धर्म

सजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आए हैं – Mere Sarkar Aaye Hai Lyrics

पढ़ें “सजा दो घर को गुलशन सा लिरिक्स”

सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे सरकार आये है।
सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है॥

पखारो इनके चरणो को,
बहा कर प्रेम की गंगा,
बिछा दो अपनी पलको को,
मेरे सरकार आये है।
सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है॥

उमड़ आई मेरी आँखे,
देख कर अपने बाबा को,
हुई रोशन मेरी गलियां,
मेरे सरकार आये है।
सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है॥

तुम आकर फिर नहीं जाना,
मेरी इस सुनी दुनिया से,
कहूँ हर दम यही सब से,
मेरे सरकार आये है।
सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है॥

सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे सरकार आये है।
सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर इस भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह भजन रोमन में–

Read Saja Do Ghar Ko Gulshan Sa Lyrics In Hindi

sajā do ghara ko gulaśana sā,
mere sarakāra āye hai,
lage kuṭiyā bhī dulhana sī,
mere sarakāra āye hai।
sajā do ghara ko gulaśana sā,
mere sarakāra āye hai॥

pakhāro inake caraṇo ko,
bahā kara prema kī gaṃgā,
bichā do apanī palako ko,
mere sarakāra āye hai।
sajā do ghara ko gulaśana sā,
mere sarakāra āye hai॥

umaड़ āī merī ā~khe,
dekha kara apane bābā ko,
huī rośana merī galiyāṃ,
mere sarakāra āye hai।
sajā do ghara ko gulaśana sā,
mere sarakāra āye hai॥

tuma ākara phira nahīṃ jānā,
merī isa sunī duniyā se,
kahū~ hara dama yahī saba se,
mere sarakāra āye hai।
sajā do ghara ko gulaśana sā,
mere sarakāra āye hai॥

sajā do ghara ko gulaśana sā,
mere sarakāra āye hai,
lage kuṭiyā bhī dulhana sī,
lage kuṭiyā bhī dulhana sī,
mere sarakāra āye hai।
sajā do ghara ko gulaśana sā,
mere sarakāra āye hai॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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