धर्म

नर शरीर अनमोल रे प्राणी प्रभु कृपा से पाया है – Nar Shareer Anmol Re Prani Lyrics

नर शरीर अनमोल रे
प्राणी प्रभु कृपा से पाया है
झूठे पर प्रपंच में पड़कर
क्यों क्यों प्रभु को बिसराया है
समय हाथ से निकल गया तो -2
सिर धुन धुन पछतायेगा
निर्मल मल मल के दर्पण में ॥

वह राम के दर्शन पायेगा
राम नाम के साबून से ही जो
मन का मैल छुड़ाएगा
निर्मल मल मल के वह राम
के दर्शन पायेगा
झूठ कपट निंदा को त्यागो
हर प्राणी से प्यार करो
घर पर आये अतिथि कोई तो ॥

यथाशक्ति सत्कार करो
झूठ कपट निंदा को त्यागो
हर प्राणी से प्यार करो
घर पर आये अतिथि कोई तो
यथाशक्ति सत्कार करो पता
नहीं किस रूप में आकर नारायण
मिल जायेगा निर्मल
मल मल के दर्पण में वह ॥

यह भी पढ़ेंपता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा

राम के दर्शन पायेगा
राम नाम के साबून से ही जो
मन का मैल छुड़ाएगा
निर्मल मल मल के वह राम
के दर्शन पायेगा साधन
तेरा कच्चा है जब तक प्रभु
पर विश्वास नहीं मंजिल
कर पाना है क्या जब
दीपक में प्रकाश नहीं
साधन तेरा कच्चा है जब तक प्रभु ॥

पर विश्वास नहीं मंजिल
कर पाना है क्या जब
दीपक में प्रकाश नहीं
निश्चय है तो भवसागर
से बेडा पार हो जायेगा
निर्मल मल मल के
वह राम के दर्शन पायेगा
राम नाम के साबून से ही
जो मन का मैल छुड़ाएगा ॥

निर्मल मल मल के
वह राम के दर्शन पायेगा
दौलत का अविमान है
झूठा यह तो आणि जानी है
राजा रंंक अनेक हुए
कितनो की सुनी कहानी है
दौलत का अविमान है
झूठा यह तो आणि जानी है ॥

राजा रंंक अनेक हुए
कितनो की सुनी कहानी है
राम नाम प्रिय महामंत्र
ही साथ तुम्हारे जाएगा
निर्मल मल मल के
वह राम के दर्शन पायेगा
राम नाम के साबून से ही जो
मन का मैल छुड़ाएगा ॥

निर्मल मल मल के वह राम
के दर्शन पायेगा निर्मल मल
मल के वह राम के दर्शन पायेगा
राम नाम के साबून से ही जो
मन का मैल छुड़ाएगा
निर्मल मल मल के वह राम
के दर्शन पायेगा निर्मल मल
मल के वह राम के दर्शन पायेगा ॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर हम इस भजन रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें नर शरीर अनमोल रे प्राणी प्रभु कृपा से पाया है (Nar Shareer Anmol Re Prani) भजन रोमन में–

Read Nar Shareer Anmol Re Prani Lyrics

nara śarīra anamola re
prāṇī prabhu kṛpā se pāyā hai
jhūṭhe para prapaṃca meṃ paड़kara
kyoṃ kyoṃ prabhu ko bisarāyā hai
samaya hātha se nikala gayā to -2
sira dhuna dhuna pachatāyegā
nirmala mala mala ke darpaṇa meṃ ॥

vaha rāma ke darśana pāyegā
rāma nāma ke sābūna se hī jo
mana kā maila chuड़āegā
nirmala mala mala ke vaha rāma
ke darśana pāyegā
jhūṭha kapaṭa niṃdā ko tyāgo
hara prāṇī se pyāra karo
ghara para āye atithi koī to ॥

yathāśakti satkāra karo
jhūṭha kapaṭa niṃdā ko tyāgo
hara prāṇī se pyāra karo
ghara para āye atithi koī to
yathāśakti satkāra karo patā
nahīṃ kisa rūpa meṃ ākara nārāyaṇa
mila jāyegā nirmala
mala mala ke darpaṇa meṃ vaha ॥

rāma ke darśana pāyegā
rāma nāma ke sābūna se hī jo
mana kā maila chuड़āegā
nirmala mala mala ke vaha rāma
ke darśana pāyegā sādhana
terā kaccā hai jaba taka prabhu
para viśvāsa nahīṃ maṃjila
kara pānā hai kyā jaba
dīpaka meṃ prakāśa nahīṃ
sādhana terā kaccā hai jaba taka prabhu ॥

para viśvāsa nahīṃ maṃjila
kara pānā hai kyā jaba
dīpaka meṃ prakāśa nahīṃ
niścaya hai to bhavasāgara
se beḍā pāra ho jāyegā
nirmala mala mala ke
vaha rāma ke darśana pāyegā
rāma nāma ke sābūna se hī
jo mana kā maila chuड़āegā ॥

nirmala mala mala ke
vaha rāma ke darśana pāyegā
daulata kā avimāna hai
jhūṭhā yaha to āṇi jānī hai
rājā raṃṃka aneka hue
kitano kī sunī kahānī hai
daulata kā avimāna hai
jhūṭhā yaha to āṇi jānī hai ॥

rājā raṃṃka aneka hue
kitano kī sunī kahānī hai
rāma nāma priya mahāmaṃtra
hī sātha tumhāre jāegā
nirmala mala mala ke
vaha rāma ke darśana pāyegā
rāma nāma ke sābūna se hī jo
mana kā maila chuड़āegā ॥

nirmala mala mala ke vaha rāma
ke darśana pāyegā nirmala mala
mala ke vaha rāma ke darśana pāyegā
rāma nāma ke sābūna se hī jo
mana kā maila chuड़āegā
nirmala mala mala ke vaha rāma
ke darśana pāyegā nirmala mala
mala ke vaha rāma ke darśana pāyegā ॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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