धर्म

शुक्र गुजार हो गया – Shukar Gujaar Ho Giya Lyrics

पढ़े “शुक्र गुजार हो गया” लिरिक्स

( जितना दिया मेरी माँ ने मुझको,
उतनी मेरी औकात नहीं,
ये तो कर्म है मेरी मईया का,
वरना मुझ में तो कोई बात नहीं। )

तेरे लड़ लग माये बेड़ा पार हो गया,
तेरा सदा लई मैं शुक्र गुजार हो गया।।

लज पत रखी सदा चाहवा कुझ होर ना,
तेरे लेखे लग्गे मेरी, सावा वाली डोर माँ,
तेरे चरणा नाल माये ऐसा प्यार हो गया,
तेरा सदा लई मैं शुक्र गुजार हो गया,
तेरे लड़ लग माये……

मेहरा वंड झोली भरी, बक्शया ए मान तू,
खुशियां च नच्चा माये, होई मेहरबान तू,
चिंतापूर्णी तेरा ऐसा उपकार हो गया,
तेरा सदा लई मैं शुक्र गुजार हो गया,
तेरे लड़ लग माये……

भव सागरा चो सानू कर दित्ता पार ए,
पैर पैर उत्ते साडी रखी माँ ने सार ए,
“मनी” महिमा तेरी तो बलिहार हो गया,
तेरा सदा लई मैं शुक्र गुजार हो गया,
तेरे लड़ लग माये……

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर इस भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह भजन रोमन में-

Read Shukar Gujaar Ho Giya Lyrics

( jitanā diyā merī mā~ ne mujhako,
utanī merī aukāta nahīṃ,
ye to karma hai merī maīyā kā,
varanā mujha meṃ to koī bāta nahīṃ। )

tere laḍa़ laga māye beḍa़ā pāra ho gayā,
terā sadā laī maiṃ śukra gujāra ho gayā।।

laja pata rakhī sadā cāhavā kujha hora nā,
tere lekhe lagge merī, sāvā vālī ḍora mā~,
tere caraṇā nāla māye aisā pyāra ho gayā,
terā sadā laī maiṃ śukra gujāra ho gayā,
tere laḍa़ laga māye……

meharā vaṃḍa jholī bharī, bakśayā e māna tū,
khuśiyāṃ ca naccā māye, hoī meharabāna tū,
ciṃtāpūrṇī terā aisā upakāra ho gayā,
terā sadā laī maiṃ śukra gujāra ho gayā,
tere laḍa़ laga māye……

bhava sāgarā co sānū kara dittā pāra e,
paira paira utte sāḍī rakhī mā~ ne sāra e,
“manī” mahimā terī to balihāra ho gayā,
terā sadā laī maiṃ śukra gujāra ho gayā,
tere laḍa़ laga māye……

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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