धर्म

राम का रत जगा – Ram Ka Rat Jaga Lyrics

पढ़ें “राम का रत जगा” लिरिक्स

आओ माता बहनो राम प्रिय जन जन
प्रभुजी का हो रहा ह्रदय ह्रदय आगमन
गाओ बधाई शुभ घडी आयी
पलं पलं निसदिन हो राहा सुमिरन
एक ही नाम का

राम का रत जगा
रत जगा राम का
राम का रत जगा
रत जगा राम का

गले मिल खील खील ताल ताठ राग मे
कण कण झूम राहा राम अनुराग मे
पाताल धरती गगन हुए राम मे मगन
धोंस ताशे चिमटे घनघोर बाजे घन घन
धन धन वसुधा का भाग जगा

राम का रत जगा
रत जगा राम का
राम का रत जगा
रत जगा राम का

आओ माता बेहनो राम प्रिय जन जन
प्रभुजी का हो रहा ह्रदय ह्रदय आगमन
गाओ बधाई शुभ घडी आयी
पल पल निसदिन हो राहा सुमिरन
एक ही नाम का

राम का रत जगा
रत जगा राम का
राम का रत जगा
रत जगा राम का
राम का रत जगा
रत जगा राम का
राम का रत जगा
रत जगा राम का

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम राम का रत जगा भजन को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस भजन को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें यह राम भजन रोमन में-

Read Ram Ka Rat Jaga Lyrics

āo mātā bahano rāma priya jana jana
prabhujī kā ho rahā hradaya hradaya āgamana
gāo badhāī śubha ghaḍī āyī
palaṃ palaṃ nisadina ho rāhā sumirana
eka hī nāma kā

rāma kā rata jagā
rata jagā rāma kā
rāma kā rata jagā
rata jagā rāma kā

gale mila khīla khīla tāla tāṭha rāga me
kaṇa kaṇa jhūma rāhā rāma anurāga me
pātāla dharatī gagana hue rāma me magana
dhoṃsa tāśe cimaṭe ghanaghora bāje ghana ghana
dhana dhana vasudhā kā bhāga jagā

rāma kā rata jagā
rata jagā rāma kā
rāma kā rata jagā
rata jagā rāma kā

āo mātā behano rāma priya jana jana
prabhujī kā ho rahā hradaya hradaya āgamana
gāo badhāī śubha ghaḍī āyī
pala pala nisadina ho rāhā sumirana
eka hī nāma kā

rāma kā rata jagā
rata jagā rāma kā
rāma kā rata jagā
rata jagā rāma kā
rāma kā rata jagā
rata jagā rāma kā
rāma kā rata jagā
rata jagā rāma kā

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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