धर्म

ले अम्बे नाम चल रे – Le Ambe Naam Chal Re Lyrics

ले अम्बे नाम चल रे लिरिक्स पढ़े – Le Ambe Naam Chal Re Part 1

पावन है सबसे ऊँचा है साँचा है ये दरबार
कलयुग में भी होते है जहाँ रोज़ चमत्कार
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

सुन्दर से माँ के धाम की महिमा कमाल है
मंदिर यह देवी माँ का सबसे विशाल है
पर्वत त्रिकूट के शीश पे माता का सिंहासन
जयकारे माँ के बोल के चलती यहाँ पवन

अम्बर के बादल देते है माता को सलामी
पहरा दे हनुमान और भैरव करते निगरानी
दर्शन की सबके भाग में घड़ियाँ नहीं आती
दर्शन उन्हें मिलता जिन्हे माँ भेजती बाती

द्वारे पे माँ के लगती लम्बी कतार है
दर्शन कब होगा सबको इंतज़ार है
जीवन है जिसका नाम वो है कच्चा सा धागा
जो माँ के द्वारे जा न सके वह है अभागा

ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

(संगीत)

सूरज की पहली किरण होती है जो सिंधुरी
कहती है पता माँ को है मजबूरियाँ तेरी
क्या सोच रहा तू कि ये पैसा है जरूरी
पैसे ने बना राखी है माँ-बेटे में दूरी

इस पाप कि गठरी को परे रख के तू आजा
आजा तू खुला है भवानी माँ का दरवाज़ा
मील अठ्ठाराह ये जम्मू से दूर है
दर्शन जो माँ का पहला जग में मशहूर है

कन्याओं के संग माता यहाँ खूब थी खेली
इस स्थान को कहते है भक्तों कौली-कंदौली
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

यहाँ से चार मील जब आगे जाओगे
दर्शन जो माँ का दूजा है उसको पाओगे
दुर्गा कि एक भक्त जिसका नाम था देवा
करती थी सच्चे मन से सदा मैया कि पूजा

दर्शन उसे देने को इक दिन आयी थी माई
तब से ये जगह बन गई भक्तो देवामायी
रस्ता बताऊँ सबको तेरा वैष्णो रानी
हो जाये कोई भूल क्षमा करना भवानी

माता कि जय-जयकार होती कटरा धाम पे
होती यहाँ सुबह है जय माता के नाम से
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

गिनता नहीं जो राह में कितनी लगी ठोकर
जाता है माँ के द्वार से वो झोलियाँ भरकर
तुम यात्रा से पूर्व यहाँ पर्ची कटाना
जयकारा माँ का बोल के फिर यात्रा करना

पर्ची जो कटाई है इसे ध्यान से रखना
ऊपर भी जांच होगी इसे खो नहीं देना
बच्चे है छोटे, वृद्ध या ना जा सके चलकर
उनके लिए मिलते है यहाँ भाड़े पे खच्चर

खच्चर पे भी न बैठ सके जिसकी अवस्था
उनके लिए यहाँ है पालकी कि व्यवस्था
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

कटरा से थोड़ी दूर है मशहूर ये मंदिर
कहते है सारे इसको यहाँ भूमिका मंदिर
माता के परम भक्त जिनका नाम था श्रीधर
करते थे माँ का ध्यान सुबह-शाम जो अक्सर

रहता था उनके मुख में सदा मैया का वर्णन
कन्या का रूप धार दिए माता ने दर्शन
कहने लगी कर भक्त भंडारे का आयोजन
आस-पास जाके दे आ सबको निमंत्रण

देने निमंत्रण भोज का वो सबको चल पड़े
रस्ते में भैरव संग कुछ साधू उन्हें मिले
बोले श्रीधर, ‘हे! बाबा कल मेरे घर आना
भंडारा माँ का कर रहा हूँ भूल ना जाना’

ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

अगले दिन प्रातः काल से श्रीधरजी के घर पर
आकर इकठ्ठा होने लगी भीड़ भवन पर
भैरो नाथ आये, गौरख नाथ जी आये
दोनों के संग उनके कई शिष्य भी आये

भोजन मिलेगा आज सभी जन थे प्रसन्नचित्त
किन्तु बिना कन्या के हुए श्रीधर चिन्तित
इतने में लिए हाथ कमंडल माँ पधारी
वो दिव्य कन्या लग रही थी सबको ही प्यारी

देने लगी कमंडल से सबको वो भोजन
ये देखकर के श्रीधरजी का प्रसन्न हो गया था मन
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

आयी वो देने भोजन जब भैरव के पास
वो कहने लगा चाहिए मदिरा व मुझे मांस
बोली वो कन्या, “योगी जी ब्राह्मण के द्वार से
जो कुछ भी आपको मिला स्वीकारो प्यार से”

कन्या को पकड़ने लगा वो विनती न माना
कन्या भी हो गई तुरंत तब अन्तर्ध्याना
देखा उसे भैरव ने अपने विद्या-योग से
वो पवन-रूप धार चली त्रिकूट ओर है

इस दिव्य कन्या को चला तब भैरव पकड़ने
वो मूढ़-मति उसका पीछा लगा करने
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

ये भूमि का मंदिर वही तो स्थान है
भोजन खिलाया सबको कन्या रूप मात ने
यहाँ से डेढ़ मील जब आगे जाओगे
तो रास्ते में दर्शनी दरवाज़ा पाओगे

माँ के भवन का मिलता यहाँ पहला नज़ारा
सब भक्त लगते है यहाँ आके जयकारा
माता का भैरव नाथ ने जब पीछा किया था
उस वक्त माँ के साथ-साथ वीरलंगूर था

जिस जगह के प्यास ने लंगूर को सताया
माता ने पथरो में यहाँ तीर चलाया
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

लगते ही बाण निकली जो जल कि धरा
वो धरा यही है जिसे कहते’ बाण गंगा
माता ने इसमें केश धोके उनको संवारा
इस कारण इसका नाम दूजा है ‘बाल गंगा

आगे जो चलोगे रोम-रोम खिलेगा
बाण गंगा से जो पार करे पुल वो मिलेगा
पुल के करीब ही है एक माता का मंदिर
करते है कई भक्त यहाँ स्नान भी रूककर

होता है यहाँ से ही शुरू सीढ़ी का रास्ता
इसकी बगल से जा रहा इक कच्चा भी रास्ता
माँ अम्बे नाम लेके पौढ़ी-पौढ़ी चढ़ो जी
शर्माओ न सब मिलके जय माता की कहो जी

ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

माता कि धुन में खोके के जो चलता चला गया
बिन मांगे माँ के द्वारे से मिलता चला गया
होगा ये चमत्कार भी मैया के नाम से
जैसे चढ़ाये पौड़ी माँ बाँहों को थाम के

आता है वो स्थान जहाँ माँ के श्रीचरण
इक शिला पर बने है छू लो ये श्रीचरण
माता ने पीछे मुड़कर इस स्थान से देखा
इस कारन इसको कहते है ‘चरण-पादुका’

भैरो है कितनी दूर ये अंदाज़ा लगाया
फिर इसके बाद माँ ने कदम आगे बढ़ाया
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

है आदि-भवानी माँ शक्ति चमत्कारी
जिसने ये चरण छू लिए तकदीर संवारी
मस्तक झुकालो प्रेम से भक्तो चले आओ
जो कुछ भी चाहते हो माँ के द्वार से पाओ

आएगा भवन जिसकी बड़ी शान है न्यारी
इस स्थान को कहते है सभी ‘आधकुंवारी’
‘गर्भजून’ जिसका नाम है वो गुफा यही है
भवानी माँ इस गुफा में नौ माह रहीं है

जैसे ही भैरो नाथ गुफा द्वार पर आया
तब सामने उसने लंगूर वीर को पाया
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

करने लगा लंगूर युद्ध भैरव नाथ से
पर्वत भी जिसको देख लगे भय से कांपने
लंगूर ने लाख रोका भैरव बाज़ न आया
तब माँ ने तंग आके त्रिशूल चलाया

जाकर के शीश उसका गिरा दूर घाटी में
और धढ़ उसका आन गिरा माँ के चरण में
तब भैरो यह कहने लगा के “हे !महामाया
हाथों से तेरे अंत हुआ चण्ड का माया”

“होते कपूत पूत पर न माता कुमाता
करदे मुझे क्षमा हे! जगदीश्वरी माता”
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

तूने क्षमा किया न तो मैं पापी रहूंगा
और आदिकाल सबकी ही निंदा सहूंगा
उसके वचन से माता का दिल-ही पिघल गया
करुणा वाली के मुख से वचन ये निकल गया

करती हूँ क्षमा आज तेरे पाप मैं भारी
देती हूँ वचन तू बनगे मोक्ष अधिकारी
आते समय जब लोग मेरी पूजा करेंगे
मेरी पूजा के बाद तेरी पूजा करेंगे

तूने मुझे माता कहा है जग भी कहेगा
बच्चो के जैसा सबसे मेरा नाता रहेगा
दर्शन के मेरे बाद जो न तुझको पूजेगा
उसको मेरे दर्शन का कभी फल ना मिलेगा

ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

पर्वत है एक और दूजी और है खाई
चढ़ना ज़रा संभल हाथी मथे की चढ़ाई
परेशान न होना तू देख पाँव के छाले
कष्टों से ही खुलते है नसीबो के भी ताले

चढ़कर के जो हाथीमत्थे से जब पार आओगे
तुम भक्तो खुद को सांझी-छत पे पाओगे
भक्तो है शुरू होती उतराई यहाँ से
जिव्हा करेगी माँ की जयकार यहाँ से

आता है इसके बाद वोह द्वार आनेका हमे
मीलो चले आये है सब जिसकी चाह में
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

कुछ खालो-पीलो थोड़ा सुस्तालो कुछ घड़ी
दर्शन की आने वाली है पवन वो शुभ घड़ी
दर्शन से पहले करलो स्नान यहाँ पर
रुक जाती जैसे सांस शीतल जल पड़े तन पर

स्नान जिनमे किया वे सब वस्त्र त्याग दे
कोरे जो वस्त्र पास में है वोह तन पे धारले
अबतक नहीं गए है वो ध्यान दे इस पर
मिलता है यहाँ दर्शन का आपको नंबर

भक्तो के लिए कमरे बने यहाँ आरक्षित
सामान जमा होता जहाँ सबका सुरक्षित
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

कुछ ऐसा नज़ारा है थकते नहीं नयन
लगता है स्वर्ग जैसा अम्बे तेरा भवन
मिलती है भवन पे सारी पूजा की सामग्री
लहरा रही है हर तरफ लाल ही चुनरी

मैया की चुनरी है प्रेम से तुम सिर पे बाँध लो
और नारियल बहार ही अपना जमा करो
मंदिर के बाहर भक्तो की लगती लम्बी क़तार है
बारी कब आएगी सबको ये इंतज़ार है

संकरा है भवन द्वार बढ़ो आधा लेटकर
ये द्वार ही है भैरो का शीश कटा धढ़
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

पिंडी दरश से पहले भी एक स्थान पर
पंजे बने है शेर के एक शिला पर
आता है अब वो दृश्य मैं कैसे करू वर्णन
होता है पिंडी रूप में महामाई का दर्शन

आदर से माथा टेकना तुम माँ के चरण पर
खुलने में नसीबा नहीं लगता है प भर
पूजसामग्री लाये हो वो सारी चढ़ा दो
जिस-जिस का चढ़ावा है उसे आदर से चढ़ा दो

बैठी है काली माता सरस्वती साथ में
जलती है माँ की ज्योति बिना तेल बाती के
माँ करती क्षमा छोटी-बड़ी सारी भूल भी
इक और धरा देखोगे माँ का त्रिशूल भी

ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

अब माँ की आज्ञा को है हमने निभाना
दर्शन के लिए भैरो के मंदिर भी है जाना
मिलते है पुष्प मिलती धूपः बाती है यहाँ
काला धागा भी मिलता है भैरो नाम का यहाँ

घाटी में दूर जाके बना भैरव का मंदिर
मंदिर में पड़ा है भैरव का कटा हुआ सिर
श्रद्धा दे धुप बाती भैरव पे चढ़ाना
आदर से हाथ जोड़ के तुम सिर को झुकाना

माता के पुण्य धाम की यह यात्रा सारी
पूरी करे भवानी मैया कामना तेरी।
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे


ले अम्बे नाम चल रे लिरिक्स पढ़े – Le Ambe Naam Chal Re Part 2

पावन है सबसे ऊँचा है साँचा है ये दरबार
कलयुग में भी होते है जहाँ रोज़ चमत्कार
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

अब बात सुनो त्रेता युग की एक पुरानी
इतिहास है आंबे माँ की सच्ची कहानी
माँ ने कहा है दानव जब सिर उठाएंगे
तब-तब मेरे हाथो से वो मुँह की खाएंगे

ये उस समाये की बात है, जब रावण कुम्भकरण
उपद्रव मचा रहे थे ताड़का और खरदूषण
तब भगवती की शक्तियां एकत्र हो गयी
फिर जिनके योग से इक शक्ति प्रकट हुई

माँ भगवती की शक्तियों से शक्ति जो आयी
उसे देख के प्रसन्न हुई वैष्णो माई
बोली वो शक्ति मात बता क्यों है बुलाया
वो काज बता जिसके लिए मुझको जन्माया

ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

बोली ये भवानी अब अपना काज तुम सुनो
तुम धर्म का प्रचार और रक्षा तुम्ही करो
देवी ने विष्णु-अंश से तब जन्म ले लिया
राजा सागर ने नाम उसका रखा ‘त्रिकुटा’

इस कन्या ने तब वैष्णव धर्म शुरू किया
हर और जाके धर्म का प्रचार खुद किया
थोड़े-ही समय बाद यह प्रसिद्ध हो गयी
अपार सिद्धियों से वो सम्पन हो गयी

आते थे भक्त दूर से दर्शन के वास्ते
संकट से बचने के ये बताती थी रास्ते
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

एक दिन वोह लेके आज्ञा अपने पिता से
करने लगी तपस्या सागर के तट पे
एक दिन उसे भवानी दर्शन दे बोली
तू राम नाम रटले अब सुनले वैष्णवी

तब देवी तप करने लगी राम नाम का
बस मुख में सुबह-शाम उसके राम नाम था
सीता हरण के बाद संग वानर सेना के
आये पड़ाव डालने राम सागर के तट पे

देवी ने कहा साधना जप-तप मेरा है राम
करती हूँ प्रभु आपको मैं शत-शत प्रणाम
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

कहने लगी पति है मैंने आपको चुना
इस कारण कर रही हूँ प्रभु मैं ये तपस्या
बोले ये राम बात सुनो मेरी हे देवी
इस जन्म में पहले ही है सीता मेरी पत्नी

किन्तु तुम्हारे तप का फल तुम को मिल सके
आऊंगा बदल भेष मैं पास तुम्हारे
देवी अगर जो तुम मुझे पहचान जाओगी
इस जन्म में तुम मेरी पत्नी कहाओगी

तब राम चल पड़े देवी को बोलके ऐसा
और राम-नाम जपने लगी देवी त्रिकुटा
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

लंका को जीत राम दिए एक उदाहरण
लौटे तो रूप किये एक साधु का धारण
सन्मुख गए त्रिकुटा देवी के वो घडी आयी
पर देवी इस भेष में पहचान ना पायी

कहने लगी हे महात्मा! आप कैसे पधारे
किस कारण आये है जोगन के द्वारे
तब राम जी ने असली रूप अपना दिखाया
सब भाग्य की करनी है इसे किसने मिटाया

कहने लगे तब राम सुनो देवी! वैष्णवी
कलयुग में बनोगी तुम्ही पत्नी हमारी
यह कथा हमे देती इस बात की शिक्षा
लेता है समय आके ऐसी सबकी परीक्षा

ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

आऊँगा कल्कि रूप में पृथ्वी पे दूबारा
तब नाम जुड़ेगा मेरे ही साथ तुम्हारा
हर और डंका बजता तेरे नाम का होगा
कलयुग में तेरा नाम माता वैष्णो होगा

तब से ही देवी माता यहाँ तप में लीन है
सारा ही ब्राह्मण जो उनके अधीन है
करती है अपनी लीला अक्सर वो निराली
गौरी, कभी दुर्गा, कभी मनसा, कभी काली

नैना है, चिंतपूर्णी, बृजेश्वरी माता
ज्वाला है, चामुंडा है, शाखाम्भारी माता
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

दुर्गा के जाप में जो कोई ध्यान लगा ले
माँ खोल देती उसके मुकदर के ही ताले
अब तुमको सुनते है कथा मात ज्वाला की
मंदिर का जिसके दृश्य है सबसे निराला जी

जलती है नौ रूपों में मेरी मैया की ज्योति
लौ ज्योति की मगर कभी भी काम नहीं होती
ये बात पुरानी है यहाँ एक था राजा
रहती थी जिसके राज में सुखी सभी प्रजा

एक रोज़ इक ग्वाले ने आके उसको बताया
पर्वत पे ज्योति जलती है फिर उसको सुनाया
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

तब रात को देवी ने चमत्कार दिखाया
सोया जब राजा उसके स्वप्न में आया
कहने लगी हे राजन यहाँ मेरी जिव्हा गिरी
इस कारण जलती है यहाँ दिव्या ज्योति

स्थान यही है मेरा तू मुझको जगा दे
मंदिर तू मेरे नाम का छोटा-सा बना दे
तब राजा ने ज्वाला का मंदिर था बनाया
की पूजा-अर्चना छत्र माँ पे चढ़ाया

वनवास में अपने पांडव यहाँ पे आये
पूजा उन्होंने माँ को, अर्जुन चवर डुलाये
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

मशहूर हो गया तभी से ज्वालाजी का नाम
भक्तो के आप बनने लगे सारे बिगड़े काम
ध्यानु ने ज्वाला माँ पे अपना शीश चढ़ाया
माता ने प्रकट होके तुरंत उसको जिलाया

बोली ये अम्बे माता कोई वर तू मांग ले
बोले ये ध्यानु कर गया तू हे मेरी माते
हर आदमी का मोह जीवन से हट नहीं सकता
हर कोई तुझे शीश भेंट कर नहीं सकता

जो नारियल चढ़ाये माँ उसकी भी प्रार्थना
मैं विनती ये करता हूँ मैंया प्यार से सुनना
बोली ये देवी जो मुझे नारियल चढ़ाएगा
वो भक्त अपनी पूजा का फल पायेगा

ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

मंदिर की पहली ज्योत जो है, महाबली है ये
भक्तो को अपने कष्टों से मुक्ति दिलती ये
दूजी जो ज्योत है वो माता महामाया
विख्यात इसका नाम है वो अन्नपूर्णा

तीजी जो ज्योत माँ की है वो चंडी है माता
सब शत्रुओं का नाश इसके नाम से होता
चौथी जो ज्योत है वो हिंगलाज भवानी
हर बाधा टाल देती है माँ भाग्य की रानी

पांचवी जो ज्योत है वो विंध्यवासिनी माँ है
पापो से मुक्त करती मुक्तदायिनी माँ है
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

छठी जो ज्योत है वो महालक्ष्मी की है
यह मैया धन-धान्य सुख वैभव देती है
सातवीं जो ज्योत है वो विद्यादायिनी सरस्वती
ये मूढ़ को भी पल में विद्वान् है करती

यह झूठ नहीं सच है विश्वास तुम करो
ना मानते तो कालिदास याद तुम करो
पत्नी से निंदा पाके की शारदा पूजा
था मूढ़मति लेकिन विद्वान् वो हुआ

आठवीं जो ज्योत है वो माता अम्बिका की है
अंतिम जो ज्योत है वो माता अंजनी की है
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

जहाँ सती के अंग गिरे शिव भी वहाँ है
शिव भी वही रहते उसकी शक्ति जहाँ है
जिस रूप में भी शिव ने अवतार लिया है
इतिहास साक्षी है माँ ने साथ दिया है

महाकाल अवतार में महाकाली माँ बनी
तारकेश्वर अवतार में वो तारा माँ बनी
भुवनेश्वर अवतार में भुवनेश्वरी बनी
षोडश बने जो शिव माता षोडशी बनी

भैरव बने जो शिव माता बनी भैरवी
छिन्मस्तिक अवतार में छिन्मस्तिका बनी
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

इस युग में भवानी के नौ मुख्य है दरबार
जाते है भक्त जिनमे हर दिन ही बार-बार
नैना देवी ,चिंतपूर्णी है, ज्वालामुखी है
बृजेश्वरी, वैष्णो मैया, चामुंडा देवी है

मनसा देवी, शाकम्बरी और कलिका देवी
भक्तो की अपने कामना को पूर्ण कर देती
नवरात्रों में लगता है यहाँ भक्तो का मेला
जय रोहिणी, जय सुभद्रा, तेरी जय हो माँ कैला

तू शक्ति का अवतार है महिमा तेरी न्यारी
मशहूर है जग में तेरी शेरो की सवारी
जो पूजा तेरी करके कंजको को बिठाता
वो भक्त जीवन सागर से है पार हो जाता

ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

सती के शव के टुकड़े विष्णु ने थे जब किये
जिन स्थानों पे वो शक्ति पीठ बन गए
कलकत्ते तेरे केश गिरे कलिका बनी
आसाम गिरा मुख तेरा कुमख्या बनी

जहाँ शीश गिरा तेरा शाखाम्बरी बनी
जिस पर्वत तेरे नयन गिरे नैना माँ बनी
जहाँ चरण गिरे तेरे चिंतपूर्णी बनी
ज्वाला जी जिव्हा गिरी ज्वाला माँ बनी

त्रिकूट पे तेरे बाजू गिरे वैष्णो माँ बनी
जहाँ हाथ गिरे तेरे हिंगलाज तू बनी
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

अकबर ने सोने का तुझे था छत्र चढ़ाया
तूने माँ अहंकार का अहंकार मिटाया
करती है अपने भक्तों के माँ पुरे तू सपने
समझे किसी को गैर नहीं सब तेरे अपने

तू अपने भक्तो की सदा ही लाज बचती
धन्ना का पत्थर तू पानी में तिराती
करते रहे सदा हम माँ वंदन तेरा
सताक्षी रूप से होता माँ पूजन तेरा

जिसने जो माँ से माँगा मेरी माँ ने है दिया
भक्तो को माँ के दर से सदा प्यार है मिला
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

बंधनो से मुक्त करती भवमोचिनी माता
भव्या है तू ,अनंता है, कात्यायिनी माता
है अष्टभुजी माता मेरी रूप निराला
केशो में अँधेरा माँ की पलकों उजाला

धरती पे अन्याय ने जब उठके पुकरा
मैया ने रक्तबीज से दानव को है मारा
महिषासुर, शुम्भ-निशुम्भ ने ज़ुल्म जो ढाया
माँ आगे बढ़ी पल में इन्हे मार गिराया

मेरी लाटावाली, ज्योता वाली, शेरा वाली माँ
मेरी करुणा वाली, मेहराँ वाली, मंदिरावाली माँ
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

जिस घर में माँ की ज्योत जली है संवर गया
उपवास व्रत जो माँ का करे समझो तर गया
हर लेती सबके मन की हर-इक पीड़ा भवानी
करती है भिखारी को राजा क्षण में कल्याणी

आये है पहली बार मैया तेरे द्वार पे
बलिहारी है भवानी माँ हम तेरे प्यार पे
नैनो में बस गयी है तेरी प्यारी सी सूरत
और दिल में रम गयी है तेरी मोहिनी मूरत

धन-धान्य से यह तेरा घरभार भरेगी
पैसो की माँ धन-लक्ष्मी बौछार करेंगी
मैया तेरे दरबार में मन सबका खो गया
आया जो वैष्णो धाम भवानी का हो गया

ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

हो माता अम्बे आपका आवाहन न जाने
पूजा विधि हम आपकी नादान न जाने
पापी है पाप करते है करते नहीं है जाप
हमने सुना है पाप की हर्ता है मैया आप

इक आप हो भलाई में जीवन लगा दिया
इक हम है बस बुराई में सब कुछ गवा दिया
पूजा हमारी जैसी है स्वीकार कीजिए
सब दूर बुरे यह मन के ये विचार कीजिये

भूले हमारी भूल जाना जग की पालनहार
आये शरण तिहारी मैया अब लगा दो पार
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे

संगीत

जिसने हमे भवानी माँ का मार्ग दिखाया
आभारी है जिसने भी कथा सार सुनाया
उन वेदो-पुराणों को करते है हम नमन
जिनसे मिली है हमको वैष्णो यात्रा की उमंग

कोशिश हमारी यह है भरे आप में लगन
नौ देवियों का दर्शन करे आप भी श्रीमन
पूजा-विधि की रस्मो से हम अनजान है
अज्ञानी है हम आप सब तो बुद्धिमान है

करते है यही विनती सबसे हाथ जोड़कर
कुछ छूट गया हो तो देना माफ़ हमे कर
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे
ले अम्बे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे


विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर इन भजनों को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भजनों को रोमन में–

Read Le Ambe Naam Chal Re Part 1

pāvana hai sabase ū~cā hai sā~cā hai ye darabāra
kalayuga meṃ bhī hote hai jahā~ roja़ camatkāra
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

sundara se mā~ ke dhāma kī mahimā kamāla hai
maṃdira yaha devī mā~ kā sabase viśāla hai
parvata trikūṭa ke śīśa pe mātā kā siṃhāsana
jayakāre mā~ ke bola ke calatī yahā~ pavana

ambara ke bādala dete hai mātā ko salāmī
paharā de hanumāna aura bhairava karate nigarānī
darśana kī sabake bhāga meṃ ghaḍa़iyā~ nahīṃ ātī
darśana unheṃ milatā jinhe mā~ bhejatī bātī

dvāre pe mā~ ke lagatī lambī katāra hai
darśana kaba hogā sabako iṃtaja़āra hai
jīvana hai jisakā nāma vo hai kaccā sā dhāgā
jo mā~ ke dvāre jā na sake vaha hai abhāgā

le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

sūraja kī pahalī kiraṇa hotī hai jo siṃdhurī
kahatī hai patā mā~ ko hai majabūriyā~ terī
kyā soca rahā tū ki ye paisā hai jarūrī
paise ne banā rākhī hai mā~-beṭe meṃ dūrī

isa pāpa ki gaṭharī ko pare rakha ke tū ājā
ājā tū khulā hai bhavānī mā~ kā daravāja़ā
mīla aṭhṭhārāha ye jammū se dūra hai
darśana jo mā~ kā pahalā jaga meṃ maśahūra hai

kanyāoṃ ke saṃga mātā yahā~ khūba thī khelī
isa sthāna ko kahate hai bhaktoṃ kaulī-kaṃdaulī
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

yahā~ se cāra mīla jaba āge jāoge
darśana jo mā~ kā dūjā hai usako pāoge
durgā ki eka bhakta jisakā nāma thā devā
karatī thī sacce mana se sadā maiyā ki pūjā

darśana use dene ko ika dina āyī thī māī
taba se ye jagaha bana gaī bhakto devāmāyī
rastā batāū~ sabako terā vaiṣṇo rānī
ho jāye koī bhūla kṣamā karanā bhavānī

mātā ki jaya-jayakāra hotī kaṭarā dhāma pe
hotī yahā~ subaha hai jaya mātā ke nāma se
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

ginatā nahīṃ jo rāha meṃ kitanī lagī ṭhokara
jātā hai mā~ ke dvāra se vo jholiyā~ bharakara
tuma yātrā se pūrva yahā~ parcī kaṭānā
jayakārā mā~ kā bola ke phira yātrā karanā

parcī jo kaṭāī hai ise dhyāna se rakhanā
ūpara bhī jāṃca hogī ise kho nahīṃ denā
bacce hai choṭe, vṛddha yā nā jā sake calakara
unake lie milate hai yahā~ bhāḍa़e pe khaccara

khaccara pe bhī na baiṭha sake jisakī avasthā
unake lie yahā~ hai pālakī ki vyavasthā
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

kaṭarā se thoḍa़ī dūra hai maśahūra ye maṃdira
kahate hai sāre isako yahā~ bhūmikā maṃdira
mātā ke parama bhakta jinakā nāma thā śrīdhara
karate the mā~ kā dhyāna subaha-śāma jo aksara

rahatā thā unake mukha meṃ sadā maiyā kā varṇana
kanyā kā rūpa dhāra die mātā ne darśana
kahane lagī kara bhakta bhaṃḍāre kā āyojana
āsa-pāsa jāke de ā sabako nimaṃtraṇa

dene nimaṃtraṇa bhoja kā vo sabako cala paḍa़e
raste meṃ bhairava saṃga kucha sādhū unheṃ mile
bole śrīdhara, ‘he! bābā kala mere ghara ānā
bhaṃḍārā mā~ kā kara rahā hū~ bhūla nā jānā’

le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

agale dina prātaḥ kāla se śrīdharajī ke ghara para
ākara ikaṭhṭhā hone lagī bhīḍa़ bhavana para
bhairo nātha āye, gaurakha nātha jī āye
donoṃ ke saṃga unake kaī śiṣya bhī āye

bhojana milegā āja sabhī jana the prasannacitta
kintu binā kanyā ke hue śrīdhara cintita
itane meṃ lie hātha kamaṃḍala mā~ padhārī
vo divya kanyā laga rahī thī sabako hī pyārī

dene lagī kamaṃḍala se sabako vo bhojana
ye dekhakara ke śrīdharajī kā prasanna ho gayā thā mana
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

āyī vo dene bhojana jaba bhairava ke pāsa
vo kahane lagā cāhie madirā va mujhe māṃsa
bolī vo kanyā, “yogī jī brāhmaṇa ke dvāra se
jo kucha bhī āpako milā svīkāro pyāra se”

kanyā ko pakaḍa़ne lagā vo vinatī na mānā
kanyā bhī ho gaī turaṃta taba antardhyānā
dekhā use bhairava ne apane vidyā-yoga se
vo pavana-rūpa dhāra calī trikūṭa ora hai

isa divya kanyā ko calā taba bhairava pakaḍa़ne
vo mūḍha़-mati usakā pīchā lagā karane
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

ye bhūmi kā maṃdira vahī to sthāna hai
bhojana khilāyā sabako kanyā rūpa māta ne
yahā~ se ḍeḍha़ mīla jaba āge jāoge
to rāste meṃ darśanī daravāja़ā pāoge

mā~ ke bhavana kā milatā yahā~ pahalā naja़ārā
saba bhakta lagate hai yahā~ āke jayakārā
mātā kā bhairava nātha ne jaba pīchā kiyā thā
usa vakta mā~ ke sātha-sātha vīralaṃgūra thā

jisa jagaha ke pyāsa ne laṃgūra ko satāyā
mātā ne patharo meṃ yahā~ tīra calāyā
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

lagate hī bāṇa nikalī jo jala ki dharā
vo dharā yahī hai jise kahate’ bāṇa gaṃgā’
mātā ne isameṃ keśa dhoke unako saṃvārā
isa kāraṇa isakā nāma dūjā hai ‘bāla gaṃgā’

āge jo caloge roma-roma khilegā
bāṇa gaṃgā se jo pāra kare pula vo milegā
pula ke karība hī hai eka mātā kā maṃdira
karate hai kaī bhakta yahā~ snāna bhī rūkakara

hotā hai yahā~ se hī śurū sīḍha़ī kā rāstā
isakī bagala se jā rahā ika kaccā bhī rāstā
mā~ ambe nāma leke pauḍha़ī-pauḍha़ī caḍha़o jī
śarmāo na saba milake jaya mātā kī kaho jī

le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

mātā ki dhuna meṃ khoke ke jo calatā calā gayā
bina māṃge mā~ ke dvāre se milatā calā gayā
hogā ye camatkāra bhī maiyā ke nāma se
jaise caḍha़āye pauḍa़ī mā~ bā~hoṃ ko thāma ke

ātā hai vo sthāna jahā~ mā~ ke śrīcaraṇa
ika śilā para bane hai chū lo ye śrīcaraṇa
mātā ne pīche muḍa़kara isa sthāna se dekhā
isa kārana isako kahate hai ‘caraṇa-pādukā’

bhairo hai kitanī dūra ye aṃdāja़ā lagāyā
phira isake bāda mā~ ne kadama āge baḍha़āyā
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

hai ādi-bhavānī mā~ śakti camatkārī
jisane ye caraṇa chū lie takadīra saṃvārī
mastaka jhukālo prema se bhakto cale āo
jo kucha bhī cāhate ho mā~ ke dvāra se pāo

āegā bhavana jisakī baḍa़ī śāna hai nyārī
isa sthāna ko kahate hai sabhī ‘ādhakuṃvārī’
‘garbhajūna’ jisakā nāma hai vo guphā yahī hai
bhavānī mā~ isa guphā meṃ nau māha rahīṃ hai

jaise hī bhairo nātha guphā dvāra para āyā
taba sāmane usane laṃgūra vīra ko pāyā
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

karane lagā laṃgūra yuddha bhairava nātha se
parvata bhī jisako dekha lage bhaya se kāṃpane
laṃgūra ne lākha rokā bhairava bāja़ na āyā
taba mā~ ne taṃga āke triśūla calāyā

jākara ke śīśa usakā girā dūra ghāṭī meṃ
aura dhaḍha़ usakā āna girā mā~ ke caraṇa meṃ
taba bhairo yaha kahane lagā ke “he !mahāmāyā
hāthoṃ se tere aṃta huā caṇḍa kā māyā”

“hote kapūta pūta para na mātā kumātā
karade mujhe kṣamā he! jagadīśvarī mātā”
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

tūne kṣamā kiyā na to maiṃ pāpī rahūṃgā
aura ādikāla sabakī hī niṃdā sahūṃgā
usake vacana se mātā kā dila-hī pighala gayā
karuṇā vālī ke mukha se vacana ye nikala gayā

karatī hū~ kṣamā āja tere pāpa maiṃ bhārī
detī hū~ vacana tū banage mokṣa adhikārī
āte samaya jaba loga merī pūjā kareṃge
merī pūjā ke bāda terī pūjā kareṃge

tūne mujhe mātā kahā hai jaga bhī kahegā
bacco ke jaisā sabase merā nātā rahegā
darśana ke mere bāda jo na tujhako pūjegā
usako mere darśana kā kabhī phala nā milegā

le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

parvata hai eka aura dūjī aura hai khāī
caḍha़nā ja़rā saṃbhala hāthī mathe kī caḍha़āī
pareśāna na honā tū dekha pā~va ke chāle
kaṣṭoṃ se hī khulate hai nasībo ke bhī tāle

caḍha़kara ke jo hāthīmatthe se jaba pāra āoge
tuma bhakto khuda ko sāṃjhī-chata pe pāoge
bhakto hai śurū hotī utarāī yahā~ se
jivhā karegī mā~ kī jayakāra yahā~ se

ātā hai isake bāda voha dvāra ānekā hame
mīlo cale āye hai saba jisakī cāha meṃ
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

kucha khālo-pīlo thoḍa़ā sustālo kucha ghaḍa़ī
darśana kī āne vālī hai pavana vo śubha ghaḍa़ī
darśana se pahale karalo snāna yahā~ para
ruka jātī jaise sāṃsa śītala jala paḍa़e tana para

snāna jiname kiyā ve saba vastra tyāga de
kore jo vastra pāsa meṃ hai voha tana pe dhārale
abataka nahīṃ gae hai vo dhyāna de isa para
milatā hai yahā~ darśana kā āpako naṃbara

bhakto ke lie kamare bane yahā~ ārakṣita
sāmāna jamā hotā jahā~ sabakā surakṣita
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

kucha aisā naja़ārā hai thakate nahīṃ nayana
lagatā hai svarga jaisā ambe terā bhavana
milatī hai bhavana pe sārī pūjā kī sāmagrī
laharā rahī hai hara tarapha lāla hī cunarī

maiyā kī cunarī hai prema se tuma sira pe bā~dha lo
aura nāriyala bahāra hī apanā jamā karo
maṃdira ke bāhara bhakto kī lagatī lambī ka़tāra hai
bārī kaba āegī sabako ye iṃtaja़āra hai

saṃkarā hai bhavana dvāra baḍha़o ādhā leṭakara
ye dvāra hī hai bhairo kā śīśa kaṭā dhaḍha़
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

piṃḍī daraśa se pahale bhī eka sthāna para
paṃje bane hai śera ke eka śilā para
ātā hai aba vo dṛśya maiṃ kaise karū varṇana
hotā hai piṃḍī rūpa meṃ mahāmāī kā darśana

ādara se māthā ṭekanā tuma mā~ ke caraṇa para
khulane meṃ nasībā nahīṃ lagatā hai pa bhara
pūjasāmagrī lāye ho vo sārī caḍha़ā do
jisa-jisa kā caḍha़āvā hai use ādara se caḍha़ā do

baiṭhī hai kālī mātā sarasvatī sātha meṃ
jalatī hai mā~ kī jyoti binā tela bātī ke
mā~ karatī kṣamā choṭī-baḍa़ī sārī bhūla bhī
ika aura dharā dekhoge mā~ kā triśūla bhī

le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

aba mā~ kī ājñā ko hai hamane nibhānā
darśana ke lie bhairo ke maṃdira bhī hai jānā
milate hai puṣpa milatī dhūpaḥ bātī hai yahā~
kālā dhāgā bhī milatā hai bhairo nāma kā yahā~

ghāṭī meṃ dūra jāke banā bhairava kā maṃdira
maṃdira meṃ paḍa़ā hai bhairava kā kaṭā huā sira
śraddhā de dhupa bātī bhairava pe caḍha़ānā
ādara se hātha joḍa़ ke tuma sira ko jhukānā

mātā ke puṇya dhāma kī yaha yātrā sārī
pūrī kare bhavānī maiyā kāmanā terī।
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re


Read Le Ambe Naam Chal Re Part 2

pāvana hai sabase ū~cā hai sā~cā hai ye darabāra
kalayuga meṃ bhī hote hai jahā~ roja़ camatkāra
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

aba bāta suno tretā yuga kī eka purānī
itihāsa hai āṃbe mā~ kī saccī kahānī
mā~ ne kahā hai dānava jaba sira uṭhāeṃge
taba-taba mere hātho se vo mu~ha kī khāeṃge

ye usa samāye kī bāta hai, jaba rāvaṇa kumbhakaraṇa
upadrava macā rahe the tāḍa़kā aura kharadūṣaṇa
taba bhagavatī kī śaktiyāṃ ekatra ho gayī
phira jinake yoga se ika śakti prakaṭa huī

mā~ bhagavatī kī śaktiyoṃ se śakti jo āyī
use dekha ke prasanna huī vaiṣṇo māī
bolī vo śakti māta batā kyoṃ hai bulāyā
vo kāja batā jisake lie mujhako janmāyā

le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

bolī ye bhavānī aba apanā kāja tuma suno
tuma dharma kā pracāra aura rakṣā tumhī karo
devī ne viṣṇu-aṃśa se taba janma le liyā
rājā sāgara ne nāma usakā rakhā ‘trikuṭā’

isa kanyā ne taba vaiṣṇava dharma śurū kiyā
hara aura jāke dharma kā pracāra khuda kiyā
thoḍa़e-hī samaya bāda yaha prasiddha ho gayī
apāra siddhiyoṃ se vo sampana ho gayī

āte the bhakta dūra se darśana ke vāste
saṃkaṭa se bacane ke ye batātī thī rāste
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

eka dina voha leke ājñā apane pitā se
karane lagī tapasyā sāgara ke taṭa pe
eka dina use bhavānī darśana de bolī
tū rāma nāma raṭale aba sunale vaiṣṇavī

taba devī tapa karane lagī rāma nāma kā
basa mukha meṃ subaha-śāma usake rāma nāma thā
sītā haraṇa ke bāda saṃga vānara senā ke
āye paḍa़āva ḍālane rāma sāgara ke taṭa pe

devī ne kahā sādhanā japa-tapa merā hai rāma
karatī hū~ prabhu āpako maiṃ śata-śata praṇāma
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

kahane lagī pati hai maiṃne āpako cunā
isa kāraṇa kara rahī hū~ prabhu maiṃ ye tapasyā
bole ye rāma bāta suno merī he devī
isa janma meṃ pahale hī hai sītā merī patnī

kintu tumhāre tapa kā phala tuma ko mila sake
āūṃgā badala bheṣa maiṃ pāsa tumhāre
devī agara jo tuma mujhe pahacāna jāogī
isa janma meṃ tuma merī patnī kahāogī

taba rāma cala paḍa़e devī ko bolake aisā
aura rāma-nāma japane lagī devī trikuṭā
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

laṃkā ko jīta rāma die eka udāharaṇa
lauṭe to rūpa kiye eka sādhu kā dhāraṇa
sanmukha gae trikuṭā devī ke vo ghaḍī āyī
para devī isa bheṣa meṃ pahacāna nā pāyī

kahane lagī he mahātmā! āpa kaise padhāre
kisa kāraṇa āye hai jogana ke dvāre
taba rāma jī ne asalī rūpa apanā dikhāyā
saba bhāgya kī karanī hai ise kisane miṭāyā

kahane lage taba rāma suno devī! vaiṣṇavī
kalayuga meṃ banogī tumhī patnī hamārī
yaha kathā hame detī isa bāta kī śikṣā
letā hai samaya āke aisī sabakī parīkṣā

le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

āū~gā kalki rūpa meṃ pṛthvī pe dūbārā
taba nāma juḍa़egā mere hī sātha tumhārā
hara aura ḍaṃkā bajatā tere nāma kā hogā
kalayuga meṃ terā nāma mātā vaiṣṇo hogā

taba se hī devī mātā yahā~ tapa meṃ līna hai
sārā hī brāhmaṇa jo unake adhīna hai
karatī hai apanī līlā aksara vo nirālī
gaurī, kabhī durgā, kabhī manasā, kabhī kālī

nainā hai, ciṃtapūrṇī, bṛjeśvarī mātā
jvālā hai, cāmuṃḍā hai, śākhāmbhārī mātā
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

durgā ke jāpa meṃ jo koī dhyāna lagā le
mā~ khola detī usake mukadara ke hī tāle
aba tumako sunate hai kathā māta jvālā kī
maṃdira kā jisake dṛśya hai sabase nirālā jī

jalatī hai nau rūpoṃ meṃ merī maiyā kī jyoti
lau jyoti kī magara kabhī bhī kāma nahīṃ hotī
ye bāta purānī hai yahā~ eka thā rājā
rahatī thī jisake rāja meṃ sukhī sabhī prajā

eka roja़ ika gvāle ne āke usako batāyā
parvata pe jyoti jalatī hai phira usako sunāyā
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

taba rāta ko devī ne camatkāra dikhāyā
soyā jaba rājā usake svapna meṃ āyā
kahane lagī he rājana yahā~ merī jivhā girī
isa kāraṇa jalatī hai yahā~ divyā jyoti

sthāna yahī hai merā tū mujhako jagā de
maṃdira tū mere nāma kā choṭā-sā banā de
taba rājā ne jvālā kā maṃdira thā banāyā
kī pūjā-arcanā chatra mā~ pe caḍha़āyā

vanavāsa meṃ apane pāṃḍava yahā~ pe āye
pūjā unhoṃne mā~ ko, arjuna cavara ḍulāye
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

maśahūra ho gayā tabhī se jvālājī kā nāma
bhakto ke āpa banane lage sāre bigaḍa़e kāma
dhyānu ne jvālā mā~ pe apanā śīśa caḍha़āyā
mātā ne prakaṭa hoke turaṃta usako jilāyā

bolī ye ambe mātā koī vara tū māṃga le
bole ye dhyānu kara gayā tū he merī māte
hara ādamī kā moha jīvana se haṭa nahīṃ sakatā
hara koī tujhe śīśa bheṃṭa kara nahīṃ sakatā

jo nāriyala caḍha़āye mā~ usakī bhī prārthanā
maiṃ vinatī ye karatā hū~ maiṃyā pyāra se sunanā
bolī ye devī jo mujhe nāriyala caḍha़āegā
vo bhakta apanī pūjā kā phala pāyegā

le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

maṃdira kī pahalī jyota jo hai, mahābalī hai ye
bhakto ko apane kaṣṭoṃ se mukti dilatī ye
dūjī jo jyota hai vo mātā mahāmāyā
vikhyāta isakā nāma hai vo annapūrṇā

tījī jo jyota mā~ kī hai vo caṃḍī hai mātā
saba śatruoṃ kā nāśa isake nāma se hotā
cauthī jo jyota hai vo hiṃgalāja bhavānī
hara bādhā ṭāla detī hai mā~ bhāgya kī rānī

pāṃcavī jo jyota hai vo viṃdhyavāsinī mā~ hai
pāpo se mukta karatī muktadāyinī mā~ hai
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

chaṭhī jo jyota hai vo mahālakṣmī kī hai
yaha maiyā dhana-dhānya sukha vaibhava detī hai
sātavīṃ jo jyota hai vo vidyādāyinī sarasvatī
ye mūḍha़ ko bhī pala meṃ vidvān hai karatī

yaha jhūṭha nahīṃ saca hai viśvāsa tuma karo
nā mānate to kālidāsa yāda tuma karo
patnī se niṃdā pāke kī śāradā pūjā
thā mūḍha़mati lekina vidvān vo huā

āṭhavīṃ jo jyota hai vo mātā ambikā kī hai
aṃtima jo jyota hai vo mātā aṃjanī kī hai
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

jahā~ satī ke aṃga gire śiva bhī vahā~ hai
śiva bhī vahī rahate usakī śakti jahā~ hai
jisa rūpa meṃ bhī śiva ne avatāra liyā hai
itihāsa sākṣī hai mā~ ne sātha diyā hai

mahākāla avatāra meṃ mahākālī mā~ banī
tārakeśvara avatāra meṃ vo tārā mā~ banī
bhuvaneśvara avatāra meṃ bhuvaneśvarī banī
ṣoḍaśa bane jo śiva mātā ṣoḍaśī banī

bhairava bane jo śiva mātā banī bhairavī
chinmastika avatāra meṃ chinmastikā banī
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

isa yuga meṃ bhavānī ke nau mukhya hai darabāra
jāte hai bhakta jiname hara dina hī bāra-bāra
nainā devī ,ciṃtapūrṇī hai, jvālāmukhī hai
bṛjeśvarī, vaiṣṇo maiyā, cāmuṃḍā devī hai

manasā devī, śākambarī aura kalikā devī
bhakto kī apane kāmanā ko pūrṇa kara detī
navarātroṃ meṃ lagatā hai yahā~ bhakto kā melā
jaya rohiṇī, jaya subhadrā, terī jaya ho mā~ kailā

tū śakti kā avatāra hai mahimā terī nyārī
maśahūra hai jaga meṃ terī śero kī savārī
jo pūjā terī karake kaṃjako ko biṭhātā
vo bhakta jīvana sāgara se hai pāra ho jātā

le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

satī ke śava ke ṭukaḍa़e viṣṇu ne the jaba kiye
jina sthānoṃ pe vo śakti pīṭha bana gae
kalakatte tere keśa gire kalikā banī
āsāma girā mukha terā kumakhyā banī

jahā~ śīśa girā terā śākhāmbarī banī
jisa parvata tere nayana gire nainā mā~ banī
jahā~ caraṇa gire tere ciṃtapūrṇī banī
jvālā jī jivhā girī jvālā mā~ banī

trikūṭa pe tere bājū gire vaiṣṇo mā~ banī
jahā~ hātha gire tere hiṃgalāja tū banī
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

akabara ne sone kā tujhe thā chatra caḍha़āyā
tūne mā~ ahaṃkāra kā ahaṃkāra miṭāyā
karatī hai apane bhaktoṃ ke mā~ pure tū sapane
samajhe kisī ko gaira nahīṃ saba tere apane

tū apane bhakto kī sadā hī lāja bacatī
dhannā kā patthara tū pānī meṃ tirātī
karate rahe sadā hama mā~ vaṃdana terā
satākṣī rūpa se hotā mā~ pūjana terā

jisane jo mā~ se mā~gā merī mā~ ne hai diyā
bhakto ko mā~ ke dara se sadā pyāra hai milā
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

baṃdhano se mukta karatī bhavamocinī mātā
bhavyā hai tū ,anaṃtā hai, kātyāyinī mātā
hai aṣṭabhujī mātā merī rūpa nirālā
keśo meṃ a~dherā mā~ kī palakoṃ ujālā

dharatī pe anyāya ne jaba uṭhake pukarā
maiyā ne raktabīja se dānava ko hai mārā
mahiṣāsura, śumbha-niśumbha ne ja़ulma jo ḍhāyā
mā~ āge baḍha़ī pala meṃ inhe māra girāyā

merī lāṭāvālī, jyotā vālī, śerā vālī mā~
merī karuṇā vālī, meharā~ vālī, maṃdirāvālī mā~
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

jisa ghara meṃ mā~ kī jyota jalī hai saṃvara gayā
upavāsa vrata jo mā~ kā kare samajho tara gayā
hara letī sabake mana kī hara-ika pīḍa़ā bhavānī
karatī hai bhikhārī ko rājā kṣaṇa meṃ kalyāṇī

āye hai pahalī bāra maiyā tere dvāra pe
balihārī hai bhavānī mā~ hama tere pyāra pe
naino meṃ basa gayī hai terī pyārī sī sūrata
aura dila meṃ rama gayī hai terī mohinī mūrata

dhana-dhānya se yaha terā gharabhāra bharegī
paiso kī mā~ dhana-lakṣmī bauchāra kareṃgī
maiyā tere darabāra meṃ mana sabakā kho gayā
āyā jo vaiṣṇo dhāma bhavānī kā ho gayā

le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

ho mātā ambe āpakā āvāhana na jāne
pūjā vidhi hama āpakī nādāna na jāne
pāpī hai pāpa karate hai karate nahīṃ hai jāpa
hamane sunā hai pāpa kī hartā hai maiyā āpa

ika āpa ho bhalāī meṃ jīvana lagā diyā
ika hama hai basa burāī meṃ saba kucha gavā diyā
pūjā hamārī jaisī hai svīkāra kījie
saba dūra bure yaha mana ke ye vicāra kījiye

bhūle hamārī bhūla jānā jaga kī pālanahāra
āye śaraṇa tihārī maiyā aba lagā do pāra
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

saṃgīta

jisane hame bhavānī mā~ kā mārga dikhāyā
ābhārī hai jisane bhī kathā sāra sunāyā
una vedo-purāṇoṃ ko karate hai hama namana
jinase milī hai hamako vaiṣṇo yātrā kī umaṃga

kośiśa hamārī yaha hai bhare āpa meṃ lagana
nau deviyoṃ kā darśana kare āpa bhī śrīmana
pūjā-vidhi kī rasmo se hama anajāna hai
ajñānī hai hama āpa saba to buddhimāna hai

karate hai yahī vinatī sabase hātha joḍa़kara
kucha chūṭa gayā ho to denā māpha़ hame kara
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re
le ambe nāma cala re, cala vaiṣṇo dhāma cala re

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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