श्री काली ताण्डव स्तोत्रम् – Shri Kali Tandav Stotram
श्री काली ताण्डव स्तोत्रम् में देवी काली के रौद्र रूप का वर्णन है, जो बुरी शक्तियों से रक्षा करने वाला माना जाता है। जाप करने वाले को भयमुक्त रहने का वरदान मिल सकता है। इस स्तोत्र का निष्ठापूर्वक जाप करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
हुंहुंकारे शवारूढे नीलनीरजलोचने ।
त्रैलोक्यैकमुखे दिव्ये कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ १॥
प्रत्यालीढपदे घोरे मुण्डमालाप्रलम्बिते ।
खर्वे लम्बोदरे भीमे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ २॥
नवयौवनसम्पन्ने गजकुम्भोपमस्तनी ।
वागीश्वरी शिवे शान्ते कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ३॥
लोलजिह्वे दुरारोहे (लोलजिह्वे हरालोके) नेत्रत्रयविभूषिते ।
घोरहास्यत्करे (घोरहास्यत्कटा कारे) देवी कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ४॥
व्याघ्रचर्म्माम्बरधरे खड्गकर्त्तृकरे धरे ।
कपालेन्दीवरे वामे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ५॥
नीलोत्पलजटाभारे सिन्दुरेन्दुमुखोदरे ।
स्फुरद्वक्त्रोष्टदशने कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ६॥
प्रलयानलधूम्राभे चन्द्रसूर्याग्निलोचने ।
शैलवासे शुभे मातः कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ७॥
ब्रह्मशम्भुजलौघे च शवमध्ये प्रसंस्थिते ।
प्रेतकोटिसमायुक्ते कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ८॥
कृपामयि हरे मातः सर्वाशापरिपुरिते ।
वरदे भोगदे मोक्षे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ९॥
॥इत्युत्तरतन्त्रार्गतमं श्रीकालीताण्डवस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह श्री काली ताण्डव स्तोत्रम् (Shri Kali Tandav Stotram) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें श्री काली तांडव स्तोत्रम् रोमन में–
Read Shri Kali Tandav stotra
huṃhuṃkāre śavārūḍhe nīlanīrajalocane ।
trailokyaikamukhe divye kālikāyai namo’stute ॥ 1॥
pratyālīḍhapade ghore muṇḍamālāpralambite ।
kharve lambodare bhīme kālikāyai namo’stute ॥ 2॥
navayauvanasampanne gajakumbhopamastanī ।
vāgīśvarī śive śānte kālikāyai namo’stute ॥ 3॥
lolajihve durārohe (lolajihve harāloke) netratrayavibhūṣite ।
ghorahāsyatkare (ghorahāsyatkaṭā kāre) devī kālikāyai namo’stute ॥ 4॥
vyāghracarmmāmbaradhare khaḍgakarttṛkare dhare ।
kapālendīvare vāme kālikāyai namo’stute ॥ 5॥
nīlotpalajaṭābhāre sindurendumukhodare ।
sphuradvaktroṣṭadaśane kālikāyai namo’stute ॥ 6॥
pralayānaladhūmrābhe candrasūryāgnilocane ।
śailavāse śubhe mātaḥ kālikāyai namo’stute ॥ 7॥
brahmaśambhujalaughe ca śavamadhye prasaṃsthite ।
pretakoṭisamāyukte kālikāyai namo’stute ॥ 8॥
kṛpāmayi hare mātaḥ sarvāśāparipurite ।
varade bhogade mokṣe kālikāyai namo’stute ॥ 9॥
॥ityuttaratantrārgatamaṃ śrīkālītāṇḍavastotraṃ sampūrṇam॥
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