धर्म

सुदर्शन अष्टकम – Sudarshana Ashtakam

सुदर्शन अष्टकम भगवान विष्णु के चक्र सुदर्शन की स्तुति करता है। भगवान विष्णु को सभी देवताओं में सबसे अधिक शक्तिशाली माना जाता है। सुदर्शन अष्टकम् का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

प्रतिभटश्रेणि भीषण वरगुणस्तोम भूषण
जनिभयस्थान तारण जगदवस्थान कारण ।
निखिलदुष्कर्म कर्शननिगमसद्धर्म दर्शन
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥1॥

शुभजगद्रूप मण्डन सुरगणत्रास खन्डन
शतमखब्रह्म वन्दित शतपथब्रह्म नन्दित ।
प्रथितविद्वत् सपक्षित भजदहिर्बुध्न्य लक्षित
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन॥2॥

स्फुटतटिज्जाल पिञ्जर पृथुतरज्वाल पञ्जर
परिगत प्रत्नविग्रह पतुतरप्रज्ञ दुर्ग्रह ।
प्रहरण ग्राम मण्डित परिजन त्राण पण्डित
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥3॥

निजपदप्रीत सद्गण निरुपधिस्फीत षड्गुण
निगम निर्व्यूढ वैभव निजपर व्यूह वैभव ।
हरि हय द्वेषि दारण हर पुर प्लोष कारण
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥4॥

दनुज विस्तार कर्तन जनि तमिस्रा विकर्तन
दनुजविद्या निकर्तन भजदविद्या निवर्तन ।
अमर दृष्ट स्व विक्रम समर जुष्ट भ्रमिक्रम
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥5॥

प्रथिमुखालीढ बन्धुर पृथुमहाहेति दन्तुर
विकटमाय बहिष्कृत विविधमाला परिष्कृत ।
स्थिरमहायन्त्र तन्त्रित दृढ दया तन्त्र यन्त्रित
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥6॥

महित सम्पत् सदक्षर विहितसम्पत् षडक्षर
षडरचक्र प्रतिष्ठित सकल तत्त्व प्रतिष्ठित ।
विविध सङ्कल्प कल्पक विबुधसङ्कल्प कल्पक
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥7॥

भुवन नेत्र त्रयीमय सवन तेजस्त्रयीमय
निरवधि स्वादु चिन्मय निखिल शक्ते जगन्मय ॥
अमित विश्वक्रियामय शमित विश्वग्भयामय
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥8॥

फलश्रुति

द्विचतुष्कमिदं प्रभूतसारं पठतां वेङ्कटनायक प्रणीतम् ।
विषमेऽपि मनोरथः प्रधावन् न विहन्येत रथाङ्ग धुर्य गुप्तः ॥

॥इति श्री सुदर्शनाष्टकं समाप्तम् ॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह सुदर्शन अष्टकम को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह सुदर्शन अष्टकम (Sudarshana Ashtakam) रोमन में–

Sudarshana Ashtakam

tū sumirana kara rādhe rādhe tere kaṣṭa sabhī miṭa jāyeṃge
tū sumirana kara rādhe rādhe tere kaṣṭa sabhī miṭa jāyeṃge ॥

rādhā ke pīche śyāma svayaṃ tere dvāra pe dauḍa़e āyeṃge ॥
rādhā ke pīche śyāma svayaṃ tere dvāra pe dauḍa़e āyeṃge ॥
tū sumirana kara rādhe rādhe tere kaṣṭa sabhī miṭa jāyeṃge ॥

rādhā bina sūnā sāṃvariyā
rādhā-bina sūnā sāṃvariyā
rādhā bina sunī bā~suriyā ।
rādhā-bina sunī bā~suriyā

rādhā bina bhakti rasa sunā
hama rādhā ke guṇa gāyeṃge ॥
rādhā bina bhakti rasa sunā
hama rādhā ke guṇa gāyeṃge ॥
tū sumirana kara rādhe rādhe tere kaṣṭa sabhī miṭa jāyeṃge ॥

brajamaṃḍala kī garimā rādhā
brajamaṃḍala kī garimā rādhā
rādhā bina prema śabda ādhā ।
rādhā bina prema śabda ādhā ।
kitanā bhī kṛṣṇa kā dhyāna dharo
bina rādhā yāda nā āyaṃge ॥
kitanā bhī kṛṣṇa kā dhyāna dharo
bina rādhā yāda nā āyaṃge ॥
tū sumirana kara rādhe
rādhe tere kaṣṭa sabhī miṭa jāyeṃge ॥

rādhā lakṣmī rādhā kālī
rādhā lakṣmī rādhā kālī
merī rādhā barasāne vālī
merī rādhā barasāne vālī
jisa rūpa me dhyāna lagāeṃge vaisā hī darśana pāyege।
jisa rūpa me dhyāna lagāeṃge vaisā hī darśana pāyege।
tū sumirana kara rādhe rādhe tere kaṣṭa sabhī miṭa jāyeṃge ॥

rādhā ke pīche śyāma svayaṃ tere dvāra pe dauड़e āyeṃge
hare kṛṣṇa hare kṛṣṇa, kṛṣṇā kṛṣṇā hare hare
hare rāmā hare rāmā, rāmā rāmā hare hare

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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