धरा पर चरन तो धरो
“धरा पर चरन तो धरो” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया ‘नवल’ द्वारा हिंदी भाषा में रचित कविता है। कवि यथार्थ को देखने और तदनुसार कार्य करने का आह्वान कर रहा है। इस कविता को पढ़ने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – धरा पर चरन तो धरो।
स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया हिंदी खड़ी बोली और ब्रज भाषा के जाने-माने कवि हैं। ब्रज भाषा के आधुनिक रचनाकारों में आपका नाम प्रमुख है। होलीपुरा में प्रवक्ता पद पर कार्य करते हुए उन्होंने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, सवैया, कहानी, निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाकार्य किया और अपने समय के जाने-माने नाटककार भी रहे। उनकी रचनाएँ देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हमारा प्रयास है कि हिंदीपथ के माध्यम से उनकी कालजयी कृतियाँ जन-जन तक पहुँच सकें और सभी उनसे लाभान्वित हों। संपूर्ण व्यक्तित्व व कृतित्व जानने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – श्री नवल सिंह भदौरिया का जीवन-परिचय।
joy Bangla , hindi is a killing language of non hindi Language
Jai Bangla! Every language, I believe, is just a language i.e. a medium of communication. Bengali is a beautiful language, so is Gujarati, and so is Tamil. All languages are beautiful and has their own uniqueness. Same is the case with Hindi. It has its own richness and beauty. It does not kill any language. Rather, all Indian languages are, in some way or the other, enriching each other.
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