गायत्री माता की आरती – Gayatri Aarti in Hindi
गायत्री माता की आरती गायत्री मंत्र की ही तरह सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली है। पढ़ें यह गायत्री आरती (Gayatri Aarti) और लाभ उठाएँ–
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आरती श्री गायत्री जी की ॥टेक॥
ज्ञान को दीप और श्रद्धा की बाती,
सो भक्ति ही पूर्ति करै जहं घी की।
आरती श्री गायत्री जी की…
मानस की शुचि थाल के ऊपर,
देवि की जोति जगै जहं नी।
आरती श्री गायत्री जी की…
शुद्ध मनोरथ के जहां घण्टा,
बाजै, करै पूरी आसहु ही की
आरती श्री गायत्री जी की…
जाके समक्ष हमें तिहु लोक की,
गद्दी मिलै तबहूं लगे फीकी॥
आरती श्री गायत्री जी की…
आरति प्रेम सों नेम सो जो करि,
ध्यावहि मूरति ब्रह्म लली की॥
आरती श्री गायत्री जी की…
संकट आवैं न पास कबौ,
सम्पदा और सुख की बन लीकी॥
आरती श्री गायत्री जी की…
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गायत्री माता की आरती के विधि-विधान
गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ki Aarti) को उतना ही फलदायी माना जाता है, जितना कि साक्षात् गायत्री मंत्र। वेदमाता गायत्री सभी मनोकामनाओं को पूर्ति करने वाली मानी जाती हैं। उनका स्मरण और मंत्र-जप हर बाधा का निवारण कर देता है। यह मंत्र कोई सामान्य मंत्र नहीं, अपितु महामंत्र ने नाम से जाना जाता है। आइए, इससे जुड़े कुछ नियमों पर दृष्टिपात करते हैं–
- आरती को आरात्रिका भी कहते हैं। इसे पूजा के अन्त में किए जाने का विधान है।
- इसे करने से पहले गायत्री मंत्र पढ़कर तीन बार फूल चढ़ाएँ। मन में भावना करें कि आप साक्षात् माँ को ये पुष्प अर्पित कर रहे हैं।
- इसके लिए प्रायः पाँच बत्तियों से आरती की जाती है, जिसे “पंचप्रदीप” कहा जाता है।
- इसे करते समय सबसे पहले मूर्ति के पैरों में चार बार घुमाएँ। तदन्तर नाभि के सम्मुख दो बार, मुख के समक्ष एक बार तथा सात बार सभी अङ्गों पर घुमाएँ।
- अंत में भावना करें कि इससे इष्ट को प्रसन्नता प्राप्त होगी।