स्वामी विवेकानंद का इन्द्रियसंयम, शिष्यप्रेम, रन्धन में कुशलता तथा असाधारण स्मृति
स्वामीजी का इन्द्रियसंयम, शिष्यप्रेम, रन्धन में कुशलता तथा असाधारण स्मृति – राय गुणाकार भारतचन्द्र व माइकेल मधुसूदन दत्त के सम्बन्ध में राय।
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स्वामीजी का इन्द्रियसंयम, शिष्यप्रेम, रन्धन में कुशलता तथा असाधारण स्मृति – राय गुणाकार भारतचन्द्र व माइकेल मधुसूदन दत्त के सम्बन्ध में राय।
Read Moreभारत की बुरी दशा का कारण – उसे दूर करने का उपाय -वैदिक ढाँचे में देश को फिर से ढालना और मनु, याज्ञवल्कय आदि जैसे मनुष्योंको तैयार करना।
Read Moreयह देखकर कि इच्छा के अनुसार कार्य अग्रसर नहीं हो रहा है स्वामीजी के चित्त में खेद – धारावाहिक कल्याण-चिन्तन द्वारा जगत् का कल्याण करना आदि।
Read Moreस्वामीजी जीवन के अन्तिन दिनों में किस भाव से मठ में कहाकरते थे – उनकी दरिद्रनारायणसेवा – देश के गरीब दुःखियों के प्रति उनकी जीती आदि।
Read Moreवराहनगर मठ में श्रीरामकृष्णदेव के संन्यासी शिष्यों का साधन भजन – मठ की पहली स्थिति – स्वामीजी के जीवन के कुछ दुःखके दिन आदि।
Read Moreस्वामीजी का मनःसंयम – स्त्री-मठ की स्थापना के संकल्प के सम्बन्ध में शिष्य से बातचीतधर्म को शिक्षा की नींव बनानी होगी आदि।
Read Moreआत्मा अति निकट है, फिर भी उसकी अनुभूति आसानी सेक्यों नहीं होती – स्वामीजी कीध्यानतन्मयता आदि।
Read Moreमठ के सम्बन्ध में नैष्ठिक हिन्दुओं की पूर्व धारणा – स्वामीजी जैसे ब्रह्मज्ञ पुरुष द्वारा देव-देवी की पूजा करना सोचने की बात है आदि।
Read Moreश्रीरामकृष्ण का जन्मोत्सव भविष्य में सुन्दर बनाने की योजना – शिष्य को आशीर्वाद, “जब यहाँ पर आया है तो अवश्य ही ज्ञान प्राप्त होगा” आदि।
Read Moreस्थान – बेलुड़ मठ वर्ष – १९०२ ईसवी विषय – मठ में कठिन विधि-नियमों का प्रचलन – “आत्माराम कीडिबिया” व
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