दश महाविद्या – Das Mahavidya
दश महाविद्या (Dash Mahavidya) वस्तुतः आदि शक्ति के ही दस अलग-अलग स्वरूपों को कहते हैं। दश महाविद्या की साधना का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। आदि शक्ति का प्रत्येक रूप अपने आप में विशेष है और उनकी पूजा का भिन्न-भिन्न फल होता है।
10 महाविद्या (10 Mahavidya) की भक्तिपूर्वक की गयी साधना जीवन में सब कुछ देने में सक्षम है। इन महाविद्याओं की उपासना जैन और बौद्ध तंत्र में भी बेहद प्रचलित है। इसका कारण यह है कि दस महाविद्या (Das Mahavidya) की साधना सकाम और निष्काम दोनों ही रूपों में की जा सकती है।
काली माता दश महाविद्याओं में प्रथम हैं। वे भक्तों को अनन्त सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। पढ़ें मां काली की कथा, पूजा आदि समस्त जानकारियाँ।
तारा देवी दस महाविद्याओं में द्वितीय हैं। शत्रुनाश, वाक्-शक्ति व भोग-मोक्ष की प्राप्ति के लिये तारा अथवा उग्रतारा की साधना की जाती है।
छिन्नमस्ता देवी दस महाविद्याओं में तृतीय हैं। शत्रु-विजय, समूह-स्तंभन, राज्य व मोक्ष की प्राप्ति के लिये छिन्नमस्ता माता की उपासना अमोघ है।
षोडशी महाविद्या का दस महाविद्याओं में चौथा स्थान है। षोडशी देवी भोग और मोक्ष दोनों देने वाली हैं। श्री चक्र के रूप में इनकी उपासना होती है।
भुवनेश्वरी देवी दश महाविद्याओं में पंचम हैं। भुवनेश्वरी मां भक्तों को अभय और सभी सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। पढ़ें माँ से जुड़ी सभी जानकारियाँ।
त्रिपुरभैरवी देवी दश महविद्याओं में षष्ठ हैं। मां त्रिपुरभैरवी की साधना का मुख्य उपयोग घोर कर्म में होता है। पढ़ें समस्त जानकरियाँ हिंदी में।
धूमावती माता दश महाविद्याओं में सातवीं हैं। धूमावती माता की उपासना विपत्ति नाश, रोग-निवारण, युद्ध-जय, उच्चाटन तथा मारण आदि के लिये होती है।
बगलामुखी माता 10 महाविद्याओं में आठवीं हैं। बगलामुखी देवी की साधना शत्रु भय से मुक्ति और वाक्-सिद्धि देने वाली है। पढ़ें समस्त जानकारियाँ।
मातंगी देवी दश महाविद्याओं में नौवीं हैं। विशेषतः वाक्-सिद्धि के लिए माँ की उपासना की जाती है। पढ़ें मातंगी माता से जुड़ी समस्त जानकारियाँ।
कमला देवी दश महाविद्याओं में दसवीं हैं। ये सभी भौतिक सम्पत्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं। ऐसा कुछ नहीं, जो माँ की पूजा से प्राप्त न हो सके।
महाविद्या शब्द संस्कृत के दो शब्दों “महा” एवं “विद्या” से मिलकर बना है। इसमें महा का अर्थ महान, विराट, और विशाल होता है, वहीं विद्या शब्द का अर्थ ज्ञान है। शाक्त भक्तों की मानें तो “महाविद्या को दस रूपों में सम्मिलित एक सत्य की व्याख्या कह सकते हैं।” दस महाविद्याओं (Das Mahavidya in Hindi) से जगत जननी माँ जगदम्बा के दस किरदारों के व्यक्तित्वों का व्याख्यान होता है। इन दस महाविद्याओं की पूजा विशेषकर गुप्त नवरात्रि में की जाती है।
मानव जीवन उलझनों में भरा पुतला है। जन्म से लेकर मृत्यु तक वो किसी न किसी तरह की उलझनों में उलझा ही रहता है। धन सम्पदा, मान सम्मान, गृहस्थ, परिवार इत्यादि से जुड़ी हुई आकांक्षाएं हमेशा मनुष्य का पीछा करती रहती हैं। इन इच्छाओं को पूरा करने का एकमात्र रास्ता महाविद्यायें ही प्रशस्त करवा सकती हैं। प्रकृति के कण-कण में ये दस महाविद्या समाहित हैं। सारे ब्रह्मांड का मूल भी इन्ही महाविद्याओं में विराजमान है।
दस महाविद्या के प्राकट्य की कहानी
श्री देवी भागवत पुराण की कथा अनुसार, महाविद्याओं की उत्पत्ति का रहस्य इस प्रकार है: जब भगवान शिव और सती (पार्वती का पूर्व जन्म) का विवाह हुआ, तब सती के पिता दक्ष प्रजापति इस विवाह के सख्त खिलाफ थे। इसलिए शिव के अनादर के उद्देश्य से उन्होंने एक विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया, जिसमें उन्होंने शिवजी के अतिरिक्त अन्य सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया। सती भगवान शिव से यज्ञ में जाने का हठ करने लगीं, परन्तु शिव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। इस पर सती ने क्रोधवश एक भयंकर स्वरूप धारण कर लिया। सती का ऐसा रूप देखकर भगवान शंकर भागने लगे। जिस-जिस दिशा में शिव जाते थे, उन्हें रोकने के लिए माता का एक अतिरिक्त विग्रह प्रकट हो जाता था। इस प्रकार भगवान शंकर को रोकने के लिए माता सती ने दस रूप लिए जो 10 महाविद्या कहलाईं। आइये जानते हैं दस महाविद्या से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां।
दस महाविद्या हिंदी में – Das Mahavidya in Hindi
1. काली महाविद्या
वर्ण | काला |
केश | खुले हुए एवं अस्त-व्यस्त |
नेत्र | तीन |
हस्त | चार |
वस्त्र | नग्न अवस्था |
मुख के भाव | अत्यधिक क्रोधित व फुंफकार मारती हुई |
अस्त्र शस्त्र व् हाथों की मुद्रा | खड्ग, राक्षस की खोपड़ी, अभय मुद्रा, वर मुद्रा |
अन्य प्रमुख विशेषता | गले व कमर में राक्षसों की मुण्डमाल, जीभ अत्यधिक लंबी, एवं रक्त से भरी हुई |
2. तारा महाविद्या
वर्ण | नीला |
केश | खुले हुए एवं अस्त-व्यस्त |
नेत्र | तीन |
हस्त | चार |
वस्त्र | बाघ की खाल |
मुख के भाव | आश्चर्यचकित व खुला हुआ |
अस्त्र शस्त्र व् हाथों की मुद्रा | खड्ग, तलवार, कमल फूल व कैंची |
अन्य प्रमुख विशेषता | गले में सर्प व राक्षस नरमुंडों की माला |
3. त्रिपुर सुंदरी महाविद्या
वर्ण | सुनहरा |
केश | खुले हुए एवं व्यवस्थित |
नेत्र | तीन |
हस्त | चार |
वस्त्र | लाल रंग के |
मुख के भाव | शांत व तेज चमक के साथ |
अस्त्र शस्त्र व् हाथों की मुद्रा | पुष्प रुपी पांच बाण, धनुष, अंकुश व फंदा |
अन्य प्रमुख विशेषता | भगवान शिव की नाभि से निकले कमल के आसन पर विराजमान |
4. भुवनेश्वरी महाविद्या
वर्ण | उगते सूर्य के समान तेज व सुनहरा |
केश | खुले हुए एवं अस्त-व्यस्त |
नेत्र | तीन |
हस्त | चार |
वस्त्र | लाल व पीले रंग के |
मुख के भाव | शांत व अपने भक्तों को देखता हुआ |
अस्त्र शस्त्र व् हाथों की मुद्रा | अंकुश, फंदा, अभय व वर मुद्रा |
अन्य प्रमुख विशेषता | इनका तेज सर्वाधिक है जिसमें कई कार्यों की शक्ति निहित हैं |
5. भैरवी महाविद्या
वर्ण | काला |
केश | खुले हुए एवं अस्त-व्यस्त |
नेत्र | तीन |
हस्त | चार |
वस्त्र | लाल व सुनहरे |
मुख के भाव | खड्ग, तलवार, राक्षस की खोपड़ी व अभय मुद्रा |
अस्त्र शस्त्र व् हाथों की मुद्रा | क्रोधित |
अन्य प्रमुख विशेषता | राक्षसों की खोपड़ियों के आसन पर विराजमान हैं, जीभ लंबी, रक्तरंजित व बाहर निकली हुई हैं |
6. छिन्नमस्ता महाविद्या
वर्ण | गुड़हल के समान लाल |
केश | खुले हुए |
नेत्र | तीन |
हस्त | दो |
वस्त्र | नग्न, केवल आभूषण पहने हुए |
मुख के भाव | अपना ही रक्त पीते हुए |
अस्त्र शस्त्र व् हाथों की मुद्रा | खड्ग व अपना कटा हुआ सिर |
अन्य प्रमुख विशेषता | गले में नरमुंडों की माला पहने हुए हैं। धड़ में से तीन रक्त की धाराएँ निकल रही हैं, जिसमें से दो धाराएँ पास में खड़ी सेविकाएँ पी रही हैं। मैथुन करते हुए जोड़े के ऊपर खड़ी हैं। |
7. धूमावती महाविद्या
वर्ण | श्वेत |
केश | खुले, मैले व अस्त-व्यस्त |
नेत्र | दो |
हस्त | दो |
वस्त्र | श्वेत |
मुख के भाव | थकान, संशय, दुखी, व्याकुल, बेचैन |
अस्त्र शस्त्र व् हाथों की मुद्रा | टोकरी व अभय मुद्रा |
अन्य प्रमुख विशेषता | अत्यंत बूढ़ा एवं झुर्रियों वाला शरीर, घोड़े के रथ पर विराजमान जिसके शीर्ष पर कौवा बैठा है |
8. बगलामुखी महाविद्या
वर्ण | सुनहरा |
केश | खुले हुए एवं अस्त-व्यस्त |
नेत्र | तीन |
हस्त | दो |
वस्त्र | पीले |
मुख के भाव | डराने वाले |
अस्त्र शस्त्र व् हाथों की मुद्रा | बेलन के आकार का शस्त्र व राक्षस की जिव्हा |
अन्य प्रमुख विशेषता | गले व कमर में राक्षसों की मुण्डमाल, जीभ अत्यधिक लंबी, एवं रक्त से भरी हुई। |
9. मातंगी महाविद्या
वर्ण | गहरा हरा |
केश | खुले हुए व व्यवस्थित |
नेत्र | तीन |
हस्त | चार |
वस्त्र | लाल |
मुख के भाव | आनंदमयी एवं शांत |
अस्त्र शस्त्र व् हाथों की मुद्रा | अंकुश, फंदा, तलवार, एवं अभय मुद्रा |
अन्य प्रमुख विशेषता | इनके हाथों में देवी सरस्वती के सामान वीणा रखी हुई है, इसलिए इन्हे तांत्रिक सरस्वती भी कहते हैं |
10. कमला महाविद्या
वर्ण | तेज एवं सुनहरा |
केश | खुले हुए एवं व्यवस्थित |
नेत्र | तीन |
हस्त | चार |
वस्त्र | लाल |
मुख के भाव | आनंदमयी, सुखकारी एवं शांत |
अस्त्र शस्त्र व् हाथों की मुद्रा | दो कमल पुष्प, अभय एवं वरदान मुद्रा |
अन्य प्रमुख विशेषता | कमल पुष्प से भरे हुए सरोवर में, आसपास चार हाथी जल से अभिषेक करते हुए |
दस महाविद्या के पूजा के फायदे
1. काली महाविद्या
- जातक समय का महत्व समझ पाता है।
- अभय की प्राप्ति होती है।
- मन से बुरी प्रवृत्तियां बाहर निकलती हैं।
- स्वयं में परिवर्तन आता है।
- दुष्टों एवं शत्रुओं का नाश होता है।
2. तारा महाविद्या
- मोक्ष प्राप्ति होती है।
- आर्थिक क्षेत्र में उन्नति मिलती है।
- संकट दूर होते हैं।
- मातृत्व भाव जागृत होते हैं।
3. त्रिपुर सुंदरी महाविद्या
- आत्मिक शांति की अनुभूति होती है।
- मन नियंत्रण में रहता है।
- जीवनसाथी की तलाश पूरी होती है।
- वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
- सुन्दर रूप की प्राप्ति होती है।
4. भुवनेश्वरी महाविद्या
- कार्य करने की शक्ति प्राप्त होती है।
- शरीर में ऊर्जा की अनुभूति होती है।
- आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
- संतान प्राप्ति की कामना की पूर्ति होती है।
5. भैरवी महाविद्या
- शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
- प्रेम एवं वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
- भय की समाप्ति होती है।
- अभय की प्राप्ति होती है।
- बुरी शक्तियों, प्रवृत्तियों, एवं आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
6. छिन्नमस्ता महाविद्या
- विपत्तियों की समाप्ति होती है।
- भय दूर होता है।
- शत्रुओं का समूल नाश होता है।
7. धूमावती महाविद्या
- भूख शांत होती है।
- किसी भी प्रकार की कमी दूर होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
- संकटों का हरण होता है।
8. बगलामुखी महाविद्या
- सही मार्ग प्रशस्त होता है।
- विपत्ति का हल निकलता है।
- दुष्टों को अपंग बनाता है।
- शत्रुओं पर लगाम लगाने के साथ-साथ उनका नाश होता है।
9. मातंगी महाविद्या
- जादू टोना या माया के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
- वाणी मधुर बनने के साथ-साथ उस पर नियंत्रण लगता है।
- संगीत एवं कला के क्षेत्र में उन्नति मिलती है।
- विद्या एवं बुद्धि का विकास होता है।
10. कमला महाविद्या
- वैभव और सुख में वृद्धि होती है।
- सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- नौकरी एवं व्यापार में उन्नति मिलती है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
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Mene sirf inke baare me thoda bahut suna tha par aapne to bahut kuch batay, thanks you dil se dhanyawad.