धर्म

अमरनाथ मंदिर – Shri Amarnath Cave Temple

अमरनाथ मंदिर हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। उत्तर भारत में स्थित इस स्थान पर भक्तों की अटूट आस्था है। इस जगह की अपनी अलग ही ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। ऐसी मान्यता है कि यह वही जगह है जहाँ पर भगवान शंकर ने देवी पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी। दूर-दूर से श्रद्धालुगण बाबा की गुफा (Shri Amarnath Cave Temple) के दर्शन करने आते हैं। कहते हैं की इसके दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

यहाँ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस जगह पर हर वर्ष बर्फ द्वारा स्वतः एक बेहद अद्भुत और सुन्दर शिवलिंग निर्मित होता है। यही वजह है कि इन्हें हिमानी शिवलिंग, स्वयंभू, बर्फानी वाले बाबा आदि नामों से भी जाना जाता है। परन्तु इस यात्रा को करना बेहद ही कठिन है और बड़ी मिन्नतों और कठिनाइयों का सामना करने के बाद ही शिव का सच्चा भक्त अमरनाथ में उनके दर्शन कर पाता है। इसलिए इसे तीर्थों का तीर्थ भी कहा जाता है। 

अमरनाथ मंदिर (Amarnath Dham Mandir) के ऐतिहासिक महत्त्व और चमत्कारों की भी अनेक किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं। अलग-अलग लोगों द्वारा यहाँ के बारे में अलग-अलग कथायें कही जाती हैं। बर्फ से अपने आप शिवलिंग का बनना भी अपने आप में एक चमत्कारिक अनुभव है। आइये जानते हैं आज इस तीर्थ स्थल के बारे में प्रचलित किंवदंतियां, ऐतिहासिक महत्त्व, और अन्य आवश्यक जानकारियों के साथ-साथ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में।

अमरनाथ मंदिर का महत्व (Significance of Amarnath Mandir)

बर्फ की चादर से ढके होने की वजह से बारह महीने यह अमरनाथ धाम भक्तों के लिए खुला रहना संभव नहीं है। इसीलिए मंदिर के पट केवल सावन के महीने में ही भक्तों के लिए खुले रहते हैं, जब बर्फानी बाबा अपने भक्तों को अपने अद्भुत एवं चमत्कारी स्वरूप के दर्शन देते हैं। यह पवित्र अमरनाथ यात्रा साल भर में 45 दिन ही होती है जो आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन तक जारी रहती है। बर्फ से बने हुए शिवलिंग को देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग इस दौरान यहाँ आते हैं और भोले भंडारी के दर्शन पाकर अपने आप को बेहद सौभाग्यशाली मानते हैं। 

कुछ लोगों के अनुसार हिन्दुओं का यह पवित्र मंदिर 18 महाशक्तिपीठों में से एक माना जाता है। धार्मिक महत्व के साथ-साथ इस स्थान का वातावरण और प्राकृतिक महत्व भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जाता है। यह मंदिर न केवल अपने अद्भुत दृश्यों और प्राकृतिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि अपनी कठिन यात्रा के लिए भी लोगों के बीच सुर्खियाँ बटोरे रहता है। यह हिंदुओं के सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक माना जाता है। परन्तु मन में आस्था और भोलेनाथ पर विश्वास के साथ सारी मुश्किल आसान होती चली जाती हैं। 

अमरनाथ मंदिर की भौगोलिक स्थिति (Geographical Location of Amarnath Temple)

अमरनाथ मंदिर, भगवान भोले शंकर का पवित्र धाम दक्षिण कश्मीर हिमालय में पहलगाम से लगभग 29 किलोमीटर दूर स्थित है। बर्फीले पहाड़ों से घिरे हिमालय की गोदी में विराजमान यह शिवधाम शिव भक्तों के लिए एक अद्भुत तीर्थ है। यह पावन हिन्दू तीर्थस्थल लगभग 3888 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। श्रीनगर से 135 किलोमीटर दूर स्थित इस गुफा की लम्बाई 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर, और ऊँचाई 11 मीटर है, तो वहीं इसकी समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 13,600 फीट है। 

ऐतिहासिक महत्त्व (Historical Significance)

इस पवित्र तीर्थ के निर्माण के पीछे एक ऐतिहासिक और दिलचस्प कहानी प्रचलित है। पुराणों की अनुसार यहाँ पर भगवान भोले शंकर ने देवी पार्वती को ब्रह्मांड के निर्माण और अमरत्व की कहानी सुनाई थी। कहते हैं कि एक बार माता पार्वती जी ने शिवजी से पूछा की स्वामी आप मुंड माल क्यों पहनते हैं और ये आपने कब से पहनना शुरू किया? तब शिवजी ने कहा कि हे प्रिये जब भी आप पैदा होती हैं तो मैं अपने मनके में एक सर जोड़ता जाता हूँ। इस पर हैरानीवश माता ने प्रभु से पूछा की ऐसा क्यों है कि मैं बार-बार मरती हूँ परन्तु आप अमर हैं। कृपया करके मुझे इसका कारण बताइये। तब शंकर जी ने उत्तर दिया कि हे प्रिये! इसके लिए आपको अमर कथा सुननी होगी।

परन्तु इस अमर रहस्य को सुनाने के लिए शिवजी को एक ऐसे एकांत स्थान की तलाश थी जहाँ कोई भी जीव उसे सुन न सके और उनकी यह तलाश अमरनाथ गुफा में ख़तम हुई। इसी प्रयोजन से उन्होंने अपने वाहन नंदी को पहलगाम में छोड़ दिया, चंदनवाड़ी में अपने केशों को चन्द्र देव से मुक्त कर दिया। शेषनाग झील के पास सभी सर्पों को छोड़ दिया, पुत्र गणेश को महागुन पर्वत पर छोड़कर एवं पंजतरणी में शिवजी ने पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश) को पीछे छोड़ दिया, जो जीवन को जन्म देते हैं एवं स्वयं माता पार्वती के साथ पवित्र अमरनाथ गुफा में प्रवेश किया।

गुफा में भोलेनाथ हिरण की खाल पर समाधि लगाकर बैठ गए। यह सुनिश्चित करने के लिए की कोई भी जीवित प्राणी कहानी नहीं सुन सके, शिवजी ने रुद्र रूप की रचना की, जिसका नाम उन्होंने कालाग्नि रखा। शिव ने रूद्र से गुफा में आग लगाने के लिए कहा ताकि जीवित प्राणी के हर निशान को ख़तम किया जा सके। उसके बाद उन्होंने माता पार्वती को अमरत्व की कहानी सुनानी शुरू की। अनजाने में हिरण की खाल के नीचे पड़ा एक अंडा सुरक्षित हो गया था और मान्यता अनुसार उस अंडे से पैदा हुए कबूतरों की जोड़ी शिव जी से अमर कथा सुनकर अमर हो गई। आज भी अमरनाथ की यात्रा करने वाले लोग इन कबूतरों के दिव्य दर्शन करके आश्चर्यचकित और भाव विभोर होते हैं। 

प्राचीन महाकाव्य एक और कहानी बताते हैं, जो इस प्रकार है: कश्मीर की घाटी जलमग्न थी। वह एक बड़ी झील थी। कश्यप ऋषि ने कई नदियों और नालों के माध्यम से यहाँ का पानी बाहर निकाला। उन दिनों भृगु ऋषि उस रास्ते से हिमालय की यात्रा पर आए थे। वह इस पवित्र गुफा के दर्शन करने वाले पहले व्यक्ति थे। जब लोगों ने शिवलिंग के बारे में सुना, तो उनके लिए अमरनाथ शिव का निवास और तीर्थ स्थल बन गया। तब से लाखों भक्त कठिन रास्ते को पार करते हुए इस तीर्थ यात्रा को करके शाश्वत सुख की प्राप्ति करते हैं। 

पवित्र गुफा का मुख्य आकर्षण (Main Attraction of the Holy Cave)

इस पवित्र गुफा का मुख्य आकर्षण प्राकृतिक रूप से बर्फ से बना हुआ शिवलिंग है। शिवलिंग के प्राकृतिक रूप से निर्मित होने की वजह से इन्हें स्वयंभू भी कहा जाता है। इस बर्फ के शिवलिंग की उँचाई लगभग 10 फ़ीट होती है। शिवलिंग का आकार चन्द्रमा के आकार की तरह बदलता है जो पूरे सावन के महीने बदलता रहता है। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इनकी ऊँचाई सबसे अधिक होती है तो वहीं श्रावण अमावस्या से इनकी ऊँचाई कम होना शुरू होती है। साथ ही कुछ दूरी पर बर्फ से निर्मित माता पार्वती, गणेश जी, और भैरव बाबा की मूर्तियाँ भी हैं। 

गुफा की पुनः खोज (Rediscovery of the Cave)

वैसे तो पुराणों में पवित्र गुफा के अस्तित्व का उल्लेख किया गया है, लेकिन इसकी पुनः खोज के बारे में लोगों द्वारा सुनाई जाने वाली लोकप्रिय कहानी एक चरवाहे बूटा मलिक की है। कहानी इस प्रकार है: एक संत ने बूटा मलिक को कोयले से भरा थैला दिया। अपने घर पहुँचने पर जब उसने वह बैग या थैला खोला, तो बैग में कोयले की जगह सोने के सिक्के देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया। वह खुशी से झूम उठा और संत को धन्यवाद देने के लिए दौड़ा। लेकिन संत गायब हो गए थे। संत के बदले उन्होंने वहाँ पवित्र गुफा और बर्फ के शिवलिंग को पाया। उन्होंने ग्रामीणों को इस खोज के बारे में बताया। इसके बाद यह पवित्र तीर्थ स्थल बन गया।

अमरनाथ मंदिर का ट्रैक (Amarnath Yatra Trek)

अमरनाथ मंदिर श्रीनगर से 145 किलोमीटर पूर्व में कश्मीर घाटी पर स्थित है और ट्रैक श्रावण के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन शुरू होता है। ट्रैक का पहला पड़ाव पामपुर है जो श्रीनगर से दक्षिण पूर्व दिशा में नौ मील दूर है। अगला पड़ाव बृजबिहार, अवंतीपुर, और मार्तंड में है जो भगवान सूर्य को समर्पित अपने महान प्राचीन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। रास्ते में आने वाले अन्य पड़ाव ऐशमुकम और पहलगाम हैं। दशमी के दिन पहलगाम पहुँचा जाता है जो लिद्दर और शेषनाग नदियों का संगम स्थल है। अगला पड़ाव चंदनवाड़ी और पिस्सू घाटी है। माना जाता है कि पिस्सू घाटी वह स्थान है जहाँ देवताओं ने राक्षसों का वध किया था। आगे बढ़ते हुए 12000 फीट की ऊँचाई पर शेषनाग झील है, जहाँ से शेषनाग नदी बहती है। उसके बाद 14000 फीट की उँचाई पर महागुण पास है, जो नीचे पंचतरणी की ओर जाता है। और अंत में पूर्णिमा के दिन अमरनाथ गुफा पहुँचा जाता है।

अमरनाथ धाम कैसे पहुँचे (How to Reach Amarnath Mandir)

अमरनाथ यात्रा के लिए सड़क, रेल, या हवाई मार्ग से पहुँचा जा सकता है। 

सड़क मार्ग से अमरनाथ कैसे पहुँचे (How to Reach Amarnath by Road)

सड़क मार्ग से अमरनाथ की यात्रा करने के लिए आपको इन पड़ावों को पार करके गंतव्य तक पहुँचना होगा–जम्मू, श्रीनगर, पहलगाम, बलटाल, और फिर अमरनाथ। 

रेल मार्ग से अमरनाथ कैसे पहुँचे (How to Reach Amarnath by Rail)

रेल मार्ग द्वारा अमरनाथ पहुँचने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन उधमपुर है। उधमपुर रेलवे स्टेशन पहलगाम से लगभग 217 किलोमीटर की दूरी पर है। परन्तु आप जम्मू रेलवे स्टेशन से भी अमरनाथ की यात्रा तय कर सकते हैं। क्योंकि यह स्टेशन देश के सभी बड़े राज्यों से जुड़ा है और सभी राज्य से यहाँ तक के लिए रेल आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। 

हवाई मार्ग से अमरनाथ कैसे पहुँचे (How to Reach Amarnath by Airways)

हवाई मार्ग से अमरनाथ पहुँचने के लिए आपको नज़दीकी एयरपोर्ट श्रीनगर पहुँचना होगा। श्रीनगर एयरपोर्ट पहलगाम से केवल 90 किलोमीटर दूर है। तो वहीं दूसरा विकल्प जम्मू एयरपोर्ट भी है जो पहलगाम से 263 किलोमीटर की दूरी पर है। आजकल आप बालटाल से भी हवाई मार्ग से अमरनाथ की चढ़ाई को कम समय में तय कर सकते हैं। 

यात्रा पर जाने से पहले जान लें ये बातें (Know These Things Before Going on Amarnath Yatra)

अगर आप अमरनाथ की यात्रा प्लान कर रहे हैं तो आपको पहले से कुछ तैयारियाँ करनी होगी। आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा, जो निम्नलिखित हैं:

  • यात्रा के लिए आपको पहले से ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) करना होगा जिसमें आपको अपने बारे में जानकारी देनी होगी जैसे नाम, लिंग, पता, राज्य, मोबाइल नंबर, इत्यादि। इस आवेदन को भरकर आप डाउनलोड करके अपने पास रख लें और ये सुनिश्चित करें कि आप इसको अपने साथ यात्रा में अवश्य ले जायें। यह ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किसी भी बैंक से किया जा सकता है। 
  • यात्रा की पैकिंग करते वक़्त अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पेपर सोप, टॉयलेट पेपर, और नैपकिन रखें। 
  • दो जोड़ी जूतें एवं बहुत सारे मोज़े साथ में रखें। 
  • वहाँ पहाड़ों पर ऑक्सीजन की कमी होना और एनर्जी लेवल कम होना आम बात है, इसीलिए अपनी एनर्जी को मेन्टेन करने के लिए अपने साथ पनीर के टुकड़े, सूखे मेवे, और ढेर सारी चॉकलेट अवश्य रखें। 
  • अमरनाथ यात्रा से पहले रोज़ सुबह 4-5 किलोमीटर की सैर पर जाना लाभदायक होगा। 
  • यात्रा के दौरान थकान से बचाव के लिए कुछ दिनों पहले से ही सरसों के तेल की मालिश करने के बाद हल्के गर्म पानी से स्नान करें। 
  • अमरनाथ यात्रा के लिए अपने साथ क्रोसिन, पैन रिलीफ, एंटी बायोटिक टेबलेट के साथ अन्य ज़रूरी दवाइयाँ, और फर्स्ट ऐड अवश्य रखें। 
  • अपने सामान में बहुत सारे गर्म कपड़े रखना ना भूलें। 
  • आपको अमरनाथ यात्रा में बलटाल और नुनवान के कैंप से प्री एक्टिवेटेड सिम कार्ड भी खरीदने होंगे। 
  • यात्रा पर जाने के कुछ दिन पहले से ही अपनी फिटनेस पर अच्छी तरह से ध्यान दें और व्यायाम आदि करें। 
  • याद रखें की 13 से कम और 75 से अधिक आयु के व्यक्ति को इस यात्रा को करने की अनुमति नहीं होती है।  

अमरनाथ मंदिर के दर्शन का उचित समय (Best Time to Visit Amarnath)

भक्तों के दर्शन के लिए बाबा अमरनाथ मंदिर का रास्ता और पट सावन में जून/जुलाई के महीने से अगस्त तक खुले रहते हैं। बर्फानी बाबा के अप्रतिम दर्शन पाने के इच्छुक लोग साल भर इस समय का इंतज़ार करते हैं। आप भी इन महीनों में इस अविश्वसनीय तीर्थयात्रा को करके और बर्फ के शिवलिंग के साथ-साथ माता पार्वती और गणेश जी के भी दर्शन करके कृतघ्न हो सकते हैं। 
तो दोस्तो आशा है कि इस लेख को पढ़कर आपको अमरनाथ धाम से सम्बंधित संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। शिव के हर भक्त और प्रकृति के प्रेमी को एक बार इस धाम की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। बोलो भगवान भोले शंकर की जय!

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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