कविता

देश कौं बचाऔ मेरे वीर

“देश कौं बचाऔ मेरे वीर” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया “नवल” द्वारा ब्रज भाषा में रचित देशवासियों के शौर्य और वीरता का आह्वान करती कविता है। आनंद लें इस अद्भुत कविता का–

देश कौं उठाऔ मेरे वीर, अपने देश कौं बचाऔ मेरे वीर,
जाति-धर्म अरु क्षेत्रवाद की खैंचो मती लकीर।

अन्न एक सौ सिग नै खायौ, पियौ एक सौ पानी
काह करत हौ पहरेदारी में अपनी मनमानी
भाषा-भेष भिन्न हों बेसक ये सबकी जागीर।
देश कौं उठाऔ मेरे वीर, अपने देश कौं बचाऔ मेरे वीर

जन-गन-मन के गीत एक ही साथ नित्य मिलि गाये,
अब कैसो उन्माद? आज जो अपने लगे पराये।
हिन्दुस्तानी खून एक है सत्तगुरु काह पीर॥
देश कौं उठाऔ मेरे वीर, अपने देश कौं बचाऔ मेरे वीर

फूलनि के झगड़े में सारौ उपवन सुलगि न जावै
एक बार जो लगी आगि तौ फिरि ना बुझै बुझावै
पावन राखो मिलि जुलि सब झेलम गंगा कौ नीर।
देश कौं उठाऔ मेरे वीर, अपने देश कौं बचाऔ मेरे वीर

मिलि-जुलि के रहिबौ सीखौ मति बहकावे में आऔं
प्रान्त-धर्म के हालाहल कौं हँसि-हँसि के पी जाऔ
दुश्मन की मत होने दीयौ सफल कोऊ तदवीर।
देश कौं उठाऔ मेरे वीर, अपने देश कौं बचाऔ मेरे वीर

गन्दे नारे जाति-धर्म के मती जीभ पै लइयो
घर के बासन आपस में ही कबौं नाहिं टकरइयो
मीठी बानी बोलौ, कहि गये नानक और कबीर
देश का उठाऔ मेरे वीर, अपने देश कौं बचाऔ मेरे वीर

सूरज माथे तिलक लगावै चन्दा देह ढिठौना
लगत अषाढ़ मेघ के हाथनि पठवै यच्छ पठौना
ऐसौ अपनौ देश प्रेम सौं गावै राँझा-हीर।
देश कौं उठाऔ मेरे वीर, अपने देश कौं बचाऔ मेरे वीर।

पनघट-पनघट रस बरसावै गोरी भरै गगरिया
बगिया-बगिया झूला-झूलैं राधा और सँबरिया
फागुन में रँग की बरसातें, रँगी पाग अरु चीर।
देश कौं उठाऔ मेरे वीर, अपने देश कौं बचाऔ मेरे वीर।

बलिदाननि के बाद मिली है हमको यह आजादी
अपने ही हाथनि सौं याकी मति करियो बरबादी
देखौ टूटि न जाय एकता की प्यारी जंजीर।
देश को उठाऔ मेरे वीर, अपने देश कौं बचाऔ मेरे वीर।

काश्मीर केरल हरियाणा असम-सिन्ध-पंजाब
महाराष्ट्र मदरास-बंग अरुणांचल और दुआब
सबसे मिलकर बनती मेरे भारत की तस्वीर।
देश कौं उठाऔ मेरे वीर, अपने देश कौं बचाऔ मेरे वीर

नवल सिंह भदौरिया

स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया हिंदी खड़ी बोली और ब्रज भाषा के जाने-माने कवि हैं। ब्रज भाषा के आधुनिक रचनाकारों में आपका नाम प्रमुख है। होलीपुरा में प्रवक्ता पद पर कार्य करते हुए उन्होंने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, सवैया, कहानी, निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाकार्य किया और अपने समय के जाने-माने नाटककार भी रहे। उनकी रचनाएँ देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हमारा प्रयास है कि हिंदीपथ के माध्यम से उनकी कालजयी कृतियाँ जन-जन तक पहुँच सकें और सभी उनसे लाभान्वित हों। संपूर्ण व्यक्तित्व व कृतित्व जानने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – श्री नवल सिंह भदौरिया का जीवन-परिचय

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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