साईं बाबा की व्रत कथा और आरती
साईं बाबा की व्रत कथा और आरती का 9 गुरुवार तक जो भी व्यक्ति श्रद्धा के साथ पाठ करता है, उसे निश्चित ही इच्छित फल की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि जो भी विश्वासपूर्वक साईं बाबा की व्रत कथा सुनता है और उपवास करता है, साईं उसके मन की मुराद अवश्य पूरी करते हैं।
साईं बाबा के व्रत के नियम
- यह व्रत स्त्री-पुरुष और बच्चे कर सकते हैं।
- यह व्रत बहुत ही चमत्कारिक है। नौ गुरुवार विधि-पूर्वक करने से निश्चित ही इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
- यह व्रत किसी भी गुरुवार से साईं बाबा का नाम लेकर शुरू किया जा सकता है। जिस कार्य के लिए व्रत किया गया हो, उसके लिए सांई बाबा से सच्चे हृदय से प्रार्थना करनी चाहिए।
- सुबह या शाम को किसी भी आसन पर नीला कपड़ा बिछाकर सांई बाबा का चित्र रखकर स्वच्छ पानी से पोंछकर चंदन या कुंकुम का तिलक लगाना चाहिए। अगरबत्ती और दीपक जलाकर साईं बाबा की व्रत कथा पढ़नी चाहिए और सांई बाबा का स्मरण करना चाहिए तथा प्रसाद बांटना चाहिए। (प्रसाद में कोई फलाहार या मिठाई बांटी जा सकती है।)
- यह व्रत फलाहार लेकर किया जा सकता है अथवा एक समय भोजन करके किया जा सकता है। बिल्कुल भूखे रहकर उपवास न करें।
- नौ गुरुवार को हो सके तो सांई बाबा के मंदिर जाकर दर्शन करें। बाबा के मंदिर में न जा पाएँ तो (नजदीक मंदिर न हो तो) घर पर ही श्रद्धापूर्वक साईं बाबा की पूजा की जा सकती है।
- गांव से बाहर जाना हो तो इस व्रत को चालू रखा जा सकता है।
- व्रत के समय स्त्रियों को मासिक की समस्या आए अथवा किसी कारण से व्रत न हो पाये तो उस गुरुवार को नौ गुरुवार की गिनती में न गिनें और उस गुरुवार के बदले अन्य गुरुवार करके नौवें गुरुवार को उद्यापन करें।
उद्यापन की विधि
नौवें गुरुवार को उद्यापन करना चाहिये। इसमें पांच गरीबों को भोजन करायें। भोजन अपनी यथाशक्ति से देना या करवाना चाहिये। साईं बाबा की महिमा एवं व्रत का प्रचार करने के लिए अपने संबंधी या पड़ोसियों को इस वेब पन्ने का लिंक यथाशक्ति भेजें। इस तरह व्रत का उद्यापन किया जाए। उपरोक्त विधि से व्रत एवं उद्यापन करने से निश्चित ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी, ऐसा साईं भक्तों का विश्वास है।
श्री साईं बाबा की व्रत कथा
किरन बहन और उनके पति किशन भाई एक शहर में रहते थे। वैसे तो दोनों का एक दूसरे के प्रति गहरा प्रेम भाव था। परन्तु किशन भाई का स्वरूप झगड़ालू था। अड़ोसी-पड़ोसी भी उनके स्वभाव से परेशान थे, लेकिन किरन बहन धार्मिक स्वभाव की थी, भगवान पर विश्वास रखती एवं बिना कुछ कहे सब कुछ सह लेती थी। धीरे-धीरे उनके पति का रोजगार ठप हो गया। कुछ भी कमाई न होती थी।
अब किशन भाई दिन भर घर पर ही रहते। घर में पड़े-पड़े उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया। एक दिन दोपहर को एक वृद्ध दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया। चेहरे पर गजब का तेज था, आकर वृद्ध ने दाल चावल की मांग की। किरन बहन ने दाल चावल दिए और दोनों हाथों से उस वृद्ध को नमस्कार किया। वृद्ध ने कहा, साईं सुखी रखे। किरन बहन ने कहा कि महाराज सुख किस्मत में नहीं है। फिर मिलेगा कैसे? ऐसा कहकर उन्होंने अपने दुःखी जीवन का वर्णन किया।
वृद्ध ने श्री साईं बाबा की व्रत कथा (Sai Baba Vrat Katha) के बारे में बताते हुए कहा – नौ गुरुवार फलाहार या एक समय का भोजन करना। हो सके तो बेटा सांई मंदिर जाना, घर पर साईं बाबा की नौ गुरुवार पूजा करना, साईं व्रत करना, आरती पढ़ना और विधिपूर्वक उद्यापन करना। भूखे को भोजन देना। साईं व्रत के बारे में लोगों को यथाशक्ति बताना। इस तरह साईं व्रत का प्रचार करना। साईं बाबा तेरी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे। यह व्रत कलयुग में बड़ा चमत्कारिक है। यह सभी की मनोकामना पूर्ण करता है। लेकिन साईं बाबा पर अटूट श्रद्धा रखना जरूरी है। धीरज रखना चाहिये। जो इस विधि से साईं बाबा की व्रत कथा और आरती पढ़ेगा, बाबा उसकी सभी मनोकामना जरूर पूर्ण करेंगे।
किरन बहन ने भी गुरुवार का व्रत किया। नौवें गुरुवार को ग़रीबों को भोजन कराया। सांई व्रत के बारे में औरों को बताया। उनके घर के झगड़े दूर हुए और सुख-शान्ति हो गई जैसे किशन भाई का स्वभाव ही बदल गया हो। उनका रोजगार फिर से चालू हो गया। थोड़े समय में ही सुख समृद्धि बढ़ गयी।
अब दोनों पति-पत्नी सुखी जीवन बिताने लगे। एक दिन किरन बहन के जेठ-जेठानी आये और बातों ही बातों में उन्होंने बताया की उनके बच्चे पढ़ाई नहीं करते। परीक्षा में फेल हो गये हैं। किरन बहन ने नौ गुरुवार की महिमा बताई और कहा कि साईं बाबा की भक्ति से बच्चे अच्छी तरह अभ्यास कर पाएंगे। लेकिन इसके लिए सांई बाबा पर विश्वास रखना जरूरी है। वे सबकी सहायता करते हैं। उनकी जेठानी ने व्रत की विधि पूछी, तो किरन बहन ने कहा कि नौ गुरुवार फलाहार करके अथवा एक समय भोजन करके यह व्रत किया जा सकता है और नौ गुरुवार हो सके तो साईं दर्शन के लिए मंदिर जाने को कहा। साथ ही यह कहा कि–
- यह व्रत स्त्री-पुरुष या बच्चे कोई भी कर सकता है। नौ गुरुवार साईं तस्वीर की पूजा करना।
- फूल चढ़ाना, दीपक अगरबत्ती आदि करना। प्रसाद चढ़ाना एवं सांई बाबा का स्मरण करना, आरती करना आदि की विधि बताई। साईं व्रत कथा, सांई स्मरण, साईं चालीसा, आदि का पाठ करना।
- नौवें गुरुवार को गरीबों को भोजन देना।
- नौवें गुरूवार को सांई व्रत की जानकारी अपने सगे संबंधी, अड़ोसी पड़ोसी को देना।
सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों बाद पत्र आया कि उनके बच्चे सांई व्रत करने लगे हैं और बहुत मन लगाकर पढ़ते हैं। उन्होंने भी व्रत किया था। इस बारे में उन्होंने लिखा की उनकी सहेली कोमल बहन की बेटी की शादी साईं बाबा की व्रत कथा और आरती (Sai Vrat Katha aur Aarti) पढ़ने से बहुत ही अच्छी जगह हो गई है। उनके पड़ोसी के गहनों का डिब्बा गुम हो गया था। वह सांई व्रत की महिमा के कारण दो महीने के बाद मिल गया ऐसा अद्भुत चमत्कार हुआ था। किरन बहन ने कहा कि साईं बाबा की महिमा महान है। यह जान लिया था कि साई बाबा जैसे आप लोगों पर प्रसन्न होते हैं। वैसे हम पर भी होना।
सांई व्रत के अद्भुत चमत्कार
घुटनों का दर्द गायब
किसी भी रोग में यदि साई बाबा का नाम लिया जाए तो निश्चित ही राहत मिलती है और धीरे-धीरे वह रोग दूर हो जाता है।
पानू भाई के घुटने में दर्द होता था। कुछ दिनों पहले फ्रैक्चर हुआ था, जिसके कारण हड्डी के कुछ कण अलग हो गये थे और वह घुटने में चुभते थे। डॉक्टर ने ऑपरेशन करने के लिए कहा था लेकिन पानू भाई ने नहीं करवाया और थोड़े दिनों में ही अच्छे हो गये और फिर अचानक दर्द फिर से शुरू हुआ। छः दिन तक एक कदम भी चलने की हिम्मत न थी, दर्द भी असहनीय था। पर पानू भाई के लिए जाना असंभव था। पैर के दर्द के कारण उन्होंने हंगामा मचा रखा था।
पानू भाई की साईं बाबा पर श्रद्धा थी। उपवास भी कर लेते थे। लेकिन कभी विधिपूर्वक साईं बाबा की व्रत कथा और आरती नहीं की थी। एक संबंधी ने नौ गुरुवार की महिमा बताई। उनकी भी नौ गुरूवार करने की इच्छा हुई। वे हिम्मत पूर्वक स्कूटर पर बैठकर साईं बाबा के मंदिर गए और जाकर प्रार्थना की कि मुझे भी शिरडी जाना है। लेकिन मेरी पीड़ा मुझसे सहन नहीं होती। नौ गुरुवार का व्रत विधिपूर्वक करके उद्यापन करूंगा।
पानू भाई ने ऐसा चमत्कार जीवन में कभी न देखा था। मंदिर के बाहर आते ही उनका दर्द गायब हो गया। बाद में वे सब 15 दिन के लिए मसूरी घूमे-फिरे भी। लेकिन सांई कृपा से कोई पीड़ा नहीं हुई।
बोर्ड की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण
हेमा स्कूल में पढ़ती थी। उसका पढ़ाई में कभी भी मन नहीं लगता था। वह नौवीं कक्षा तक जैसे-तैसे पास हुई। वह हमेशा कहती की मुझे कुछ याद नही रहता। माता-पिता चिंतित थे कि इस साल दसवीं की पहली, दूसरी परीक्षा में सभी विषयों में फेल हो गई।
उसने किसी के कहने से विधि-पूर्वक साईं बाबा की व्रत कथा और आरती पढ़ना शुरू की। उद्यापन किया तो हेमा की स्मरण शक्ति बढ़ने लगी। जो शिक्षक उसकी बुराई करते थे, वे उसकी तारीफ करने लगे। सांई बाबा के चमत्कार से बोर्ड की परीक्षा में 85 प्रतिशत अंक आए और फिर उसने 11वीं में साइंस विषय लिया।
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गठिया रोग छूमंतर
कांता के कान में दर्द रहने के कारण उसे कम सुनाई देने की तकलीफ शुरू हुई। विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाया गया। डॉक्टर ने कहा ऑपरेशन करना बहुत जरूरी है और बायोप्सी भी करनी पड़ेगी, ऐसा सुन लोग घबरा गए। डॉक्टर ने 15 दिन बाद के लिए ऑपरेशन की तारीख दी।
इसी समय में कांता ने जिद की कि 9 गुरुवार पूरे होने पर उद्यापन के बाद ही ऑपरेशन करवाऊंगी। 9वें गुरुवार को गरीबों को भोजन खिलाया। सांई व्रत की पुस्तकें भेंट दीं और अस्पताल गए तो सभी टेस्ट नॉर्मल आए। गठिया गायब हो गई थी। डॉक्टर ने कहा कि कुछ भी नहीं है। सब तरह से ठीक है। सांई बाबा के प्रति कांता का विश्वास और बढ़ गया।
भयंकर घात से बच गए
मुन्नाभाई की पत्नी को हमेशा कब्ज की शिकायत रहती थी। कभी-कभी वे हरड़ को गरम पानी के साथ ले लेती। एक दिन हरड़ खाकर जैसे ही गरम पानी पीया, गिलास का कांच टूट गया। शायद कांच पेट में ही चला गया है। उन्हें शंका हुई, सबने दूर तक टुकड़े को ढूंढा पर वह न मिला। दो घण्टे के बाद खाना पखाने के साथ खून आ गया। खून बंद ही नहीं हो रहा था।
मुन्नाभाई की पत्नी बेहोश जैसी हो गई, मुन्नाभाई साई बाबा के सामने दीपक जलाकर प्रार्थना करने लगे कि मेरी पत्नी का खून बहना बंद नही हो रहा। खून काफी बह चुका है। यदि खून आना बंद हो जाएगा और मेरी पत्नी बच जाएगी तो मैं नौ गुरुवार का व्रत विधिपूर्वक करूंगा और साईं बाबा की व्रत कथा (Sai Baba Ki Katha) नियमित तौर पर पढ़ूंगा। थोड़ी देर में पखाने के साथ कांच बाहर आ गया, खून बहना बंद हो गया।
रात को ही वह पत्नी को अस्पताल ले गया। डॉक्टर ने टेस्ट किए। उसने बताया कि अंदर चोट नहीं पहुंची है वरना जान को खतरा हो सकता था। कमजोरी है, वह धीरे धीरे दूर हो जाएगी। उसके बाद उनके घर के शुभ प्रसंग में मुन्नाभाई की पत्नी ने नृत्य किया।
इसी प्रकार के अनेकों चमत्कार सांई कृपा से लोगों को आज भी लाभ पहुंचा रहे हैं। केवल भक्ति की और विश्वास बनाए रखने की आवश्यकता है।
श्री सांई बाबा के ग्यारह वचन
- जो शिरड़ी में आएगा, आफत दूर भगाएगा।
- चढ़े समाधि की सीढ़ी पर पैर तले दुख की पीढ़ी पर।
- त्याग शरीर चला जाऊँगा, भक्त-हेतू दौड़ा आऊँगा।
- मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस।
- मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो।
- मेरी शरण आ खाली जाये, हो तो कोई मुझे बताये।
- जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का।
- भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा।
- आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वह नहीं है दूर।
- मुझमें लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया।
- धन्य धन्य वह भक्त अनन्य, मेरी शरणतज्ञ जिसे न अन्य।
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Sai vrat katha english pdf
टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। शीघ्र ही अंग्रेज़ी में भी व्रत कथाएँ उपलब्ध करायी जाएंगी। इसी तरह हमें अपने विचारों से अवगत कराते रहें।
bahut hi acchi jankari di hai aapne sai bhakto ke liye
नीरू जी, टिप्पणी के माध्यम से हमारा उत्साह बढ़ाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हमारा प्रयत्न रहेगा कि इसी तरह की अन्य उपयोगी सामग्री आप तक नियमित पहुँचाई जा सकें।