श्री साईं अमृतवाणी – Sai Baba Amritwani
पढ़ें “श्री साईं अमृतवाणी”
दिव्य तेज का मालिक साईं
सकल विश्व का पालक साईं
सूर्योदय सी छवि निराली
सांचा आनंद देने वाली
धर्मदीप धर्मात्मा साईं
परमपुरुष परमात्मा साईं
सत्य साईं से सद्गुण लीजो
विनय भाव से वंदन कीजो
दास भक्ति जिन्होंने है मांगी
भव से तर गए वो अपराधी
सर्वशक्तिमान है साईं
योगी दयानिधान है साईं
साईं है सबके संकट हरता
साईं ही घर घर मंगल करता
साईं का सुमिरन है वो धारा
भय से देता जो छुटकारा
साईं के द्वारे जो भी आते
सकल मनोरथ सिद्धि हो जाते
मंगलमूर्ति विघ्नविनाशक
शरणागत बलहीन के रक्षक
सी सुधा है मंगलदाई
साईं से प्रीति महा सुखदाई
साईं आश्रय देते सबको
साईं रूप में देखो रब को
साईं के द्वारे मांगो मनौती
आये निकट ना कभी पनौती
वैद्यों की जब हारे दवाई
जादू करती साईं की दुआएं
साईं तेरे भंडार भरेंगे
करुणा कर कृतार्थ करेंगे
जो भी अलक जगा जायेगा
सुख समृद्धि पा जायेगा
नम्रता बिन त्याग भावना
से हो पूरी मनोकामना
करुण प्रार्थना कीजो मन से
कोष भरेंगे सुख के धन से
शांति प्रेम सौहार्द मिलेगा
साईं सच्चा हमदर्द मिलेगा
कांटेदार चाहे हो पगडंडी
साईं सर्वदा तुमरे संगी
साईं के अद्भुत धाम पे
धुनी रमा दिन रात
किसी भी पथ पर तू कभी
खा नहीं सकता मात
पंचभूत की काया साईं
ब्रह्मज्ञान जगमाया साईं
महामानियों सी आभा वाला
दिव्य अलौकिक शोभा वाला
कमल के जैसा खिला मुखमंडल
साईं पुरषोत्तम सुख की मंजिल
आठों सिद्धियां शरण में जिसके
पदम निराला चरण में जिसके
साईं हरी है साईं नारायण
साईं की भक्ति एक रसायन
साईं है योगेश्वर बाबा
सिद्धिनाथ सिद्धेश्वर बाबा
साईं प्रेम का पावन चंदन
जहाँ भी महके टूटे बंधन
साईं गंगाजल सा निर्मल
जहाँ से लेते बल है दुर्बल
साईं भजन से आत्मा जागे
कष्ट मिटे हर संकट भागे
साईं चरण में झुकेगा मस्तक
खुशियाँ देती उस घर दस्तक
शुद्ध आत्मा शुद्ध विचार
साईं की महिमा अपरम्पार
जगत पिता जगदीश्वर साईं
ज्ञानकुंज ज्ञानेश्वर साईं
श्वास श्वास में साईं हैं जिनके
सिद्ध मनोरथ होते उनके
सी पे निर्भर होक देखो
साईं की धुन में खोकर देखो
भयनाशक आनंद मिलेगा
जीवन का रथ सहज चलेगा
हर एक बाधा टल जायेगी
रैन गमों की ढल जायेगी
मोक्षदायिनी साईं की पूजा
ऐसा दयालु और ना दूजा
जिस नैया का साईं खेवैया
उस पर आंच ना आये भैया
जिसका सारथी साईं जैसा
उस रथ को फिर खटका कैसा
संकट में न विचलित होना
दुःख संताप उसी में धोना
साईं के चरण सरोज की
मस्तक धर लो धुल
उनके अनुग्रह से बनता
हर एक काँटा फूल
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह भजन रोमन में–
Read Anuradha Paudwal Sai Amritwani
divya teja kā mālika sāīṃ
sakala viśva kā pālaka sāīṃ
sūryodaya sī chavi nirālī
sāṃcā ānaṃda dene vālī
dharmadīpa dharmātmā sāīṃ
paramapuruṣa paramātmā sāīṃ
satya sāīṃ se sadguṇa lījo
vinaya bhāva se vaṃdana kījo
dāsa bhakti jinhoṃne hai māṃgī
bhava se tara gae vo aparādhī
sarvaśaktimāna hai sāīṃ
yogī dayānidhāna hai sāīṃ
sāīṃ hai sabake saṃkaṭa haratā
sāīṃ hī ghara ghara maṃgala karatā
sāīṃ kā sumirana hai vo dhārā
bhaya se detā jo chuṭakārā
sāīṃ ke dvāre jo bhī āte
sakala manoratha siddhi ho jāte
maṃgalamūrti vighnavināśaka
śaraṇāgata balahīna ke rakṣaka
sī sudhā hai maṃgaladāī
sāīṃ se prīti mahā sukhadāī
sāīṃ āśraya dete sabako
sāīṃ rūpa meṃ dekho raba ko
sāīṃ ke dvāre māṃgo manautī
āye nikaṭa nā kabhī panautī
vaidyoṃ kī jaba hāre davāī
jādū karatī sāīṃ kī duāeṃ
sāīṃ tere bhaṃḍāra bhareṃge
karuṇā kara kṛtārtha kareṃge
jo bhī alaka jagā jāyegā
sukha samṛddhi pā jāyegā
namratā bina tyāga bhāvanā
se ho pūrī manokāmanā
karuṇa prārthanā kījo mana se
koṣa bhareṃge sukha ke dhana se
śāṃti prema sauhārda milegā
sāīṃ saccā hamadarda milegā
kāṃṭedāra cāhe ho pagaḍaṃḍī
sāīṃ sarvadā tumare saṃgī
sāīṃ ke adbhuta dhāma pe
dhunī ramā dina rāta
kisī bhī patha para tū kabhī
khā nahīṃ sakatā māta
paṃcabhūta kī kāyā sāīṃ
brahmajñāna jagamāyā sāīṃ
mahāmāniyoṃ sī ābhā vālā
divya alaukika śobhā vālā
kamala ke jaisā khilā mukhamaṃḍala
sāīṃ puraṣottama sukha kī maṃjila
āṭhoṃ siddhiyāṃ śaraṇa meṃ jisake
padama nirālā caraṇa meṃ jisake
sāīṃ harī hai sāīṃ nārāyaṇa
sāīṃ kī bhakti eka rasāyana
sāīṃ hai yogeśvara bābā
siddhinātha siddheśvara bābā
sāīṃ prema kā pāvana caṃdana
jahā~ bhī mahake ṭūṭe baṃdhana
sāīṃ gaṃgājala sā nirmala
jahā~ se lete bala hai durbala
sāīṃ bhajana se ātmā jāge
kaṣṭa miṭe hara saṃkaṭa bhāge
sāīṃ caraṇa meṃ jhukegā mastaka
khuśiyā~ detī usa ghara dastaka
śuddha ātmā śuddha vicāra
sāīṃ kī mahimā aparampāra
jagata pitā jagadīśvara sāīṃ
jñānakuṃja jñāneśvara sāīṃ
śvāsa śvāsa meṃ sāīṃ haiṃ jinake
siddha manoratha hote unake
sī pe nirbhara hoka dekho
sāīṃ kī dhuna meṃ khokara dekho
bhayanāśaka ānaṃda milegā
jīvana kā ratha sahaja calegā
hara eka bādhā ṭala jāyegī
raina gamoṃ kī ḍhala jāyegī
mokṣadāyinī sāīṃ kī pūjā
aisā dayālu aura nā dūjā
jisa naiyā kā sāīṃ khevaiyā
usa para āṃca nā āye bhaiyā
jisakā sārathī sāīṃ jaisā
usa ratha ko phira khaṭakā kaisā
saṃkaṭa meṃ na vicalita honā
duḥkha saṃtāpa usī meṃ dhonā
sāīṃ ke caraṇa saroja kī
mastaka dhara lo dhula
unake anugraha se banatā
hara eka kā~ṭā phūla
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