धर्म

शिवरात्रि स्तुति – Shivratri Stuti

पढ़ें “शिवरात्रि स्तुति” लिरिक्स

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।

महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।

गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3।

शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4।

परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5।

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न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6।

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7।

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8।

प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9।

शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10।

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर शिवरात्रि स्तुति को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह शिवरात्रि स्तुति रोमन में–

Read Shivratri Stuti

paśūnāṃ patiṃ pāpanāśaṃ pareśaṃ gajendrasya kṛttiṃ vasānaṃ vareṇyama।
jaṭājūṭamadhye sphuradgāṅgavāriṃ mahādevamekaṃ smarāmi smarārima।1।

maheśaṃ sureśaṃ surārātināśaṃ vibhuṃ viśvanāthaṃ vibhūtyaṅgabhūṣam।
virūpākṣamindvarkavahnitrinetraṃ sadānandamīḍe prabhuṃ pañcavaktram।2।

girīśaṃ gaṇeśaṃ gale nīlavarṇaṃ gavendrādhirūḍhaṃ guṇātītarūpam।
bhavaṃ bhāsvaraṃ bhasmanā bhūṣitāṅgaṃ bhavānīkalatraṃ bhaje pañcavaktram।3।

śivākānta śaṃbho śaśāṅkārdhamaule maheśāna śūliñjaṭājūṭadhārin।
tvameko jagadvyāpako viśvarūpa: prasīda prasīda prabho pūrṇarūpa।4।

parātmānamekaṃ jagadbījamādyaṃ nirīhaṃ nirākāramoṃkāravedyam।
yato jāyate pālyate yena viśvaṃ tamīśaṃ bhaje līyate yatra viśvam।5।

na bhūmirnaṃ cāpo na vahnirna vāyurna cākāśamāste na tandrā na nidrā।
na gṛṣmo na śītaṃ na deśo na veṣo na yasyāsti mūrtistrimūrtiṃ tamīḍa।6।

ajaṃ śāśvataṃ kāraṇaṃ kāraṇānāṃ śivaṃ kevalaṃ bhāsakaṃ bhāsakānām।
turīyaṃ tama:pāramādyantahīnaṃ prapadye paraṃ pāvanaṃ dvaitahīnama।7।

namaste namaste vibho viśvamūrte namaste namaste cidānandamūrte।
namaste namaste tapoyogagamya namaste namaste śrutijñānagam।8।

prabho śūlapāṇe vibho viśvanātha mahādeva śaṃbho maheśa trinet।
śivākānta śānta smarāre purāre tvadanyo vareṇyo na mānyo na gaṇya:।9।

śaṃbho maheśa karuṇāmaya śūlapāṇe gaurīpate paśupate paśupāśanāśin।
kāśīpate karuṇayā jagadetadeka-stvaṃhaṃsi pāsi vidadhāsi maheśvaro’si।10।

tvatto jagadbhavati deva bhava smarāre tvayyeva tiṣṭhati jaganmṛḍa viśvanātha।
tvayyeva gacchati layaṃ jagadetadīśa liṅgātmake hara carācaraviśvarūpina।11।

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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