खाटू श्याम मंदिर – Khatu Shyam Ji Temple
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में खाटू या खाटूश्यामजी शहर में स्थित है। भगवान कृष्ण को समर्पित, यह इस क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। श्री खाटू श्याम जी का मंदिर भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए प्रमुख पूजा स्थल माना जाता है। साल के 365 दिन दुनिया भर से भक्ति के उत्साह से भरे लाखों लोग इस मंदिर में खाटू श्याम बाबा के दर्शन करने आते हैं।
खाटू श्याम मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। मंदिर के मूल संस्थापकों के वंशज तब से आज तक मंदिर की सेवा करते आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि श्री खाटू श्याम मंदिर में हर साल श्री खाटू श्याम बाबा के दर्शन करने के लिए लगभग एक लाख श्रद्धालु आते हैं। मंदिर का प्रबंधन और देखरेख मंदिर की सात सदस्यीय समिति द्वारा किया जाता है।
अगर आप राजस्थान के इस पवित्र तीर्थ जिसको हारे हुए का सहारा भी कहा जाता है, के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, जैसे: खाटू श्याम कौन हैं, खाटू श्याम जी मंदिर का निर्माण, वास्तुकला, मंदिर कब कैसे पहुँचे, पट खुलने एवं आरती का समय, इत्यादि, तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
खाटू श्याम मंदिर की विशेषता (Significance of Khatu Shyam Mandir)
राजस्थान के अलौकिक रूप से सुंदर राज्य में स्थित, श्री खाटू श्याम मंदिर को नवविवाहित जोड़ों, धागा समारोहों, और नवजात शिशुओं के मुंडन समारोह के लिए भी एक शुभ स्थान माना जाता है। यहाँ के लोगों का मानना है कि श्री खाटू श्याम मंदिर परिसर में श्यामा कुंड में स्नान करने से उन्हें सभी रोगों और संक्रमण से मुक्ति मिल जाएगी।
हिन्दू मान्यता के मुताबिक खाटू श्याम बाबा को कलयुग के देवता और श्री कृष्ण का अवतार माना जाता है। भक्तों का मानना है की श्याम बाबा से जो भी मांगो वो उसको लाखों करोड़ों गुना देते हैं। और यही कारण है कि उनका एक नाम “लखदातार” भी है।
खाटू श्याम कौन हैं (Who Is Khatu Shyam)
खाटू श्याम या बर्बरीक महाभारत काल के दूसरे पांडव भीम के पोते हैं। उनके माता-पिता घटोत्कच और मौरवी हैं। घटोत्कच भीम और आदिवासी राजकुमारी हिडिम्बा का पुत्र थे।
किंवदंती है कि बर्बरीक एक बहादुर योद्धा थे। उनके पास एक अनोखा तिहरा बाण या तीन बाणों वाला धनुष था। तीन तीर किसी भी युद्ध को एक मिनट में ख़त्म कर सकते थे। पहला तीर उन लोगों को चिह्नित करेगा जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। दूसरा तीर लोगों को मारने के लिए चिह्नित करेगा और तीसरा तीर जाकर उन लोगों को मार देगा।
बर्बरीक का पालन-पोषण उनकी माँ मौरवी ने किया था। उन्होंने हमेशा बर्बरीक को ये सिखाया था कि हारे हुए का साथ देना। इसलिए उन्होंने हमेशा उनकी सलाह का पालन किया और हार हुए का पक्ष लिया।
खाटू श्याम मंदिर का इतिहास (History of Khatu Shyam Ji Temple)
श्री खाटू श्याम राजस्थान के खाटू शहर में एक सदियों पुराना कृष्ण जी का मंदिर है। यह राज्य के सबसे प्रमुख पूजा स्थलों में से एक है। खाटू श्याम नाम का एक ऐसा ही मंदिर इलाहाबाद शहर में मौजूद है। इस बेहद खूबसूरत मंदिर के कारण ही शहर की लोकप्रियता बढ़ी है।
खाटू श्याम मंदिर की कहानी हिन्दुओं के सबसे महत्वपूर्ण महाकाव्य महाभारत की है। पांडवों में से एक, भीम के पड़पोते वीर बर्बरीक को भगवान कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त माना जाता है। उन्होंने श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम के प्रतीक के रूप में अपना सिर बलिदान कर दिया था। बर्बरीक के इस महान बलिदान की वजह से उन्हें “शीश का दानी” नाम दिया गया। इस महान बलिदान से प्रभावित होकर भगवान ने वीर बर्बरीक को आशीर्वाद के रूप में वरदान दिया था। वरदान यह था कि कलयुग में श्याम के रूप में उनकी पूजा की जाएगी। श्री खाटू श्याम में श्याम के रूप में पूजे जाने वाले वीर बर्बरीक अपने भक्तों में ‘हारे का सहारा’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। भगवान कृष्ण के भक्तों का मानना है कि भगवान हमेशा पवित्र हृदय वाले निष्कपट भावना से मनोकामनाएं मांगने वाले लोगों के सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं।
खाटू श्याम मंदिर का निर्माण एवं वास्तुकला (Construction and Architecture of Khatu Shyam Temple)
माना जाता है की खाटू श्याम मंदिर का निर्माण खाटू श्याम के शासक राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर ने करवाया था। एक बार रूप सिंह को एक सपना आया था जिसमें उन्हें खाटू के एक कुंड से श्याम का शीश निकालकर मंदिर बनाने के लिए कहा गया था। उन्होंने अपने सपने में मिले आदेश का पालन किया।
उसी कुंड को बाद में ‘श्यामा कुंड’ के नाम से जाना जाने लगा। भक्त इस पवित्र कुंड में इस विश्वास के साथ डुबकी लगाते हैं कि इससे उन्हें किसी भी प्रकार की बीमारी या छूत से छुटकारा मिल जायेगा।
खाटू श्याम जी मंदिर की वर्तमान वास्तुकला को दीवान अभय सिंह द्वारा 1720 के आसपास पुनर्निर्मित किया गया था। भगवान बर्बरीक, जिन्हें वर्तमान समय (कलयुग) का देवता माना जाता है, की यहाँ भगवान कृष्ण के रूप में पूजा की जाती है। इनकी मूर्ति एक पत्थर द्वारा निर्मित है। सफ़ेद पत्थर से निर्मित इस मंदिर की वस्तुलकला आश्चर्यचकित और भावविभोर करने वाली है। लोग दूर-दूर से मंदिर की वास्तुकला और सुन्दर संरचना देखने आते हैं। यहाँ पर एक विशाल प्रार्थना कक्ष है, जिसका नाम जगमोहन है। इस कमरे में विस्तृत रूप से पौराणिक दृश्यों को चित्रित किया गया है। मंदिर का प्रवेश एवं निकास द्वार संगमरमर से निर्मित किये गए हैं। गर्भगृह का शटर सुन्दर चांदी की चादर से ढँका हुआ है, जो मंदिर की भव्यता को कई गुना बढ़ाता है।
खाटू श्याम जी मंदिर कब जाना चाहिए (When to Visit Khatu Shyam Mandir)
वैसे तो खाटू श्याम मंदिर की यात्रा के लिए साल का कोई भी दिन उचित होता है। 365 दिन मंदिर में लोगों का भारी जमावड़ा रहता है। लोग देश-विदेश से भगवान के दर्शन करने और अपने मनोरथ की पूर्ति के लिए आते हैं। परन्तु कुछ महत्वपूर्ण दिनों में मंदिर का नज़ारा और भी अधिक भाव विभोर कर देता है। यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण त्योहारों को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। और इस समय लाखों की संख्या में भक्त मंदिर और भगवान की एक झलक पाने के लिए आते हैं। आइये जानते हैं कि कौन-कौन से महत्वपूर्ण त्यौहार इस धार्मिक स्थल पर मनाये जाते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी: यह शुभ त्योहार अगस्त के महीने में आता है। इस त्योहार के दौरान मंदिर को भिन्न-भिन्न तरीकों से सजाया जाता है और भगवान खाटू श्याम जी के भजनों से मंदिर का कोना-कोना गूँज उठता है। दुनिया भर से हज़ारों भक्त इस समय मंदिर में आते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे उन पर अपना आशीर्वाद बरसायें।
वार्षिक खाटू श्याम (फाल्गुन उत्सव) मेला: हर साल मंदिर में यह मेला फाल्गुन मास के 10 वे दिन से 12 वे दिन तक लगाया जाता है। इस समय मंदिर में भव्य उत्सव का आयोजन होता है जो बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है।
खाटू श्याम मंदिर में की जाने वाली आरती (Aartis Performed in Khatu Shyam Mandir)
खाटू श्याम जी मंदिर में प्रतिदिन 5 आरती की जाती है। जप और आरती से उत्पन्न भक्तिमय वातावरण अतुलनीय होता है। यदि आप इस खूबसूरत मंदिर की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो आपको इनमें से किसी एक आरती में शामिल होने का प्रयास करना चाहिए। यहाँ पर रोज़ होने वाली आरती इस प्रकार से हैं:
मंगला आरती: यह सुबह जल्दी तब की जाती है जब मंदिर का द्वार भक्तों के लिए खोला जाता है।
शृंगार आरती: जैसा की नाम से पता चलता है, यह वह समय है जब खाटू श्याम जी की मूर्ति को भव्य रूप से श्रृंगार के साथ अलंकृत किया जाता है, साथ में आरती भी की जाती है।
भोग आरती: दिन की तीसरी आरती दोपहर में की जाती है जब भगवान को भोग या प्रसाद अर्पित किया जाता है।
संध्या आरती: यह आरती शाम को सूर्यास्त के समय की जाती है।
शयन आरती: रात में मंदिर बंद होने से पहले, शयन आरती की जाती है।
इन सभी आरती के समय दो विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है: श्री श्याम आरती और श्री श्याम विनती।
मंदिर का समय (Timings of Khatu Shyam Ji Temple)
सर्दियों में: मंदिर के द्वार भक्तों के लिए सुबह 5.30 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक और शाम को 5.00 बजे से रात 9 बजे तक खुले रहते हैं।
गर्मियों में: मंदिर के द्वार भक्तों के लिए सुबह 4.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और शाम को 4.00 बजे से रात 10.00 बजे तक खुले रहते हैं।
श्यामा कुंड में डुबकी का महत्व (Importance of Dip in Shyama Kund)
श्यामा कुंड मंदिर के पास का वह पवित्र स्थान है जहाँ से मूर्ति को पुनः प्राप्त किया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस कुंड में डुबकी लगाने से व्यक्ति के रोग दूर हो जाते हैं और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। भक्तिमय उत्साह और पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ लोग श्यामा कुंड में डुबकी लगाते हैं। वार्षिक फाल्गुन मेला उत्सव के दौरान स्नान करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान कैसे पहुँचे (How to Reach Khatu Shyam Mandir Rajasthan)
खाटू श्याम का मंदिर सड़क और ट्रेन द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन रिंगस जंक्शन (आरजीएस) है, जो मंदिर से लगभग 17 किलोमीटर दूर है। आपको स्टेशन से मंदिर जाने के लिए कैब या जीप आसानी से मिल जायेंगी। ऐसी कई ट्रेनें हैं जो दिल्ली और जयपुर से रिंगस की ओर चलती हैं, जिन्हें आप अपनी सुविधानुसार चुन सकते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 80 किमी दूर है, जहाँ से आप सड़क मार्ग से मंदिर तक जा सकते हैं। सबसे अच्छा मार्ग सवाई जय सिंह हाईवे से जयपुर-सीकर रोड से आगरा-बीकानेर रोड तक है, जिसे NH 11 के नाम से भी जाना जाता है। जयपुर और खाटू के बीच कई निजी और सरकारी बसें भी चलती हैं। हालांकि, इन बसों में कोई आरक्षित सीट उपलब्ध नहीं है। खाटू बस स्टॉप से आप ऑटो रिक्शा से मंदिर जा सकते हैं।
श्री खाटू श्याम का मंदिर क्यों जायें (Why to Visit Shri Khatu Shyam Temple)
श्री खाटू श्याम मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित देश के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर पौराणिक दृश्यों को बहुत खूबसूरती से चित्रित किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिव्य स्थान पर भक्तों की सभी मनोकामनायें पूरी होती हैं। भक्त मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए भी इस मंदिर में जाते हैं। यह मंदिर यहाँ आने वालों को शांति और सुख की अनुभूति प्रदान करने के लिए जाना जाता है। यही कारण है की श्री खाटू भगवान के सैंकड़ों भक्त इस मंदिर में अक्सर आते हैं।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथायें कई इतिहासकारों को इसके परिसर में लाती हैं। श्री खाटू श्याम का मंदिर का एक महान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह वर्षों से हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल रहा है।
मूल संस्थापकों के वंशज मंदिर को अपनी सेवायें प्रदान करते आ रहे हैं। इससे ये साबित होता है कि श्री खाटू श्याम मंदिर से जुड़ी भक्तों की आस्था और भक्ति अद्वितीय है। और इसे देश में सबसे अधिक पूजे वाले स्थानों में से एक बनाता है। आकर्षक वास्तुकला वाले इस रमणीय मंदिर की यात्रा उपासकों के लिए एक आश्चर्यजनक और रोमांचक अनुभव साबित होता है।
खाटू श्याम जी मंदिर में त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। परिसर के साथ-साथ खाटू के पूरे शहर को भव्य रूप से सजाया गया है। और प्रार्थनाओं और भजनों की गूंज पूरे क्षेत्र में अलौकिक एवं पवित्र वातावरण पैदा करती है।
निकटवर्ती दर्शनीय स्थान (Nearby Places of Attraction)
गौरीशंकर मंदिर – श्याम जी के मंदिर के पास स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह एक किंवदंती है कि मुगल सम्राट औरंगज़ेब के सैनिक इस मंदिर को नष्ट करना चाहते थे। और इस उद्देश्य से उन्होंने शिवलिंग पर भाले से हमला किया था। तब शिवलिंग से रक्त के फव्वारे दिखने पर सैनिक भयभीत होकर भाग गए। इस मंदिर में शिवलिंग पर भाले का निशान आज भी देखे जा सकते हैं।
श्याम बगीचा – मंदिर के पास एक विशाल उद्यान है जहाँ से भगवान को अर्पित करने के लिए फूल लिये जाते हैं। खाटू श्याम के महान भक्त लेफ्टिनेंट आलू सिंह जी की समाधि भी परिसर में स्थित है।
गणेश्वर गाँव – गणेश्वर गाँव सीकर में नीम का थाना शहर के करीब स्थित है। गर्म गंधक के झरने इसका प्रमुख आकर्षण हैं और ऐसा माना जाता है कि झरने के पानी में डुबकी लगाने से त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं। गणेश्वर के आसपास की गई खुदाई में 4000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। गणेश्वर के पास बालेश्वर शहर, एक प्राचीन शिव मंदिर के लिए लोकप्रिय है।
जीनमाता मंदिर – जीनमाता गाँव में देवी जीण माता को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण लगभग 1,000 साल पहले राजपूतों ने प्रतिहार और चौहान की स्थापत्य शैली में किया गया था। मंदिर में चौबीस स्तंभ हैं, जिन्हें अत्यधिक सुंदरता से निर्मित किया गया है। मंदिर में विराजमान देवी जीण माता की मूर्ति की आठ भुजायें हैं। चैत्र और अश्विन के महीनों में नवरात्रि के अवसर पर यहाँ पर एक वार्षिक मेला का आयोजन किया जाता है।
हर्षनाथ मंदिर – 10वीं शताब्दी का हर्षनाथ मंदिर सीकर के पास अरावली पहाड़ियों पर स्थित है। इस स्थल पर प्राचीन शिव मंदिर के अवशेष देखे जा सकते हैं। हर्षनाथ मंदिर के पास एक और शिव मंदिर स्थित है जिसका निर्माण 18वी शताब्दी में सीकर के शिव सिंह द्वारा करवाया गया था।
तो दोस्तो आशा है कि इस लेख को पढ़कर आपको खाटूश्याम धाम से सम्बंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और भगवान खाटू श्याम का आशीर्वाद पाने के लिए आपको एक बार इस धाम की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
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