धर्म

मनोजवम मारुत तुल्य वेगम – Manojavam Marut Tulya Vegam Lyrics

मनोजवम मारुत तुल्य वेगम (Manojavam Marut Tulya Vegam) एक संस्कृत श्लोक है जो भगवान हनुमान की स्तुति है। इस का पाठ करने के कई फायदे हैं जैसे की शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाना, साहस और निःस्वार्थता को प्रोत्साहित करना, समस्याओं का समाधान करना और सकारात्मकता को बढ़ावा देना। यह श्लोक पढ़ने से मानसिक शांति मिलती है और भक्ति का भाव उत्पन्न होता है।

मनोजवं मारुततुल्यवेगं श्लोक भगवान हनुमान जी की शक्ति और गुणों का प्रतीक है। इसे नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति में साहस, समर्थन, और धैर्य का विकास होता है। इस श्लोक का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा मिलती है और व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों से निपटने की क्षमता मिलती है। इसके अलावा, इस श्लोक का जाप करने से व्यक्ति का मानसिक तनाव कम होता है और उसका मन शांत होता है। इसके साथ ही, भक्ति और उत्साह की भावना भी विकसित होती है जो उसे जीवन में सफलता की राह पर आगे बढ़ने में मदद करती है।

मनोजवम मारुत तुल्य वेगम, जितेंद्रियम बुद्धिमतां वरिष्ठं
वातात्मजं वानारायूथ मुख्यम, श्रीराम दूतं शरणम प्रपद्धे

मंगल मूरति, मारुतनंदन, भक्तविभूषण जय हनुमान
सकल अमंगल, मूल निकंदन, संकट मोचन जय हनुमान
जय हनुमान जय हनुमान
जय हनुमान जय हनुमान, जय हनुमान जय हनुमान

पवन तनय संतन हितकारी, ह्रदय बिराजत अवधविहारी
राम लखन सीता श्री चरण में, भक्तविभूषण जय हनुमान
जय हनुमान …

मातुपिता, गुरु, गनपति, सारद, सिवा समेत संभु सुख नारद
राम लखन सीता श्री चरण में, भक्तविभूषण जय हनुमान
जय हनुमान …

चरन बंदी बिनबौ सब काहूँ, देहु रामपद नेह निबाहूं
राम लखन सीता श्री चरण में, भक्तविभूषण जय हनुमान
जय हनुमान …

बंदौ राम लखन बैदेही, जे तुलसी के परम सनेही
राम लखन सीता श्री चरण में, भक्तविभूषण जय हनुमान
जय हनुमान …

मनोजवम मारुत तुल्य वेगम, जितेंद्रियम बुद्धिमतां वरिष्ठं
वातात्मजं वानारायूथ मुख्यम, श्रीराम दूतं शरणम प्रपद्धे

मनोजवम मारुत तुल्य वेगम, जितेंद्रियम बुद्धिमतां वरिष्ठं
वातात्मजं वानारायूथ मुख्यम, श्रीराम दूतं शरणम प्रपद्धे

मंगल मूरति, मारुतनंदन, भक्तविभूषण जय हनुमान
सकल अमंगल, मूल निकंदन, संकट मोचन जय हनुमान
जय हनुमान जय हनुमान
जय हनुमान जय हनुमान, जय हनुमान जय हनुमान

पवन तनय संतन हितकारी, ह्रदय बिराजत अवधविहारी
राम लखन सीता श्री चरण में, भक्तविभूषण जय हनुमान
जय हनुमान …

मातुपिता, गुरु, गनपति, सारद, सिवा समेत संभु सुख नारद
राम लखन सीता श्री चरण में, भक्तविभूषण जय हनुमान
जय हनुमान …

चरन बंदी बिनबौ सब काहूँ, देहु रामपद नेह निबाहूं
राम लखन सीता श्री चरण में, भक्तविभूषण जय हनुमान
जय हनुमान …

बंदौ राम लखन बैदेही, जे तुलसी के परम सनेही
राम लखन सीता श्री चरण में, भक्तविभूषण जय हनुमान
जय हनुमान …

मनोजवम मारुत तुल्य वेगम, जितेंद्रियम बुद्धिमतां वरिष्ठं
वातात्मजं वानारायूथ मुख्यम, श्रीराम दूतं शरणम प्रपद्धे

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम मनोजवं मारुततुल्यवेगं (Manojavam Marut Tulya Vegam Lyrics In Hindi) स्तुति को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इसको पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें यह स्तुति रोमन में-

Read Manojavam Marut Tulya Vegam Lyrics

manojavama māruta tulya vegama, jiteṃdriyama buddhimatāṃ variṣṭhaṃ
vātātmajaṃ vānārāyūtha mukhyama, śrīrāma dūtaṃ śaraṇama prapaddhe

maṃgala mūrati, mārutanaṃdana, bhaktavibhūṣaṇa jaya hanumāna
sakala amaṃgala, mūla nikaṃdana, saṃkaṭa mocana jaya hanumāna
jaya hanumāna jaya hanumāna
jaya hanumāna jaya hanumāna, jaya hanumāna jaya hanumāna

pavana tanaya saṃtana hitakārī, hradaya birājata avadhavihārī
rāma lakhana sītā śrī caraṇa meṃ, bhaktavibhūṣaṇa jaya hanumāna
jaya hanumāna …

mātupitā, guru, ganapati, sārada, sivā sameta saṃbhu sukha nārada
rāma lakhana sītā śrī caraṇa meṃ, bhaktavibhūṣaṇa jaya hanumāna
jaya hanumāna …

carana baṃdī binabau saba kāhū~, dehu rāmapada neha nibāhūṃ
rāma lakhana sītā śrī caraṇa meṃ, bhaktavibhūṣaṇa jaya hanumāna
jaya hanumāna …

baṃdau rāma lakhana baidehī, je tulasī ke parama sanehī
rāma lakhana sītā śrī caraṇa meṃ, bhaktavibhūṣaṇa jaya hanumāna
jaya hanumāna …

manojavama māruta tulya vegama, jiteṃdriyama buddhimatāṃ variṣṭhaṃ
vātātmajaṃ vānārāyūtha mukhyama, śrīrāma dūtaṃ śaraṇama prapaddhe

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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