धर्म

मेरे राम की प्राण प्रतिष्ठा है – Mere Ram Ki Pran Pratishtha Hai

पढ़ें “मेरे राम की प्राण प्रतिष्ठा है” लिरिक्स

हर सनातनी के प्राण हैं जो
प्राणों की प्राण प्रतिष्ठा है
जन-जन की जिनमें निष्ठा है
अब उनकी प्राण प्रतिष्ठा है
मेरे राम की प्राण प्रतिष्ठा है
श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा है

कई सदियों के संघर्षों की
हठयोगों के उत्कर्षों की
न्यायालय के निष्कर्षों की
घर-घर में उठे विमर्शों की
अंतरमन के सब हर्षों की
और इंतज़ार के वर्षों की
हर शाम, हर सहर
हर घड़ी, हर पहर
पल-पल की प्राण प्रतिष्ठा है
जिनका सेवक वो महाबली
जो बुद्धि मताम वरिष्ठा है
जन जन की जिनमें निष्ठा है
श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा है
मेरे राम की प्राण प्रतिष्ठा है
मेरे राम की प्राण प्रतिष्ठा है

जो कौशलपुर के स्वामी हैं
जो सतपथ के अनुगामी हैं
मैया सीता के माथे पर
सिंदूर की जो लालामी हैं
माँ कौशल्या के राजकुँवर
अवधेश हैं अन्तर्यामी हैं
हैं अतीत हैं अनादि
वो वर्तमान आगामी हैं
ब्रहमा का भी जो सृष्टा है
सारे उद्भव का उदगामी
पालन में भी युगदृष्टा है
जन जन की जिनमे निष्ठा है
अब उनकी प्राण प्रतिष्ठा है
मेरे राम की प्राण प्रतिष्ठा है

हर सनातनी के प्राण हैं जो
प्राणों की प्राण प्रतिष्ठा है
जन-जन की जिनमें निष्ठा है
अब उनकी प्राण प्रतिष्ठा है
मेरे राम की प्राण प्रतिष्ठा है
श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा है

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम इस भजन को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस भजन को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें यह राम भजन रोमन में-

Read Mere Ram Ki Pran Pratishtha Hai Lyrics

hara sanātanī ke prāṇa haiṃ jo
prāṇoṃ kī prāṇa pratiṣṭhā hai
jana-jana kī jinameṃ niṣṭhā hai
aba unakī prāṇa pratiṣṭhā hai
mere rāma kī prāṇa pratiṣṭhā hai
śrī rāma kī prāṇa pratiṣṭhā hai

kaī sadiyoṃ ke saṃgharṣoṃ kī
haṭhayogoṃ ke utkarṣoṃ kī
nyāyālaya ke niṣkarṣoṃ kī
ghara-ghara meṃ uṭhe vimarśoṃ kī
aṃtaramana ke saba harṣoṃ kī
aura iṃtaja़āra ke varṣoṃ kī
hara śāma, hara sahara
hara ghaḍa़ī, hara pahara
pala-pala kī prāṇa pratiṣṭhā hai
jinakā sevaka vo mahābalī
jo buddhi matāma variṣṭhā hai
jana jana kī jinameṃ niṣṭhā hai
śrī rāma kī prāṇa pratiṣṭhā hai
mere rāma kī prāṇa pratiṣṭhā hai
mere rāma kī prāṇa pratiṣṭhā hai

jo kauśalapura ke svāmī haiṃ
jo satapatha ke anugāmī haiṃ
maiyā sītā ke māthe para
siṃdūra kī jo lālāmī haiṃ
mā~ kauśalyā ke rājaku~vara
avadheśa haiṃ antaryāmī haiṃ
haiṃ atīta haiṃ anādi
vo vartamāna āgāmī haiṃ
brahamā kā bhī jo sṛṣṭā hai
sāre udbhava kā udagāmī
pālana meṃ bhī yugadṛṣṭā hai
jana jana kī jiname niṣṭhā hai
aba unakī prāṇa pratiṣṭhā hai
mere rāma kī prāṇa pratiṣṭhā hai
mere rāma kī prāṇa pratiṣṭhā hai

hara sanātanī ke prāṇa haiṃ jo
prāṇoṃ kī prāṇa pratiṣṭhā hai
jana-jana kī jinameṃ niṣṭhā hai
aba unakī prāṇa pratiṣṭhā hai
mere rāma kī prāṇa pratiṣṭhā hai
śrī rāma kī prāṇa pratiṣṭhā hai

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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