धर्म

दशरथ कृत शनि स्तोत्र – Dashrath Krit Shani Stotra

“दशरथ कृत शनि स्तोत्र” की रचना राजा दशरथजी ने की थी। इस स्तोत्र का पाठ शनि ढैया, शनि साढ़ेसाती से बचने के लिए किया जाता है।

“दशरथ कृत शनि स्तोत्र” पढ़ें

॥ दशरथ उवाच ॥

प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥
रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् ।
सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥

याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं ।
एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥

प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा ।
पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥

॥ दशरथकृत शनि स्तोत्र ॥

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते॥

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते॥

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥

नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च॥

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते॥

तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥

वासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:॥

प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:॥

इति दशरथ कृत शनि स्तोत्र संपूर्णम

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर दशरथ कृत शनि स्तोत्र को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें दशरथकृत शनि स्तोत्र रोमन में–

Read Dashrathkrit Shani Stotra

॥ daśaratha uvāca ॥

prasanno yadi me saure ! ekaścāstu varaḥ paraḥ ॥
rohiṇīṃ bhedayitvā tu na gantavyaṃ kadācan ।
saritaḥ sāgarā yāvadyāvaccandrārkamedinī ॥

yācitaṃ tu mahāsaure ! na’nyamicchāmyahaṃ ।
evamastuśaniproktaṃ varalabdhvā tu śāśvatam ॥

prāpyaivaṃ tu varaṃ rājā kṛtakṛtyo’bhavattadā ।
punarevā’bravīttuṣṭo varaṃ varam suvrata ॥

॥ daśarathakṛta śani stotra ॥

nama: kṛṣṇāya nīlāya śitikaṇṭhanibhāya ca।
nama: kālāgnirūpāya kṛtāntāya ca vai nama: ॥

namo nirmāṃsa dehāya dīrghaśmaśrujaṭāya ca।
namo viśālanetrāya śuṣkodara bhayākṛte॥

nama: puṣkalagātrāya sthūlaromṇe’tha vai nama:।
namo dīrghāyaśuṣkāya kāladaṣṭra namo’stute॥

namaste koṭarākṣāya durnirīkṣyāya vai nama:।
namo ghorāya raudrāya bhīṣaṇāya kapāline॥

namaste sarvabhakṣāya valīmukhāyanamo’stute।
sūryaputra namaste’stu bhāskare bhayadāya ca॥

adhodṛṣṭe: namaste’stu saṃvartaka namo’stute।
namo mandagate tubhyaṃ niristraṇāya namo’stute॥

tapasā dagdhadehāya nityaṃ yogaratāya ca।
namo nityaṃ kṣudhārtāya atṛptāya ca vai nama:॥

jñānacakṣurnamaste’stu kaśyapātmaja sūnave।
tuṣṭo dadāsi vai rājyaṃ ruṣṭo harasi tatkṣaṇāt॥

vāsuramanuṣyāśca sidghavidyādharoragā:।
tvayā vilokitā: sarve nāśaṃyānti samūlata:॥

prasāda kuru me deva vārāho’hamupāgata।
evaṃ stutastada saurigrraharājo mahābala:॥

iti daśaratha kṛta śani stotra saṃpūrṇama

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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