारी॥

भए ऐसे मगन कन्हाई,
चलती ठंडी पुरवाई।
छम-छम बरसे मूसलधार,
झूला झूले राधा प्यारी॥

आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी।
झूले राधा प्यारी,
हाँ झूले राधा प्यारी॥

सब सज रहीं नार नबेली,
नटखट करते अठखेली।
कर के सोलह सिंगार,
झूला झूले राधा प्यारी॥

आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी।
झूले राधा प्यारी,
हाँ झूले राधा प्यारी॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह गीत को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह गीत रोमन में–

āī bāgoṃ meṃ bahāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī।
jhūle rādhā pyārī,
hā~ jhūle rādhā pyārī॥
āī bāgoṃ meṃ bahāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī।
jhūle rādhā pyārī,
hā~ jhūle rādhā pyārī॥

sāvana kī ṛtu hai āī,
ghanaghora ghaṭā nabha chāī।
ṭhaṃḍī-ṭhaṃḍī paड़e phuhāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī॥

āī bāgoṃ meṃ bahāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī।
jhūle rādhā pyārī,
hā~ jhūle rādhā pyārī॥

rādhā saṃga meṃ banavārī,
jhūle haiṃ sakhiyā~ sārī।
gāveṃ gīta malhāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī॥

āī bāgoṃ meṃ bahāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī।
jhūle rādhā pyārī,
hā~ jhūle rādhā pyārī॥

ho masta mora yū~ nāce,
mohana kī muraliyā bāje।
kū-kū koyala kare pukāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī॥

āī bāgoṃ meṃ bahāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī।
jhūle rādhā pyārī,
hā~ jhūle rādhā pyārī॥

bhae aise magana kanhāī,
calatī ṭhaṃḍī puravāī।
chama-chama barase mūsaladhāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī॥

āī bāgoṃ meṃ bahāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī।
jhūle rādhā pyārī,
hā~ jhūle rādhā pyārī॥

saba saja rahīṃ nāra nabelī,
naṭakhaṭa karate aṭhakhelī।
kara ke solaha siṃgāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī॥

āī bāgoṃ meṃ bahāra,
jhūlā jhūle rādhā pyārī।
jhūle rādhā pyārī,
hā~ jhūle rādhā pyārī॥

yaha bhī paढ़eṃ–
rādhā cālīsā
rādhā jī kī āratī

यह भी पढ़ें

प्रेम मंदिरराधा जी की आरतीसंतान गोपाल स्तोत्रदामोदर स्तोत्रदामोदर अष्टकमजन्माष्टमी पूजा और विधिलड्डू गोपाल की आरतीगिरिराज की आरतीगोपाल चालीसाकृष्ण चालीसाश्याम तेरी बंसी पुकारे राधा श्यामबजाओ राधा नाम की तालीअरे द्वारपालों कन्हैया से कह दोश्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम छोटी छोटी गईया छोटे छोटे ग्वालगोविंद बोलो हरि गोपाल बोलोमेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा हैमेरे बांके बिहारी लालओ कान्हा अब तो मुरली कीभर दे रे श्याम झोली भरदेमैं हूं शरण में तेरी संसार के रचैयाकन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगेश्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारीराधा चालीसाराधा जी की आरतीमुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदासजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आए हैंलल्ला की सुन के मैं आईनंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल कीमेरे कान्हाराधे किशोरी दया करोकृष्णा मनमोहना मोरे कान्हा मोरे कृष्णा

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!
Exit mobile version