धर्म

प्रेम मंदिर, वृंदावन

प्रेम मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित धार्मिक और बेहद ही सुन्दर नगरी वृंदावन का एक हिंदू मंदिर है। इस मंदिर को “दि टेम्पल ऑफ़ डिवाइन लव (The temple of divine love)” भी कहते हैं। यह अत्यंत ही भव्य और मनमोहक मंदिर, श्री राधाकृष्ण और श्री सीताराम भगवान को समर्पित है। इस मंदिर की देखरेख जगद्गुरु कृपालु परिषद, जो की एक अंतरराष्ट्रीय गैर लाभकारी ट्रस्ट है, के द्वारा की जाती है। इसका निर्माण भी जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा ही करवाया गया था।

प्रेम मंदिर के दर्शन आपको भगवद्भक्ति में डुबो देंगे। यह भगवान के प्रेम का एक स्मारक है। यह एक चुंबक की तरह है, जो हर सच्चे साधक और ईश्वर के प्रेम का अनुभव करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के दिल और दिमाग को आकर्षित करता है। इस मंदिर ने भक्ति के सच्चे रूप को दृढ़ता से स्थापित किया है। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के पवित्र शहर वृंदावन में स्थित यह मंदिर पवित्रता और शांति से आच्छादित है। यह नवनिर्मित मंदिर पूरे बृज क्षेत्र में सबसे सुंदर है और आरती के समय यहाँ भक्तों की भीड़ रहती है।

तो आइये जानते हैं क्यों जगद्गुरु कृपालु जी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था और साथ ही जानेंगे मंदिर से जुड़े कुछ अन्य प्रमुछ तथ्य। 

प्रेम मंदिर का इतिहास (History of Prem Mandir)

प्रेम मंदिर की आधारशिला पांचवे जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने 14 जनवरी 2001 को हज़ारों भक्तों की उपस्थिति में रखी थी। प्रेम मंदिर श्री वृंदावन धाम को समर्पित है और जगद्गुरु कृपालु परिषद (जेकेपी) के प्रयोजन के तहत बनाया गया है। इस संगठन की स्थापना स्वयं जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने की थी। 

मंदिर को बनने में करीब 11 से 12 साल का समय लगा। 15 से 17 फरवरी 2012 तक उद्घाटन समारोह के बाद आखिरकार उसी साल 17 फरवरी को मंदिर को जनता के लिए खोल दिया गया।

क्यों बनवाया कृपालु महाराज ने यह मंदिर (Why Kripalu Maharaj Built This Temple)

कृपालु महाराज श्री राधा कृष्ण के परम भक्त थे। उन्होंने प्रेम मंदिर के रूप में पूरी दुनिया को एक अद्भुत तोहफा दिया है। ये मंदिर बनवाने का उनका उद्देश्य, राधा कृष्ण की भक्ति को विश्व भर में जन-जन तक पहुँचाना है। 

प्रेम मंदिर का निर्माण (Construction of Prem Mandir)

इस भव्य मंदिर की संरचना को पूरा करने के लिए एक हज़ार कारीगरों ने दिन-रात काम किया और निर्माताओं ने 150 करोड़ रुपये ख़र्च किए। प्रेम मंदिर की वास्तुकला बेहद लुभावनी और मंत्रमुग्ध करने वाली है। 

राजस्थानी सोमनाथ गुजराती स्थापत्य शैली में निर्मित, प्रेम मंदिर वृंदावन के बाहरी इलाके में 54 एकड़ की जगह पर स्थित है। पूरी संरचना का निर्माण उच्चतम गुणवत्ता के इटालियन संगमरमर का उपयोग करके किया गया है और यह ‘प्राचीन भारतीय कला और वास्तुकला में पुनर्जागरण’ का प्रतिनिधित्व करता है। पूरी संरचना 125x122x115 है।

पूरा मंदिर सुंदर झूमरों की कोमल रोशनी से खूबसूरती से जगमगाता है और वास्तव में देखने लायक है। प्रेम मंदिर की रोशनी हर पांच मिनट में रंग बदलती है और इसका रणनीतिक रूप से उपयोग किया जाता है। 

मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Temple)

प्रवेश (Entrance)

जब आप ख़ूबसूरती से बनाये गए प्रवेश द्वार से मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं, तो भव्य मंदिर की उत्कृष्ट सुंदरता, सुंदर उद्यान, और जीवंत डियोराम देखते हैं, जो सभी देखने वाले को अत्यधिक मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

मुख्य मंदिर (Main Temple)

बेदाग सफेद संगमरमर वाला प्रेम मंदिर विशाल परिसर के केंद्र में मोती की तरह है। मंदिर के सभी प्रवेश द्वारों को ख़ूबसूरतीसे उकेरा गया है। खंभों पर किंकरी सखियों और मंजरी सखियों की सुंदर प्रतिमाएँ बनाई गई हैं, जो श्री राधा कृष्ण की सेवा में लीन हैं। पूरा मंदिर आकर्षक झूमरों से जगमगाता है। सभी दरवाज़े और खिड़कियाँ भी ख़ूबसूरती से बनाई गईं हैं।

फ़र्श और दीवारों को रंगीन अर्ध-कीमती पत्थरों से सजाया गया है, जिसमें फूलों और कलियों के साथ लताओं को दर्शाया गया है। मुख्य गर्भगृह और उसकी छत पर नक़्क़ाशी असाधारण और आकर्षक है। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा लिखित ‘प्रेम रास मदिरा’ और ‘राधा गोविंद गीत’ से निकाले गए चुनिंदा छंदों के साथ मंदिर की भीतरी दीवारों को अर्ध-कीमती पत्थरों का उपयोग करके जड़ा गया है।

पहली मंज़िल- श्री सीताराम (First Floor- Shri Sita Ram)

पहली मंज़िल पर गर्भगृह में जनक नंदिनी श्री सीता जी और दशरथ नंदन श्री रामचंद्र जी के साथ उनके प्रिय भक्त श्री हनुमान जी विराजमान हैं। उसी मंज़िल पर श्री गौरांग महाप्रभु के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण समय भी देखे जा सकते हैं। पिछले मूल जगद्गुरुओं और ब्रज के रसिक संतों की भव्य प्रतिमा भी यहाँ प्रदर्शित हैं। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने पिछले मूल जगद्गुरुओं की प्रतिमा प्रेम मंदिर में स्थापित कर उन्हें सम्मान एवं श्रद्धांजलि दी है।

भूतल- श्री राधा कृष्ण (Ground Floor- Shri Radha Krishna)

भूतल में वृषभानु नंदिनी श्री राधा रानी और नंदनंदन श्री कृष्ण की सुन्दर प्रतिमा विराजमान है। साथ ही आठ महासखी हैं, जो कि उनकी सबसे प्रिय सहयोगी हैं। गर्भगृह के दरवाज़े शुद्ध चंदन के बने हैं। गर्भगृह के द्वार के दोनों ओर अर्द्ध कीमती पत्थरों पर दोहे लिखे हुए हैं। उसी फ़्लोर पर जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की सुंदर प्रतिमा और श्रीमद्भागवत गीता के प्रतिष्ठित वक्ता, श्री सुखदेव परमहंस की सुंदर प्रतिमा है। मंदिर की भीतरी दीवारें श्री राधा और कृष्ण की विभिन्न लीलाओं को दर्शाती हैं।

परिक्रमा (Circumambulation)

परिक्रमा मार्ग, जो 40 फीट चौड़ा है, मंदिर के मुख्य द्वार से शुरू होता है। इस मार्ग में ख़ूबसूरत खंभे, 8 जालीदार खिड़कियाँ, भूतल पर 48 पैनल और पहली मंज़िल पर 32 पैनल प्रदर्शित हैं। इन सभी 80 पैनलों में, श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं को कालक्रम के अनुसार त्रि-आयामी स्वरूपों में प्रदर्शित किया गया है।

दर्शन एवं आरती का समय (Timings of Aarti and Darshan)

समय दर्शन एवं आरती 
5:00 आरती और परिक्रमा 
6:30 भोग, द्वार बंद 
8:30 दर्शन और आरती 
11:30भोग 
12:00शयन आरती, द्वार बंद 
16:30आरती और दर्शन 
17:30भोग 
19:00परिक्रमा 
20:10शयन आरती 
20:30द्वार बंद 

प्रेम मंदिर के दर्शन का उचित समय (Ideal Time to Visit Prem Mandir)

पवित्र नगरी वृन्दावन में बसे प्रेम मंदिर के दर्शन का सबसे उचित समय फरवरी से अप्रैल और अक्टूबर से दिसंबर महीने के दौरान रहता है। इस समय में यहाँ का मौसम बहुत ही सुहावना एवं प्रकृति के अनुकूल होता है।

कैसे पहुँचे प्रेम मंदिर (How to Reach Prem Mandir)

प्रेम मंदिर की यात्रा के लिए आप अपनी आवश्यकता के अनुसार हवाई, रेल, या सड़क मार्ग का चुनाव कर सकते हैं। 

हवाई मार्ग से: अगर आप वायु मार्ग से वृन्दावन पहुँचना चाहते हैं, तो यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा आगरा है। ये वृन्दावन से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से मंदिर पहुँचने के लिए आपको बस, टैक्सी, या  कैब उपलब्ध हो जाएगी। 

रेल मार्ग से: यहाँ से निकटतम रेलवे जंक्शन मथुरा है। इस जंक्शन से मंदिर की दूरी 8 किलोमीटर की है। स्टेशन से मंदिर जाने के लिया आपको बाहर ही बस, टैक्सी, कैब, या ऑटो-रिक्शा उपलब्ध हो जायेंगे। 

सड़क मार्ग से: सड़क मार्ग से प्रेम मंदिर की यात्रा के लिए आप अपनी प्राइवेट गाड़ी, बस, या किसी भी व्हीकल से आसानी से पहुँच सकते हैं। यह मंदिर आसपास के मुख्य शहरों से कनेक्ट होता है। 

मंदिर में अन्य आकर्षण के केंद्र (Other Attractions in The Temple)

प्रेम मंदिर ईश्वरीय प्रेम के उत्सव का प्रतीक है। श्री राधे-कृष्ण और श्री सीता-राम के शाश्वत प्रेम की पूजा करने के लिए लाखों भक्त इस भव्य मंदिर में आते हैं।

मंदिर की कुछ प्रमुख विशेषताएँ जिनका आप आनंद ले सकते हैं, वे इस प्रकार हैं:

1. संगीतमय फव्वारा (Musical Fountain): मंदिर की सबसे प्रभावशाली विशेषताओं में से एक म्यूज़िकल फाउंटेन शो है, जो हर शाम 7.30 बजे से 8 बजे तक और सर्दियों के दौरान शाम 7.00 बजे से 7.30 बजे तक आयोजित किया जाता है। यह हर दिन हज़ारों लोगों को आकर्षित करता है।

2. ईवनिंग लाईटिंग (Evening Lighting): शाम के समय शानदार लाईटिंग से मंदिर की शोभा निखरती है। सूर्यास्त के बाद, पूरा मंदिर जीवंत रंगों में जगमगाता है। चाहे बच्चे हों या बूढ़े, सभी को यह दृश्य लुभाता है। 

3. जीवन आकार मॉडल (Life Size Models): कोई भी भगवान कृष्ण की विभिन्न लीलाओं के जीवन आकार के चित्रण का आनंद ले सकता है। मंदिर परिसर, उनकी झूलन लीला, गोवर्धन लीला, रास लीला और कालिया नाग लीला का प्रतिनिधित्व करता है।

4. त्योहार (Festivals): श्री कृष्ण जन्माष्टमी और श्री राधाष्टमी के त्योहार हर साल प्रेम मंदिर में बहुत उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इन उत्सवों के दौरान मंदिर को बहुत अच्छे से सजाया जाता है और देश भर से लोग भव्य समारोह में भाग लेने के लिए यहाँ आते हैं।

5. राजसी वास्तुकला (Majestic Architecture): प्रेम मंदिर विशिष्ट कारीगरी के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक है। जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की दृष्टि को वास्तविकता में लाने के लिए लगभग 1000 कारीगरों के प्रयासों के साथ 11 साल का समय लगा। इस मंदिर ने अलौकिक प्रेम के शुद्धतम रूप को प्रकट, पुनर्परिभाषित और मज़बूती से स्थापित किया है।

भक्त मंदिर के शांतिपूर्ण वातावरण में भगवान कृष्ण और श्री राधा रानी का ध्यान करते हुए एकांत में समय बिताना पसंद करते हैं।

जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय (Jagadguru Kripalu Hospital)

प्रेम मंदिर परिसर के एक हिस्से में स्थित ब्रजवासियों के लिए एक अस्पताल है, जिसका नाम जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय है। चिकित्सा के लिए आस-पास के गांवों के बहुत से भक्त और स्थानीय लोग भी यहाँ आते हैं। यहाँ पर लोगों का या तो मुफ़्त में या तो बहुत कम पैसों में इलाज़ हो जाता है। मुंबई और नई दिल्ली जैसे शहरों के बहुत सारे अच्छे डॉक्टर भी इस अस्पताल में स्वयंसेवा करते हैं।

प्रेम मंदिर जाते समय ध्यान रखने योग्य बातें (Things to Remember While Visiting Prem Mandir)

  • मंदिर की पवित्रता और मर्यादा बनाए रखें।
  • कृपया अपने जूते बाहर न छोड़ें, मंदिर परिसर के भीतर एक निःशुल्क सेवा उपलब्ध है।
  • दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है। यदि आपके साथ कोई बुज़ुर्ग यात्रा कर रहे हैं, तो यह सलाह दी जाती है कि अपना वाहन पार्क करने से पहले उन्हें प्रवेश द्वार पर छोड़ दें।
  • कृपया अपने आसपास गंदगी फैलाने से बचें।
  • मंदिर परिसर में साफ पानी के डिस्पेंसर आसानी से मिल जाते हैं।
  • आप कैंटीन में भी ताज़ा जलपान प्राप्त कर सकते हैं।

ब्रजभूमि में स्थित प्रेम मंदिर में एक शांत और ईश्वरीय आभा है। प्रेम मंदिर की यात्रा हर किसी के दिल और दिमाग को भगवान कृष्ण और राधा रानी के लिए प्यार से भर देती है। यह नवनिर्मित मंदिर वृंदावन के सबसे ख़ूबसूरत और राजसी मंदिरों में से एक है और आने वाली पीढ़ियों के लिए भगवान कृष्ण की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। इस स्थान के आस-पास रहस्यवाद और आध्यात्मिक ग़र्मजोशी इस दिव्य प्रेम के निवास पर जाने वाले किसी को भी प्रभावित करने में कभी विफल नहीं होती है। 

यह भी पढ़ें

निष्ठा राय

निष्ठा राय ने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की है। कॉन्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत निष्ठा लेखन में दिलचस्पी रखती हैं। वे हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में समान रूप से निपुण हैं। टीम हिंदीपथ से जुड़कर वे उसमें सामग्री के चयन से लेकर उसकी गुणवत्ता आदि तमाम प्रक्रियाओं से जुड़ी हुई हैं। निष्ठा कार्य के सभी पहलुओं में लगातार सहयोग करती हैं और नया सीखने को तत्पर रहती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!
Exit mobile version